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मंगलवार, 3 जून, 2025
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बिहार की दलित राजनीति में पारिवारिक मामले — मांझी से लेकर पासवान तक रिश्तेदार कैसे बढ़े आगे

चुनाव से कुछ महीने पहले, बिहार सरकार ने चिराग पासवान के साले मृणाल पासवान को अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष और जीतन राम मांझी के दामाद को इसका उपाध्यक्ष नियुक्त किया.

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नई दिल्ली: चुनाव से कुछ महीने पहले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के रिश्तेदारों को बिहार अनुसूचित जाति आयोग में शीर्ष पदों पर नियुक्त करने के नीतीश कुमार सरकार के फैसले ने राज्य में दलित नेताओं के नेतृत्व वाली पार्टियों में “वंशवाद की राजनीति” को लेकर बहस को हवा दे दी है.

चिराग पासवान के साले मृणाल पासवान को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी को इसका उपाध्यक्ष बनाया गया है.

विपक्षी राजद ने नियुक्तियों की आलोचना करते हुए कहा कि ये नियुक्तियां इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर की गई हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के परिवार के अब सात सदस्य राजनीति में हैं, जो राज्य में लालू प्रसाद यादव परिवार के प्रभुत्व के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.

महादलित मुसहर समुदाय से आने वाले मांझी ने 1991, 2014, 2019 और 2024 में गया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था. उन्होंने केवल 2024 का चुनाव जीता. वे वर्तमान में मोदी मंत्रिमंडल में सबसे उम्रदराज मंत्री हैं, जिनके पास सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय का प्रभार है.

मांझी परिवार

मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वे नीतीश कैबिनेट में मंत्री हैं, उनके पास लघु जल संसाधन विभाग है. वे नीतीश कुमार की 2020 की कैबिनेट में भी मंत्री थे, जब उनके पास लघु सिंचाई और एससी/एसटी कल्याण विभाग थे.

सुमन की पत्नी दीपा मांझी ने नवंबर 2024 में इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीता, क्योंकि जीतन राम मांझी ने लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद सीट खाली कर दी थी.

दीपा मांझी की मां ज्योति देवी भी पार्टी से विधायक हैं. वे बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं.

एससी आयोग के उपाध्यक्ष बनाए गए देवेंद्र मांझी हम के महासचिव रह चुके हैं और उन्होंने 2020 में मखदुमपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

जीतन राम मांझी के दो बेटे और पांच बेटियां हैं. उनके छोटे बेटे प्रवीण सुमन भी राजनीति में हैं. मांझी की बड़ी बेटी सुनैना ने 2022 में डिप्टी मेयर का चुनाव लड़ा है.

देवेंद्र मांझी पहली बार 2014 में चर्चा में आए थे, जब बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए जीतन राम मांझी ने उन्हें अपना निजी सहायक और एक अन्य रिश्तेदार सतेंद्र कुमार को क्लर्क नियुक्त किया था.

तब विपक्ष में बैठी भाजपा ने 23 मई 2000 के सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश का हवाला देते हुए मांझी की आलोचना की थी, जिसमें कहा गया था कि कोई भी मंत्री अपने रिश्तेदार को पीए नियुक्त नहीं कर सकता. मांझी ने नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा था कि देवेंद्र 2006 से उनके पीए हैं, लेकिन विवाद बढ़ने पर देवेंद्र ने इस्तीफा दे दिया था.

एससी आयोग में नियुक्ति के बाद जब दिप्रिंट ने उनसे बात की, तो देवेंद्र मांझी ने कहा, “जब एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है, तो कोई सवाल नहीं पूछता.”

उन्होंने कहा कि वह एक इंजीनियर हैं और एक सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री के दामाद होने के बावजूद पिछले 25 सालों से लोगों के बीच काम कर रहे हैं. “आज लोगों के बीच इतना वक्त बिताने के बाद, मुझे दलितों के बीच काम करने के लिए उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. इसमें क्या गलत है?”

उन्होंने कहा कि हम ने 2015 का चुनाव राजद और जदयू के साथ मिलकर लड़ा था और पार्टी को 21 सीटें दी गई थीं. “लेकिन मुझे तब टिकट नहीं मिला और मैंने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा. किसी ने नहीं पूछा कि मांझी के दामाद को टिकट क्यों नहीं मिला. मेरी नियुक्ति वंशवादी राजनीति नहीं है.”

लालू परिवार

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद खुद अब खराब स्वास्थ्य के कारण चुनाव नहीं लड़ते हैं, लेकिन उनके दो बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव बिहार विधानसभा के सदस्य हैं और उनकी मां राबड़ी देवी, जो पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं, राज्य विधान परिषद में हैं.

प्रसाद की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती, जो पूर्व में राज्यसभा सदस्य रह चुकी हैं, अब पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं. उनकी एक और बेटी रोहिणी आचार्य ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के राजीव प्रताप रूडी के खिलाफ सारण से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अपनी पत्नी राबड़ी देवी, बहू राजश्री और बेटों तेज प्रताप और तेजस्वी यादव के साथ 2023 में तिरुपति बालाजी मंदिर में पूजा करते हुए | एएनआई
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अपनी पत्नी राबड़ी देवी, बहू राजश्री और बेटों तेज प्रताप और तेजस्वी यादव के साथ 2023 में तिरुपति बालाजी मंदिर में पूजा करते हुए | एएनआई

उनकी दूसरी बेटी राज लक्ष्मी की शादी दिवंगत मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप यादव से हुई है, जो समाजवादी पार्टी के विधायक हैं.

राज लक्ष्मी की बहन अनुष्का की शादी चिरंजीव यादव से हुई है, जो हरियाणा कांग्रेस के नेता अजय यादव के बेटे हैं. चिरंजीव 2024 तक विधायक रहे, उसके बाद वे विधानसभा चुनाव हार गए. प्रसाद की बेटी रागिनी की शादी समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश एमएलसी जितेंद्र यादव के बेटे राहुल यादव से हुई है. राहुल ने 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सिकंदराबाद से लड़ा था, लेकिन हार गए.


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रामविलास परिवार

दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी बनाई थी. 2020 में उनकी मृत्यु के बाद, पार्टी दो भागों में विभाजित हो गई, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जिसका नियंत्रण उनके बेटे और सांसद चिराग पासवान के पास है और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी जिसका नेतृत्व उनके भाई पशुपति कुमार पारस करते हैं.

चिराग के बहनोई मृणाल पासवान, जो लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के महासचिव हैं और जिन्होंने वैशाली की राजा पाकर सीट से 2020 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया था, उनको नीतीश कुमार सरकार ने एससी आयोग का अध्यक्ष बनाया है.

मृणाल की शादी रामविलास पासवान और उनकी पहली पत्नी राजकुमारी देवी की बेटी से हुई है, जो हाल ही में पशुपति कुमार पारस की पत्नी शोभा देवी द्वारा कथित तौर पर अपमानित किए जाने के बाद चर्चा में आई थीं.

पिछले साल पटना में अपने नए पार्टी कार्यालय में गृह प्रवेश समारोह में अपनी मां रीना पासवान और परिवार के सदस्यों के साथ चिराग पासवान | एएनआई
पिछले साल पटना में अपने नए पार्टी कार्यालय में गृह प्रवेश समारोह में अपनी मां रीना पासवान और परिवार के सदस्यों के साथ चिराग पासवान | एएनआई

मांझी की तरह रामविलास पासवान को भी अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में लाने का श्रेय दिया जा सकता है.

उन्होंने सबसे पहले पशुपति पारस को 1977 के बिहार विधानसभा चुनाव में उतारा और बाद में उन्हें अविभाजित एलजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. पासवान के दूसरे भाई रामचंद्र पासवान ने 1999 का लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

रामविलास की पहली शादी से उनकी दो बेटियां — उषा और आशा — राजनेताओं से विवाहित हैं. दूसरी शादी से पासवान के दो बच्चे हैं, चिराग पासवान और बेटी निशा.

चिराग हाजीपुर से सांसद हैं, जबकि निशा की शादी अरुण भारती से हुई है, जो जमुई लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं.

रामचंद्र के बेटे प्रिंस भी लोकसभा सदस्य थे, लेकिन 2024 के चुनावों में वे समस्तीपुर सीट हार गए.

मृणाल पासवान ने दिप्रिंट से कहा कि उन्होंने राजनीति में कई साल बिताए हैं और उन्हें वंशवादी राजनीति का उदाहरण नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा, “मुझे अपने आप कुछ नहीं मिला. मैं समाज के सभी वर्गों के लिए काम करूंगा.”

अन्य नियुक्तियों में नीतीश कुमार ने मनोज ऋषि को महादलित आयोग का अध्यक्ष बनाया है. मनोज पूर्व मंत्री और महादलित आयोग के पहले अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि के बेटे हैं.

नीतीश कुमार ने 2005 में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आने के दो साल बाद 2007 में पहला महादलित आयोग बनाया. उन्होंने भूमि स्वामित्व, कौशल विकास, स्थानीय निकायों में सीटें आरक्षित करने और उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा करके उन्हें सशक्त बनाया.

इसे जेडी(यू) के लिए महादलित मतदाताओं को आकर्षित करने के उनके प्रयास के रूप में देखा गया.

नीतीश सरकार ने भूमिहार नेता महाचंद्र प्रसाद को बिहार स्वर्ण आयोग का अध्यक्ष भी नियुक्त किया. गुलाम रसूल बलियावी, जिन्होंने वक्फ अधिनियम का मुखर विरोध किया था, उनको राज्य के अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जिसे अल्पसंख्यक समुदाय को संदेश देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

अन्य दलित नेता

ऐसे अन्य दलित नेता भी हैं जिनके परिजन राजनीति में आए.

पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार लोकसभा स्पीकर बनीं. उनके बेटे अंशुल कांग्रेस प्रवक्ता हैं और उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा है.

बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश आनंद को मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक बनाया. कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणीति शिंदे अब लोकसभा की सदस्य हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक कर्नाटक सरकार में मंत्री हैं और दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि गुलबर्गा से सांसद हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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