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Thursday, 14 November, 2024
होमराजनीति‘दलित वोटबैंक पर नज़र’ — हरियाणा में BJP को झटका, पूर्व MP अशोक तंवर फिर से कांग्रेस में शामिल

‘दलित वोटबैंक पर नज़र’ — हरियाणा में BJP को झटका, पूर्व MP अशोक तंवर फिर से कांग्रेस में शामिल

तंवर — जिन्होंने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी थी, लगातार कई पार्टियों में शामिल हुए और 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार थे, गुरुवार को राहुल गांधी की मौजूदगी में पार्टी में फिर से शामिल हो गए.

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गुरुग्राम: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान समाप्त होने से कुछ घंटे पहले पूर्व सांसद अशोक तंवर फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए, जिससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राज्य में झटका लगा.

दलित नेता की कांग्रेस में वापसी ऐसे समय में हुई है, जब भाजपा कथित तौर पर कुमारी शैलजा को कथित तौर पर दरकिनार करने को लेकर पार्टी को दलित विरोधी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है. शैलजा राज्य में प्रमुख दलित नेता हैं और हरियाणा में पार्टी के चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ कथित तौर पर उनके संबंध अच्छे नहीं हैं.

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने महेंद्रगढ़ के बवानिया गांव में 49-वर्षीय नेता को फिर से पार्टी में शामिल किया, जो इस साल लोकसभा चुनाव में सिरसा से भाजपा के उम्मीदवार थे. कांग्रेस ने अपने एक्स हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें तंवर हुड्डा के साथ गांधी के पास जाते हुए दिखाई दे रहे हैं.

वीडियो के कैप्शन में पार्टी ने लिखा, “कांग्रेस ने लगातार शोषितों, वंचितों के हक़ की आवाज़ उठाई है और संविधान की रक्षा के लिए पूरी ईमानदारी से लड़ाई लड़ी है. हमारे इस संघर्ष और समर्पण से प्रभावित होकर आज BJP के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद, हरियाणा में BJP की कैंपेन कमेटी के सदस्य और स्टार प्रचारक श्री अशोक तंवर कांग्रेस में शामिल हो गए.”

वीडियो में गांधी मंच पर तंवर का गर्मजोशी से अभिवादन करते हुए दिखाई दे रहे हैं. बाद में गांधी और हुड्डा ने तंवर को पार्टी का पटका पहनाकर उन्हें कांग्रेस में शामिल किया. 2007 में जब गांधी कांग्रेस महासचिव और युवा विंग के प्रभारी बने थे, तब तंवर भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे.

तंवर ने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी थी.

लगातार बदली पार्टियां

पिछले हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले पांच अक्टूबर 2019 को टिकट बंटवारे के विरोध में तंवर ने प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.

कांग्रेस छोड़ने के बाद तंवर ने अपनी खुद की पार्टी बनाई, लेकिन जब इससे कोई खास असर नहीं पड़ा तो वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए. हालांकि, टीएमसी में एक साल बिताने के बाद उनका उस पार्टी से भी मोहभंग हो गया और 4 अप्रैल 2022 को वे आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए.

फिर, करीब आठ महीने पहले उन्होंने आप से इस्तीफा दे दिया और दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए. इस साल लोकसभा चुनाव में वे सिरसा से भाजपा के उम्मीदवार थे, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार कुमारी शैलजा से हार गए.

कौन हैं अशोक तंवर

झज्जर के चिमनी गांव में एक दलित परिवार में जन्मे तंवर ने पहली बार दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पढ़ाई के दौरान भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा. जेएनयू में उन्होंने सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज़ से मास्टर और पीएचडी की डिग्री हासिल की.

तंवर की राजनीतिक यात्रा तब शुरू हुई जब वे 1999 में एनएसयूआई के सचिव बने और बाद में 2003 में इसके अध्यक्ष बने. 2005 में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की पोती अवंतिका माकन से शादी की. अवंतिका माकन भी उनके साथ एनएसयूआई की सचिव थीं.

2009 में तंवर सिरसा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सांसद चुने गए. उन्होंने युवा कांग्रेस में अपने कार्यकाल के दौरान राहुल गांधी के साथ मिलकर काम किया और गांधी ने ही उन्हें फरवरी 2014 में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया था.

हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनावों में वे सीट हार गए और 2019 में इसे वापस जीतने में असमर्थ रहे.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में तंवर को पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के साथ मतभेदों के रूप में देखा गया और अंततः उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा. 2019 के विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी से इस्तीफा देने से एक महीने उनकी जगह कुमारी शैलजा को राज्य की कांग्रेस इकाई का अध्यक्ष बना दिया गया.

इसके बाद तंवर ने 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) का समर्थन किया और फिर अपनी खुद की पार्टी, अपना भारत मोर्चा की स्थापना की.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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