नई दिल्ली: शनिवार को प्रसारित एग्जिट पोल के अनुसार, कांग्रेस हरियाणा में आसानी से सरकार बनाने जा रही है, जिससे भारतीय जनता पार्टी का एक दशक से चला आ रहा राज खत्म हो जाएगा. जबकि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में होने वाले पहले विधानसभा चुनाव में हो सकता है कि किसी को भी बहुमत न मिले.
अधिकांश एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की है कि हरियाणा में कांग्रेस की जीत होगी, जिससे लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के बाद देश में कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति और मजबूत होगी. जून में कांग्रेस ने अपने इंडिया ब्लॉक सहयोगियों के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा जिससे भाजपा को संसद में पूर्ण बहुमत नहीं मिला.
हरियाणा में लगभग हर पोल्स्टर ने कांग्रेस को 50 से ज़्यादा सीटें दी हैं, जबकि कुछ ने तो यह भी भविष्यवाणी की है कि पार्टी 90 सदस्यीय विधानसभा में 60 से ज़्यादा सीटें जीत सकती है. 2014 में, जब लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा का उदय हुआ था, तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस को भाजपा ने सत्ता से बेदखल कर दिया था.
इंडिया टुडे के साथ गठजोड़ करने वाले सी-वोटर के अनुसार, कांग्रेस को 50-58 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि भाजपा, जिसने 2019 में 40 सीटें हासिल की थीं और जननायक जनता पार्टी (JJP) के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई थी, उसे 20-28 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है. एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि अन्य पार्टियाँ और निर्दलीय 10-14 सीटें जीत सकते हैं.
रिपब्लिक टीवी-मैट्रिज ने भी हरियाणा में कांग्रेस के लिए भारी जीत की भविष्यवाणी की है, जिसके एग्जिट पोल में उसे 55-62 सीटें और भाजपा को 18-24 सीटें दी गई हैं. जेजेपी और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) जैसी क्षेत्रीय पार्टियां, जो अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता के लिए पूरी तरह से जाट समुदाय पर निर्भर हैं, एग्जिट पोल के अनुसार उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ सकता है.
जबकि आईएनएलडी ने चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ गठबंधन किया था, जेजेपी ने चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व वाली आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन किया था. एग्जिट पोल के अनुसार, जाटों और दलितों के बीच कांग्रेस के वोट शेयर में सेंध लगाने के इन छोटे गठबंधनों के प्रयास विफल हो गए हैं.
हरियाणा में 5 अक्टूबर को चुनाव हुए थे, जबकि जम्मू और कश्मीर, जो एक केंद्र शासित प्रदेश है, उसमें तीन चरणों में चुनाव हुए थे: 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर.
जम्मू और कश्मीर में, अधिकांश पोलस्टर्स ने नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को स्पष्ट बढ़त के साथ त्रिशंकु सदन की भविष्यवाणी की थी. भाजपा, जो अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू क्षेत्र में एक कमांडिंग प्रदर्शन के आधार पर उस बढ़त को हासिल करने की उम्मीद कर रही थी, 2014 के विधानसभा चुनावों की तुलना में अपने टैली में कोई उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज नहीं कर पाएगी.
2014 में, जब जम्मू और कश्मीर एक राज्य था, भाजपा ने जम्मू क्षेत्र में 25 सीटें जीती थीं, और 28 सीटें जीतकर सबसे पार्टी के रूप में उभरने वाली पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी. लेकिन यह सरकार 2018 में ही गिर गई.
हालांकि, इस बार, अधिकांश एग्जिट पोल के अनुसार, पीडीपी की सीटें आधी से भी कम रह जाएंगी. सी-वोटर इंडिया टुडे ने भविष्यवाणी की है कि भाजपा को 27-32 के बीच सीटें जीतेगी, जबकि एनसी-कांग्रेस गठबंधन को 90 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीटें या निचले स्तर पर 40 सीटें मिल सकती हैं. जम्मू और कश्मीर विधानसभा में भी अब 90 सीटें हैं, किसी भी पार्टी या गठबंधन को सरकार बनाने का दावा करने के लिए कम से कम 46 सीटें जीतने की आवश्यकता होती है.
द रेड माइक के साथ साझेदारी करने वाले एक्सिस माई इंडिया ने जम्मू-कश्मीर में भाजपा को 24-34 सीटें, एनसी-कांग्रेस को 35-45 सीटें और पीडीपी को चार से छह सीटें मिलने का अनुमान लगाया है. महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें निर्दलीय समेत अन्य दल, जिनमें से कुछ भाजपा समर्थित हैं, केंद्र शासित प्रदेश में आठ से 23 सीटें जीत सकते हैं, जो त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में सत्ता की कुंजी होगी.
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