बेंगलुरु: सूरज रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते कर्नाटक में चुनावी राजनीति में प्रवेश करने के लिए- तीन पीढ़ियों में – गौड़ा वंश के आठवें सदस्य बन गए हैं.
सक्रिय राजनीति में अब तक के सबसे अधिक सदस्यों वाले राजनीतिक परिवारों में, गौड़ा परिवार नेहरू-गांधी परिवार के बाद दूसरे स्थान पर हैं.
मंगलवार को कर्नाटक के पूर्व मंत्री एचडी रेवन्ना के पुत्र, हासन निर्वाचन क्षेत्र से कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुने गए, उन्होंने 1,433 मतों के अंतर से जीत हासिल की.
द्विसदनीय विधायिका के उच्च सदन में 25 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव 10 दिसंबर को हुआ था. 20 जिलों के नगर निगमों, ग्राम पंचायतों और नगर पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के निर्वाचित सदस्य चुनाव में मतदाता होते हैं.
अपने परिवार के घरेलू मैदान से सूरज की उम्मीदवारी ने जनता दल सेक्युलर के खिलाफ वंशवादी राजनीति के आरोपों को तेज कर दिया था. आलोचना के बावजूद उन्होंने नामांकन दाखिल किया था.
पार्टी सुप्रीमो और पूर्व पीएम एच.डी. देवेगौड़ा ने हासन में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक में उम्मीदवारों पर उनकी राय पूछते हुए इन आरोपों से इनकार करने की मांग की थी. यह पिता-पुत्रों की पार्टी नहीं है. उम्मीदवार के नाम की घोषणा करने से पहले विधायकों, उम्मीदवारों और पार्टी कार्यकर्ताओं की राय ली जाएगी. सूरज को बाद में उनके दादा ने उम्मीदवार के रूप में चुना था.
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गौड़ा वंश
सूरज गौड़ा परिवार के आठवें सदस्य हैं. अपने दादा- पूर्व पीएम और वर्तमान राज्यसभा सांसद – से लेकर अपने छोटे भाई, जो लोकसभा सांसद हैं के बाद चुने गए हैं.
सूरज के चाचा और चाची- एच.डी. कुमारस्वामी और अनीता कुमारस्वामी – कर्नाटक विधान सभा के वर्तमान सदस्य हैं. एच.डी. कुमारस्वामी दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. दोनों मौकों पर उन्होंने गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया.
सूरज के पिता एच.डी. रेवन्ना, कर्नाटक विधान सभा के सदस्य हैं. उनकी मां भवानी रेवन्ना हसन से पूर्व जिला पंचायत सदस्य हैं. सूरज खुद हासन जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक हैं. सूरज और उनकी मां भवानी रेवन्ना दोनों एमएलसी टिकट की दौड़ में थे.
सूरज के छोटे भाई, प्रज्वल रेवन्ना, 2019 में हसन से लोकसभा सांसद के रूप में चुने गए थे. उनके चचेरे भाई निखिल कुमारस्वामी ने 2019 में मांड्या लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए थे. निखिल और प्रज्वल दोनों ने 2019 में चुनावी राजनीति में अपनी शुरुआत की, लेकिन वर्षों से जद (एस) के आधिकारिक सदस्य रहे हैं.
निखिल वर्तमान में जद (एस) की युवा शाखा के अध्यक्ष हैं.
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