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Tuesday, 17 December, 2024
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पूर्व राजनयिक, एक गायक और तीन दलबदलू — जानिए कौन हैं पंजाब में BJP के उम्मीदवार

भाजपा की पहली सूची में 3 दलबदलू शामिल हैं — पूर्व कांग्रेस नेता रवनीत सिंह बिट्टू और परनीत कौर और पूर्व आप सांसद सुशील रिंकू. पार्टी ने गायक हंस राज हंस को भी फरीदकोट से मैदान में उतारा है.

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चंडीगढ़: आगामी संसदीय चुनावों के लिए पंजाब में भारतीय जनता पार्टी द्वारा घोषित छह उम्मीदवारों की पहली सूची में तीन दलबदलू, एक गायक और एक पूर्व राजनयिक शामिल हैं.

पंजाब में 1 जून को 13 संसदीय सीटों के लिए मतदान होगा और भाजपा ने घोषणा की है कि वे सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी पहले ही चुनाव के लिए सात उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है.

भाजपा द्वारा घोषित छह उम्मीदवारों में से तीन सिख और बाकी हिंदू हैं.

आप के एकमात्र सांसद सुशील रिंकू (48) जो पिछले सप्ताह भाजपा में शामिल हुए थे, जालंधर से पार्टी के उम्मीदवार हैं, यह सीट उन्होंने पिछले साल हुए उपचुनाव में जीती थी.

रिंकू आप द्वारा घोषित पहले आठ उम्मीदवारों की सूची में शामिल थे, जिसने अभी तक उनके स्थान पर किसी अन्य उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

दो साल से भी कम समय में यह तीसरी पार्टी है जिसमें रिंकू शामिल हुए हैं. उन्होंने 2022 में जालंधर पश्चिम से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में AAP के शीतल अंगुराल के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन असफल रहे. अंगुराल भी अब बीजेपी के साथ हैं.

पटियाला से भाजपा ने वर्तमान कांग्रेस सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर (79) को मैदान में उतारा है, जो पूर्व कांग्रेसी हैं, जिन्होंने 2021 में पार्टी से कड़वाहट के साथ नाता तोड़ लिया और अपना खुद का संगठन, पंजाब लोक कांग्रेस बनाया, जिसका अंततः भाजपा में विलय हो गया.

चार बार की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर को पिछले साल “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के लिए कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने भाजपा के कार्यक्रमों के दौरान अपने पति का खुलकर समर्थन करना शुरू कर दिया था और आखिरकार इस महीने की शुरुआत में भाजपा में शामिल हो गईं.

कांग्रेस के एक अन्य मौजूदा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू (48), जो पिछले हफ्ते भाजपा में शामिल हुए थे, लुधियाना से पार्टी के उम्मीदवार हैं. पंजाब के दिवंगत मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते, बिट्टू तीन बार के सांसद हैं. उन्होंने 2014 और 2019 में लुधियाना और उससे पहले 2009 में आनंदपुर साहिब से जीत हासिल की थी.

पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को पंजाब में दो दशकों से चले आ रहे आतंकवाद को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है. बिट्टू ने भी राज्य में सिख कट्टरपंथियों की खुले तौर पर निंदा की है.


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बीजेपी के अन्य उम्मीदवार

अन्य उम्मीदवारों में भाजपा ने पंजाबी सूफी गायक हंस राज हंस (61) को मैदान में उतारा है, जो 2016 में पार्टी में शामिल हुए और 2019 का संसदीय चुनाव उत्तर पश्चिम दिल्ली की आरक्षित सीट से जीते थे.

हालांकि, वे एक बार फिर दिल्ली से चुनाव लड़ने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन गायक अब एक अन्य आरक्षित सीट फरीदकोट में पंजाबी अभिनेता-गायक करमजीत अनमोल, जो आप उम्मीदवार हैं और एक राजनीतिक धुरंधर हैं, के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.

इस महीने की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुए सेवानिवृत्त राजनयिक तरनजीत सिंह संधू (61) अमृतसर से पार्टी के उम्मीदवार हैं, जिन्हें पवित्र शहर से उनके गहरे संबंध के लिए चुना गया है. उनके दादा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के संस्थापक सदस्यों में से थे.

1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी, संधू अमेरिका सहित कई देशों में राजदूत रहे हैं. राजनीति में यह उनका पहला कदम है.

अमृतसर 2014 से कांग्रेस के पास है. दिवंगत अरुण जेटली और हरदीप पुरी जैसे केंद्रीय मंत्री अतीत में यहां से असफल रूप से चुनाव लड़ चुके हैं.

भाजपा ने आखिरी बार यह सीट 2009 में जीती थी, जब क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू, जो उस समय पार्टी में थे, ने जीत हासिल की थी.

संधू का मुकाबला आप के कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल से होगा.

गुरदासपुर में भाजपा ने एक दशक में पहली बार, एक गैर-सेलिब्रिटी को मैदान में उतारा है, अभिनेता और मौजूदा सांसद सनी देओल की जगह भाजपा के पुराने नेता, ठाकुर दिनेश कुमार ‘बब्बू’ (61) को मैदान में उतारा है. पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बब्बू सुजानपुर से तीन बार के पूर्व विधायक हैं. उन्होंने आखिरी बार 2017 के विधानसभा चुनावों में सीट जीती थी, लेकिन 2022 में कांग्रेस के नरेश पुरी से हार गए थे.

गुरदासपुर करीब तीन दशक से बीजेपी के लिए अहम सीट रही है. उस समय में बीजेपी केवल दो बार सीट हारी थी — 2009 में जब कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने भाजपा सांसद और अनुभवी अभिनेता विनोद खन्ना को हराकर इसे जीता था और 2017 के संसदीय उपचुनाव में, जब वर्तमान भाजपा प्रमुख सुनील जाखड़ थे. खन्ना की मृत्यु के बाद कांग्रेस ने इसे जीत लिया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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