नई दिल्लीः विदेश मंत्रालय से हटने के बाद पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इन दिनों कहां हैं और क्या कर रही हैं यह जिज्ञासा इन दिनों दिल्ली के पॉवर कॉरिडोर में सबको है. विदेश मंत्री से हटने के बाद सुषमा स्वराज पिछले एक महीने में भाजपा के किसी भी कार्यक्रम में नहीं दिखी हैं. पिछले महीने केवल एक बार उपराष्ट्रपति से मिलने गईं थीं. वह सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय नहीं हैं पर उनके नए घर में शिफ़्ट होने की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर आने के बाद कौतूहल बढ़ गई है कि सुषमा स्वराज की राजनैतिक भागदौड़ से दूर पारिवारिक जिंदगी की ये तस्वीरें महज तस्वीरें हैं या ये कुछ और भी कहना चाहती हैं और इनका इशारा कहीं और है?
तस्वीरें हमेशा शब्दों पर भारी पड़ती हैं और बात अगर राजनीति की हो तो ये और सटीक बैठती है. कई बार संवाद खत्म हो जाए तो तस्वीरों का सहारा लेना पड़ता है.
यह भी पढ़ेंः अरुण जेटली अपने निजी घर में जाएंगे, सुषमा स्वराज के सामने घर बचाने का संकट?
सबसे पहले तस्वीरों को समझने की कोशिश करतें है. सुषमा स्वराज अपने नए घर की एक तस्वीर में पति स्वराज कौशल के साथ चाय पी रहीं हैं जो उनके पारिवारिक जीवन में मशगूल होने का संदेश देती है.
दूसरी तस्वीर बालकनी में खींची गई है जो कहती है कि वो स्वस्थ हैं और फ़ुरसत के क्षणों का पूरा आनन्द ले रहीं हैं. तीसरी तस्वीर उनके ड्राइंग रूम की है जो उनके पति स्वराज कौशल और बेटी बांसुरी के वकालत के प्रोफेसन में होने की निरंतरता को दिखाती है पर सारी तस्वीरों से एक मुकम्मल संदेश निकलता है वह यह कि सुषमा स्वराज स्वस्थ हैं और फ़ुरसत के क्षणों का भरपूर आन्नंद उठा रहीं है. लेकिन क्या तस्वीरें इतना ही बता रहीं है या फिर कोई राजनैतिक इशारा करने की कोशिश कर रही हैं कि वह नई राजनैतिक ज़िम्मेदारियों के लिए तैयार हैं?
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से अगर सुषमा स्वराज के ट्विटर टाइमलाइन पर नज़र डालें तो अब तक उन्होंने एक महीने में कुल 12 ट्वीट किए हैं. सबसे पहला ट्वीट नतीजे आने के बाद 23 मई का है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को इतनी बड़ी जीत दिलाने के लिए धन्यवाद और अभिनन्दन किया है.
वहीं एक दिलचस्प बात यह भी है कि सुषमा स्वराज ट्विटर पर अब पीएम मोदी सहित किसी को भी फॉलो नहीं करतीं.
विदिशा लोक सभा क्षेत्र के मतदाताओं को मेरा कृतज्ञता पूर्ण अभिवादन. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री रमाकांत भार्गव को 5 लाख से अधिक वोटों से जिता कर आपने विदिशा का सम्मान और गौरव बढ़ाया है.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) May 24, 2019
उसी दिन पीएम मोदी के दो ट्वीट को उन्होंने रिट्वीट भी किया है. अगले दिन यानि नतीजे आने के बाद 24 मई को उन्होंने विदिशा की जनता को धन्यवाद देते हुए ट्वीट किया है कि बीजेपी सांसद रमाकान्त भार्गव को विदिशा से जिताने के लिए मतदाताओं का अभिनंदन है.
नई सरकार के गठन से पहले एक उल्लेखनीय ट्वीट 26 मई का है जिसमें वो विदेश मंत्री के रूप में गोसेवा में डूबी जर्मनी की रहने वाली पद्मश्री से सम्मानित महिला के वीज़ा अवधि बढ़ाने को लेकर मंत्रालय के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगती है.
उसके बाद सीधे मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के दिन यानि 30 मई की रात 10 बजे का उनका ट्वीट है जिसमें वो प्रधानमंत्री मोदी को पिछले मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री के रूप में मान-सम्मान देने के लिए उनका आभार प्रकट करती हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि शपथ ग्रहण समारोह से आने के तुरंत बाद यह ट्वीट किया गया है.
प्रधान मंत्री जी – आपने 5 वर्षों तक मुझे विदेश मंत्री के तौर पर देशवासियों और प्रवासी भारतीयों की सेवा करने का मौका दिया और पूरे कार्यकाल में व्यक्तिगत तौर पर भी बहुत सम्मान दिया. मैं आपके प्रति बहुत आभारी हूँ. हमारी सरकार बहुत यशस्विता से चले, प्रभु से मेरी यही प्रार्थना है.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) May 30, 2019
उसके बाद एक उल्लेखनीय ट्वीट 10 जून का है जब वो उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मिलने जाती हैं और आंध्र प्रदेश के एक बीजेपी नेता के उन्हें आंध्र के नए राज्यपाल बनने की बधाई देने के बाद ट्विटर पर क़यास छिड़ जाता है कि क्या उन्हें राज्यपाल का पद ऑफर किया गया है? जिस पर खुद सुषमा सफाई देती हैं कि शिष्टाचार मुलाकात से लोगों ने मुझे राज्यपाल बना दिया.
I called on the Vice President of India Shri Venkaiah Naidu ji on demitting office as Minister of External affairs. This was enough for Twitter to appoint me as the Governor of Andhra Pradesh.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) June 10, 2019
10 जून के बाद सुषमा 21 मई को योग दिवस पर जनता को बधाई देती हैं. 23 मई को श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस को याद करतीं हैं. स्वराज 29 मई को दशकों से रह रहे अपने आधिकारिक निवास 8 सफदरजंग से शिफ़्ट होने की सूचना सोशल मीडिया पर देती हैं और उसके अगले दिन उनके नए घर में शिफ़्ट होने की तस्वीरें आतीं हैं जिन तस्वीरों से राजनैतिक कौतूहल और बढ़ जाता है.
क्या वेंकैया से मुलाकात महज शिष्टाचार मुलाकात थी?
इस मुलाकात को सुषमा ने शिष्टाचार वश की गई मुलाकात बताया था पर यह भी सच है कि वेंकैया राज्यसभा के उपसभापति होने के नाते पीएम मोदी से अच्छे रिश्ते रखते हैं और राज्यसभा में बहुमत न होने के बाद भी सदन को अच्छे ढंग से चलाकर सत्ता और विपक्ष के बीच एक बेहतर संतुलन बनाने में योगदान दिया है. यह भी महज संयोग ही है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की इजाद की गई शब्दावली दिल्ली-4 के नेताओं में शामिल सिर्फ वेंकैया ही हैं जो मोदी के दूसरे कार्यकाल में भी राज्यसभा उपसभापति के रूप में अपनी उपयोगिता को अक्षुण्ण बनाए रखा है. अरुण जेटली अपने स्वस्थ्य कारणों से मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए, सुषमा भी मोदी-2 मंत्रिमंडल में जगह नहीं पा सकीं और अनंत कुमार की भी लंबी बीमारी के कारण असामयिक मौत हो गई.
क्यों सुषमा मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना पाईं?
इसकी कई कहानियां हैं पर सभी को एक सूत्र में पिरोयें तो लगता है प्रधानमंत्री उस जगह पर एक ज्यादा ऊर्जावान और अपने साथ विदेश दौरों पर जाने वाले अधिकारी किस्म के व्यक्ति की तलाश में थे जिसके लिए एस जयशंकर फिट बैठे. कूटनीति का ज्यादातर काम खुद प्रधानमंत्री करते हैं. उसमें उनकी मदद सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और एस जयशंकर करते हैं. पीएम मोदी के शासन मॉडल में विदेश नीति का प्रमुख स्थान रहा है. सुषमा का कद और थोड़ा स्वास्थ्य उसमें रुकावट बन रहा था.
वैसे तो बीच चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सुषमा का चुनाव लड़ने से इंकार करने के फैसले का ऐलान करना भी शाह मोदी को पसंद नहीं आया था और कई बीजेपी नेता सुषमा को मंत्रिमंडल में न लिए जाने के पीएम के फैसले को इस घटना से जोड़कर देखते हैं. पर मोदी को समझने वाले नेताओं के मुताबिक सिर्फ यह वजह नहीं हो सकती.
क्या सुषमा स्वराज को राज्यपाल का पद दिया जा सकता है?
वैसे तो इस प्रश्न का जवाब केवल प्रधानमंत्री मोदी के पास है लेकिन मोदी शाह के बारे में एक बात पूरे दावे के साथ कही जा सकती है कि वो फैसले लेने में अप्रत्याशित हैं और अगर वजह केवल स्वास्थ्य हो तो स्वास्थ्य लाभ के लिए जुलाई में खाली हो रहे राज्यपाल पद के लिए सुषमा स्वराज मुफ़ीद बैठती हैं पर वजह कुछ और हो तो फिर पूर्व विदेश मंत्री को नए मौसम का इंतज़ार करना होगा.