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Monday, 6 May, 2024
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कर्नाटक में ईश्वरप्पा के बेटे को नहीं मिला टिकट, शिवमोग्गा के लिए BJP के पास है लिंगायत कैंडीडेट

जहां टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी है, वहीं मौजूदा विधायक ईश्वरप्पा, जिन्होंने पिछले हफ्ते चुनाव न लड़ने की घोषणा की उनका कहना है कि शिवमोग्गा से पार्टी उम्मीदवार चन्नबसप्पा की बड़े अंतर से जीत सुनिश्चित करनी होगी.

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बेंगलुरु: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मौजूदा विधायक वरिष्ठ नेता के.एस. ईश्वरप्पा के बेटे को शिवमोग्गा शहर का टिकट देने से इनकार कर दिया है.

बुधवार देर रात जारी अपनी अंतिम सूची में, पार्टी ने शिवमोग्गा उम्मीदवार के रूप में लिंगायत एस एन चन्नबसप्पा को नॉमिनेट किया. अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र मानवी से पार्टी ने बी. वी. नायक को मैदान में उतारा है, जो इस सप्ताह के शुरू में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. इसके साथ ही बीजेपी ने राज्य की सभी 224 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. सूची में कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है क्योंकि गुरुवार को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है.

शिवमोग्गा से पांच बार के विधायक और भाजपा के सबसे प्रमुख कुरुबा (एक पिछड़ी हिंदू जाति) के नेताओं में से एक ईश्वरप्पा के चुनाव न लड़ने की और चुनावी राजनीति से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा करने के एक हफ्ते बाद पार्टी की तरफ से यह घोषणा की गई है.

जहां टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी है, वहीं ईश्वरप्पा ने कहा कि उनका काम खत्म हो गया है और उन्हें बड़े अंतर से चन्नबसप्पा की जीत सुनिश्चित करनी है. गुरुवार सुबह पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “भाजपा ने शिवमोग्गा से चन्नबसप्पा को टिकट दिया है. उन्होंने जिले में संगठन बनाने का काम किया है, विभिन्न भूमिकाओं में काम किया है और विभिन्न जिम्मेदारियों को निभाया है.”

ईश्वरप्पा के बेटे के.ई. कांतेश पहले जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए टिकट पाने के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश की थी. समर्थन के लिए उन्होंने बी.एस. येदियुरप्पा से भी मुलाकात की थी.

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इस बीच, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कहा कि भाजपा लिंगायतों पर कांग्रेस द्वारा “गलत सूचना अभियान” का मुकाबला करने के लिए काम कर रही है. लिंगायत वोटों को लुभाने के कांग्रेस के कथित प्रयास का मुकाबला करने की रणनीति पर चर्चा करने के लिए पार्टी ने येदियुरप्पा के आवास पर वरिष्ठ नेताओं की बैठक भी की.

बोम्मई ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा, “1967 से, 1990 तक – वीरेंद्र पाटिल के नौ महीने के शासन को छोड़कर – कांग्रेस में एक भी लिंगायत मुख्यमंत्री नहीं बना… बल्कि कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय को तोड़ने का प्रयास किया (2018 में जब सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिया). , लोग यह नहीं भूलेंगे कि उन्होंने वोट बैंक के लिए एक समुदाय को तोड़ने की कोशिश कैसे की.

मुख्यमंत्री इस बात का जिक्र कर रहे थे कि कैसे 2018 में चुनाव से पहले सिद्धारमैया ने वीरशैव और लिंगायत के बीच अंतर करने की कोशिश की थी, जबकि राज्य के तमाम भागों में दोनों को एक ही माना जाता है. सिद्धारमैया सरकार ने कहा था कि अल्पसंख्यक धर्म श्रेणी में केवल उन्हीं वीरशैवों को शामिल किया जा सकता है जो 12वीं सदी के समाज सुधारक बासवन्ना के आदर्शों का पालन करते हैं.

बीजेपी की लिस्ट को लेकर दरार

भाजपा ने कम से कम 22 मौजूदा विधायकों को बदल दिया है – कुछ ने खुद चुनाव न लड़ने की घोषणा की है और कई अन्य को छोड़ दिया गया है या परिवार के किसी और सदस्य को टिकट दे दिया गया है.

परिवार के किसी सदस्य की जगह लेने वालों में बी. वाई. विजयेंद्र प्रमुख हैं, जिन्हें अपने पिता बी.एस. येदियुरप्पा की जगह शिकारीपुरा से टिकट मिला है. येदियुरप्पा ने पिछले साल ही चुनाव न लड़ने का फैसला कर लिया था.

आनंद सिंह, जिन्होंने 2019 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर लिया था, उनकी जगह उनके बेटे को विजयनगर से टिकट दिया गया है.

इसी तरह, पार्टी ने आने वाले चुनावों के लिए महादेवपुरा के वर्तमान विधायक अरविंद लिंबावली की जगह उनकी पत्नी मंजुला अरविंद लिंबावली को टिकट दिया है.

कई विधायकों ने अपनी शिकायतों को सार्वजनिक रूप से रखा है और या तो भाजपा से अलग होने का संकेत दिया है या पहले ही ऐसा कर चुके हैं.

टिकट न मिलने पर पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार कांग्रेस में शामिल हो गए. शेट्टार के साथ बातचीत के दौरान, पार्टी ने कथित तौर पर परिवार के एक सदस्य को टिकट देने की पेशकश की थी.

के. रघुपति भट, शेट्टार, एस. अंगारा, एस.ए. रामदास, नेहरू ओलेकर जैसे नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी. उनका कहना था कि उन्हें पहले से सूचित भी नहीं किया गया था कि उन्हें लिस्ट से बाहर किया जा रहा है.

कांग्रेस और जेडी (एस) की सूची

कांग्रेस ने बुधवार को अपनी अंतिम सूची भी जारी कर दी, जिसमें रायचूर निर्वाचन क्षेत्र से मोहम्मद शालम, सिडलगट्टा से बी.वी. राजीव गौड़ा, सी.वी. रमन नगर से एस. आनंद कुमार, अरकलगुड से एच.पी. श्रीधर गौड़ा और मैंगलोर सिटी नॉर्थ से इनायत अली शामिल हैं.

इसने मोहम्मद यूसुफ सवानूर को टिकट नहीं दिया और बोम्मई के खिलाफ शिगगांव से यासिर अहमद खान पठान को अपना उम्मीदवार बनाया है.

बेंगलुरु के पुलकेशिनगर से कांग्रेस विधायक आर अखंड श्रीनिवास मूर्ति ने पार्टी द्वारा उन्हें टिकट देने में हिचकिचाहट के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया. मूर्ति ने 2018 में 81,626 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो राज्य में सबसे अधिक मतों में से एक था.

जनता दल (सेक्युलर) या जेडी (एस) ने 12 उम्मीदवारों के टिकट वापस ले लिए क्योंकि इसने बल्लारी शहर से अनिल लाड जैसे नेताओं को समायोजित करने के लिए अंतिम समय में बदलाव किए. इसने चिकमंगलूर जिले के मुदिगेरे से भाजपा के पूर्व विधायक एमपी कुमारस्वामी को भी मैदान में उतारा है.

कभी येदियुरप्पा के करीबी सहयोगी और रिश्तेदार रहे एन.आर. संतोष ने हासन में अर्सीकेरे से चुनाव लड़ने के लिए जेडी (एस) का टिकट पाने में कामयाब रहे, जबकि पार्टी ने भाजपा के पूर्व एमएलसी अयनूर मंजूनाथ को भी टिकट दिया है.

पार्टी ने 200 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है और कुछ स्थानों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) को समर्थन दिया है. जेडी (एस) ने कांग्रेस के दिवंगत नेता आर. ध्रुवनारायण के बेटे दर्शन ध्रुवनारायण को नंजनगुड से उम्मीदवारी का समर्थन करने का फैसला किया है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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