पटना: बिहार को शराब मुक्त रखने के लिए उनकी सरकार पर बने हुए भारी दबाव के बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मंगलवार को उस समय घोर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, जब भारी सुरक्षा और कड़े प्रतिबंधों के बावजूद राज्य विधानसभा परिसर से शराब की आधा दर्जन खाली बोतलें बरामद की गईं.
राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस मसले पर विधानसभा में हंगामा किया और इसके पार्टी प्रमुख और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने तो मुख्यमंत्री के इस्तीफे तक की मांग की. सत्ताधारी जनता दल (यूनाइटेड) की ओर से राज्य के वरिष्ठ मंत्री विजय कुमार चौधरी ने घटना की तत्काल जांच की पेशकश कर सदन को शांत करने का प्रयास किया.
यह घटना नीतीश द्वारा शराब, जिसे बिहार में 2016 से प्रतिबंधित कर दिया गया है, की खपत और व्यापार पर नकेल कसने की घोषणा के कुछ ही दिनों बाद सामने आई है. वर्तमान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार पुलिस के कर्मियों को शराब तलाशी के सिलसिले में शादी समारोहों पर छापा मारने की अनुमति देने के लिए विपक्षी दलों के हमलों का सामना कर रहे हैं
दिप्रिंट से बात करते हुए, तेजस्वी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे बिहार को शराब मुक्त रखने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं, जबकि वह अपने कार्यालय से मुश्किल से 50 मीटर की दूरी पर विधानसभा परिसर के अंदर शराब के आने को रोक नहीं सकते हैं?’
नीतीश के सदन में पहुंचने के बाद, उन्होंने इस मामले में जांच शुरू करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति मांगी और विधानसभा में सुरक्षा कड़ी कर दी.
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विधानसभा में हुई तीखी नोकझोंक
विधानसभा में मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए, तेजस्वी ने कहा, ‘नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री दोनों हैं. विधानसभा के अंदर शराब की बोतलों की मौजूदगी के लिए वह स्वयं जिम्मेदार हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम लगातार कहते रहे हैं कि प्रतिबंध के बावजूद बिहार में शराब की होम डिलीवरी (घर पहुंचाने का कार्य) हो रही है, और लगभग 65 लोगों की मौत नकली शराब के सेवन से हुई है. लेकिन यह तो कुछ ज्यादा ही हो गया.’
हालांकि, यह स्पीकर विजय कुमार सिन्हा थे, जिन्होंने 2016 में बिहार मद्यनिषेध विधेयक के पारित होते समय अपने स्वयं के द्वारा किये गए विरोध की याद दिलाते हुए सरकार और विपक्ष दोनों को बैकफुट (रक्षात्मक मुद्रा) पर ला दिया. वह तब भारतीय जनता पार्टी विधायक के रूप में विपक्ष का हिस्सा थे., जबकि राजद जद (यू) के साथ सरकार का हिस्सा था.
सिन्हा ने कहा, ‘2016 में, जब बिहार मद्यनिषेध विधेयक पारित किया जा रहा था, तब मैं विपक्ष में था और आप (तेजस्वी) सत्ता पक्ष के खेमें में थे. मुझे याद है कि मैंने इस विधेयक की उस धारा का विरोध किया था जो शराब की खाली बोतल की बरामदगी के आधार पर किसी व्यक्ति के अभियोजन (मुकदमा चलाये जाने) और गिरफ्तारी की अनुमति देती है.’
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने तब विधायकों से पूछा था कि अगर कोई विरोधी उनके घरों या परिसर में एक खाली बोतल रखवा दे तो वे क्या करेंगे?
उन्होंने कहा, ‘अगर तब आप दोनों ने मेरी बात सुनी होती, तो आज हम यह चर्चा नहीं कर रहे होते .’
उस समय तक नीतीश सदन में पहुंच चुके थे. उन्होंने कहा, ‘यह घटना वाकई शर्मनाक है. यदि आप (अध्यक्ष) इसकी अनुमति देते हैं, तो मैं इस मामले की तुरंत जांच करवाऊंगा. यह कोई छोटी घटना नहीं है. हम विधानसभा परिसर में शराब लाने वालों को नहीं बख्शेंगे.’
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष की सहमति से नीतीश ने मामले की जांच शुरू की, राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को अपने कार्यालय में बुलाया और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी. शाम तक, कारों को परिसर से दूर स्थानांतरित कर दिया गया था.
हाल के दिनों में नीतीश को विपक्ष, खासकर राजद और कांग्रेस ने, अपने निशाने पर लिया है और वे शराबबंदी कानून को खत्म किये जाने की मांग कर रहे हैं.
29 नवंबर को, राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेत्री राबड़ी देवी ने बिना सर्च वारंट (तलाशी आदेश) के शराब की तलाश में दुल्हनों के कमरे में पुलिस के प्रवेश के खिलाफ राज्य विधान परिषद के बाहर हुए एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया. उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश ने बिहार की महिलाओं का अपमान किया है.
भाजपा के एक विधायक के अनुसार, मंगलवार को सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के विधायकों की एक बैठक में नीतीश ने सभी विधायकों को शराबबंदी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए कहा था. उन्होंने आदिवासियों द्वारा महुआ के फूलों (जो देशी शराब बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं) के संग्रह को वैध बनाने का सुझाव देने के लिए भाजपा विधायक निक्की हेम्ब्रम को फटकार भी लगाई.
इस विधायक ने आगे कहा कि नीतीश के अपने सहयोगी भी उनकी इस ‘सख्त हाथोँ’ वाली रणनीति से चिंतित हैं. इस विधायक ने कहा, ‘जिस तरह से पुलिस को दुल्हन के कमरे तक घुसने दिया जा रहा है, उसे लेकर राज्य के मध्यम वर्ग में भारी नाराजगी है. नीतीश कुमार के खिलाफ उनकी नाराजगी बढ़ रही है, और हमें अगले चुनावों में उनके आक्रोश का सामना भी करना पड़ सकता है .’
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