चेन्नई: चुनाव आयोग (ECI) द्वारा अंबुमणि रामदास को अगस्त 2026 तक पट्टाली मक्कल काची (PMK) का अध्यक्ष मान्यता देने की बात, जिसे उनके समर्थकों ने सोमवार को जारी एक पत्र में बताया, पार्टी में पिता-पुत्र के बीच खींचतान के बीच नया विवाद खड़ा कर रही है.
अंबुमणि खेमे के प्रवक्ता और वकील के. बालू ने मीडिया से कहा कि ECI ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को PMK प्रमुख के रूप में मान्यता दी है. इसके अगले ही दिन पार्टी के संस्थापक एस. रामदास के नेतृत्व वाले गुट ने इस दावे को खारिज कर दिया और चुनाव आयोग व अदालत का रुख करने का निर्णय लिया.
रामदास खेमे का कहना है कि अंबुमणि का कार्यकाल 28 मई को समाप्त हो गया था और पार्टी संस्थापक के रूप में रामदास ने उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर ला दिया था. जबकि अंबुमणि के समर्थकों का दावा है कि वही असली PMK हैं.
बालू ने दिप्रिंट से कहा, “चुनाव आयोग को भेजे गए पत्र के आधार पर उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया और मौजूदा पदाधिकारियों को मान्यता दी. इससे अंबुमणि पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे और रामदास अय्या हमारे संस्थापक हैं.”
अंबुमणि गुट द्वारा जारी ECI के पत्र के अनुसार—जो 9 सितंबर को अंडर सेक्रेटरी लव कुश यादव द्वारा हस्ताक्षरित था—चुनाव आयोग ने पार्टी पदाधिकारियों के कार्यकाल को अगस्त 2026 तक बढ़ाने के अनुरोध को मान लिया.
पत्र में लिखा था, “10.08.2025 और 11.08.2025 के पत्रों के संदर्भ में यह कहा जाता है कि पार्टी के पदाधिकारियों के कार्यकाल को 1 अगस्त 2026 तक बढ़ाने के अनुरोध को सक्षम प्राधिकारी ने स्वीकार कर लिया है.”
अंबुमणि समर्थकों के अनुसार, 9 अगस्त को हुई पार्टी की महासभा बैठक में उनके कार्यकाल को बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया गया था. इसी बैठक में वडिवेलु रवनन को महासचिव और तिलगबामा को कोषाध्यक्ष के रूप में कार्यकाल बढ़ाने का निर्णय लिया गया.
लेकिन रामदास समर्थक जोर देकर कहते हैं कि अंबुमणि का कार्यकाल 28 मई को समाप्त हो गया. विधायक आर. अरुल ने कहा, “हमने इस बदलाव की जानकारी ECI को दी थी. अगस्त में हुई तथाकथित महासभा बैठक अनधिकृत थी और पार्टी संविधान से ऊपर नहीं हो सकती.”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पार्टी मुख्यालय को संस्थापक की अनुमति के बिना स्थानांतरित कर दिया गया. “इस पत्र का मतलब यह नहीं है कि अंबुमणि पार्टी अध्यक्ष हैं. यह केवल जमा किए गए दस्तावेज़ों को स्वीकार करने जैसा है. इसे ECI की मान्यता नहीं माना जा सकता, लेकिन अंबुमणि समर्थक इस पत्र का इस्तेमाल अपने नेतृत्व का दावा करने के लिए कर रहे हैं.”
अरुल ने कहा कि अब रामदास समर्थक ECI से संपर्क कर अगस्त की महासभा बैठक की वैधता पर सवाल उठाएंगे. “हम औपचारिक सुनवाई की मांग करेंगे ताकि पार्टी के उपनियमों के अनुसार तय हो सके कि असली नियंत्रण किसके पास है.”
रामदास गुट अब एक जनसंपर्क अभियान पर भी काम कर रहा है. अरुल ने कहा, “PMK की पहचान, चुनाव चिह्न और विरासत डॉ. रामदास अय्या ने बनाई है. इसे हड़पा नहीं जा सकता.”
हालांकि, राज्य के राजनीतिक पर्यवेक्षक कहते हैं कि भले ही ECI का पत्र अंबुमणि को अल्पकालिक बढ़त दे, लेकिन पार्टी पर नियंत्रण और कार्यकर्ताओं की निष्ठा के मामले में संस्थापक गुट की पकड़ अब भी उत्तरी जिलों में मजबूत है.
राजनीतिक विश्लेषक रवींद्रन दुरईसामी ने कहा, “यह केवल पारिवारिक झगड़ा नहीं है. यह इस बात को लेकर है कि उत्तरी तमिलनाडु में अहम वन्नियार वोट बैंक पर किसका अधिकार होगा. भले ही उनकी संख्या किसी को सीधा जीत न दिला सके, लेकिन वे 5 प्रतिशत वोटों के साथ उत्तरी बेल्ट में निर्णायक कारक बन गए हैं.”
इस विवाद ने PMK को—जो कभी गठबंधन की अहम खिलाड़ी थी—अनिश्चितता में डाल दिया है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK), जो उत्तरी जिलों में PMK के वन्नियार वोट बैंक पर निर्भर रहे हैं, के लिए यह नेतृत्व विवाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में और हलचल पैदा कर रहा है.
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