मुंबई: पिछले साल जून में शिवसेना पार्टी में हुए दो फाड़ को सात महीने बीत चुके हैं और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट अभी तक मुंबई में शाखाओं का एक विस्तृत नेटवर्क तैयार नहीं कर पाया है.
हालांकि, एक जगह है जहां पार्टी ने कैडर बेस स्थापित करने के लिए सबसे ज्यादा प्रयास किए वो हैं – वर्ली, उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे का निर्वाचन क्षेत्र.
सबसे निचले स्तर पर स्थापित की जाने वालीं प्रशासनिक इकाइयां यानी शाखाएं परंपरागत रूप से शिवसेना की ज़मीनी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रही हैं.
पार्टी ने हमेशा अपनी शाखाओं के माध्यम से एक समानांतर शासन प्रणाली चलाई है, लोगों की खराब सड़कों, गंदे शौचालयों, सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने में आने वाली बाधाओं आदि पर ध्यान दिया है और उन्हें हल करने की कोशिश की है.
पार्टी पदाधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया, शिंदे के नेतृत्व वाली बालासाहेबंची शिवसेना ने वर्ली और पड़ोसी क्षेत्र सेवरी में कम से कम 65 पदाधिकारी नियुक्त किए हैं, दोनों अविभाजित शिवसेना के गढ़ हैं. पार्टी अगले महीने तक वर्ली में शाखाओं की संख्या मौजूदा एक से छह तक ले जाने की दिशा में प्रयासरत है.
उन्होंने कहा कि यह मुंबई के कुछ क्षेत्रों में से एक है जहां पार्टी ने लगभग सभी प्रशासनिक पदों पर अधिकारी नियुक्त किए हैं.
शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की प्रवक्ता शीतल म्हात्रे ने दिप्रिंट को बताया, “वर्ली आदित्य ठाकरे का निर्वाचन क्षेत्र हो सकता है, लेकिन यह आदित्य ठाकरे का गढ़ कभी नहीं था.”
म्हात्रे ने दिप्रिंट से कहा, “वर्ली में हमारे साथ जुड़ने के लिए बहुत से लोग तैयार हैं, कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे शायद ही कभी अपने विधायक से मिले हैं. हमें इस बात पर संदेह है कि आदित्य ठाकरे कितनी बार अपने निर्वाचन क्षेत्र में शाखाओं के अंदर जाकर बैठे होंगे.”
लेकिन वर्ली से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के एक वरिष्ठ नेता आशीष चेंबूरकर ने कहा, “जो लोग वर्ली में शिंदे गुट में शामिल हुए हैं, वे दिल से असली शिवसैनिक नहीं हैं. वे सभी अवसरवादी हैं. हमारा कोई भी मौजूदा पदाधिकारी उनके साथ नहीं गया है.”
उन्होंने कहा, “उनकी (शिंदे खेमे की) कोशिशों का वर्ली में कोई फल नहीं मिलने वाला है.”
गौरतलब है कि पिछले साल जून में, शिंदे ने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिराने के लिए शिवसेना के अधिकांश विधायकों के विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसमें ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल थी. इसके बाद शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ एक नए गुट का गठन किया और राज्य के सीएम बन गए.
इस विद्रोह के कारण शिवसेना में विभाजन हो गया, शिंदे ने पार्टी के चिन्ह और नाम पर दावा किया है. हालांकि, मामले की सुनवाई वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा की जा रही है.
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आदित्य के गढ़ पर ध्यान ज़रूरी
वर्ली तीन दशकों से शिवसेना का गढ़ रहा है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पार्टी ने 1990 के बाद से केवल साल 2009 को छोड़कर हर चुनाव में सीट जीती है. 2009 में एनसीपी के सचिन अहीर विजयी हुए थे. हालांकि, अहीर अब शिवसेना के साथ हैं.
वर्ली में पार्टी के एक प्रमुख पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, अभी तक, बालासाहेबंची शिवसेना की वर्ली निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक शाखा है, लेकिन अगले महीने के अंत तक पांच और स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है.
उन्होंने कहा, “हम इन शाखाओं के लिए लोगों की पहचान कर रहे हैं. जो लोग हमारे पास आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर वर्षों से शिवसेना के कार्यकर्ता हैं, लेकिन ठाकरे के नेतृत्व में उन्हें पार्टी के भीतर पर्याप्त अवसर नहीं मिले हैं.”
इस महीने की शुरुआत में, बालासाहेबंची शिवसेना ने विभिन्न पदों के लिए वर्ली और सेवरी में 65 पदाधिकारी नियुक्त किए हैं, जिनमें विधानसभा क्षेत्रों के समन्वयक और शाखा प्रमुख से लेकर सोशल मीडिया के कार्यकर्ता और युवा सेना के सदस्य शामिल थे.
पदाधिकारी ने कहा, “इसमें उप शाखा प्रमुख, इमारत प्रमुख (संबंधित शाखा के अधिकार क्षेत्र में आने वाली प्रत्येक इमारत के प्रतिनिधि) जैसे कुछ जूनियर रैंक शामिल नहीं हैं. हम सूक्ष्म स्तर पर ये नियुक्तियां करने की प्रक्रिया में हैं.”
पार्टी से जुड़े सूत्रों ने कहा, “इन नियुक्तियों के लगभग एक हफ्ते बाद, बालासाहेबंची शिवसेना ने वर्ली, सेवरी और भायखला के सभी पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाई, जिसमें उन्हें आधार पंजीकरण, मतदाता पंजीकरण और कौशल विकास के लिए कैंप जैसे जन कल्याणकारी कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए कहा गया ताकि अधिक से अधिक लोगों को आकर्षित किया जा सके और ये सुनिश्चित किया जा सके कि लोग जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उन्हें तुरंत संबंधित सरकारी विभाग के समक्ष रखा जाए.”
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पूरे मुंबई में शाखाओं का संघर्ष
पार्टी के सूत्रों ने कहा, ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की मुंबई के लगभग सभी 227 प्रशासनिक वार्डों में शाखाएं हैं. दूसरी ओर, बालासाहेबंची शिवसेना शहर भर में केवल कुछ ही शाखाएं स्थापित कर पाई है.
उन्होंने कहा, इसका मुख्य कारण, ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष और तीर’के मूल चिन्ह पर शिंदे खेमे के दावे पर अनिश्चितता रही.
शिंदे गुट के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘धनुष और तीर का प्रतीक मुंबई में बहुत मायने रखता है. एक बार जब हमें यह मिल जाएगा तो शाखाएं खोलना और पदों को भरना आसान हो जाएगा.”
म्हात्रे के अनुसार, अब तक, मुंबई के 36 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक में पार्टी की कम से कम एक शाखा है और ‘‘कुल नियुक्तियों में से लगभग 90 प्रतिशत नियुक्तियां की जा चुकी हैं”.
म्हात्रे ने कहा, शाखाओं की संख्या और गतिविधि का स्तर उन विधानसभा क्षेत्रों में अधिक है जहां शिवसेना के स्थानीय विधायक शिंदे के विद्रोह में शामिल हुए, जैसे मगथाने, कुर्ला, दादर और भायखला, जो छह सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं. बालासाहेबंची शिवसेना मुंबई में संगठनात्मक कार्यों की देखरेख करेगी.
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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