नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे से राज्य की हालिया राजनीतिक स्थिति के बारे में चर्चा की.
सोमवार को मनसे नेता इस बात की पुष्टि की है.
मनसे नेता ने कहा कि शिंदे ने राज ठाकरे से दो बार फोन पर बात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी ली. मनसे के एक नेता ने पुष्टि की कि ‘शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिदे ने राज ठाकरे से दो बार फोन पर बात की. शिंदे ने ठाकरे से महाराष्ट्र की हालिया राजनीतिक स्थिति के बारे में बात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली.’
इससे पहले रविवार को, शिंदे ने मुंबई बम विस्फोट के दोषियों, दाऊद इब्राहिम और निर्दोष लोगों की जान लेने के लिए जिम्मेदार लोगों का कथित रूप से समर्थन करने के लिए पार्टी की आलोचना की.
शिंदे ने ट्वीट किया, ‘बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना उन लोगों का समर्थन कैसे कर सकती है जिनका मुंबई बम विस्फोट के दोषियों, दाऊद इब्राहिम और मुंबई के निर्दोष लोगों की जान लेने के लिए जिम्मेदार लोगों से सीधा संबंध था. इसलिए हमने ऐसा कदम उठाया, मरना बेहतर है.’
उन्होंने आगे कहा कि बागी विधायक हिंदुत्व की विचारधारा का पालन करने के लिए मरने के बाद भी इसे अपनी नियति मानेंगे.
उनकी टिप्पणी शिवसेना विधायक संजय राउत द्वारा बागी विधायकों को ‘जीवित लाश’ कहने के बाद आई और कहा कि उनकी ‘आत्माएं मर चुकी हैं.’
पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राउत ने कहा, ‘गुवाहाटी में 40 विधायक जिंदा लाश हैं, उनकी आत्माएं मर चुकी हैं. उनके शरीर वापस आने पर पोस्टमार्टम के लिए सीधे विधानसभा भेजे जाएंगे. वे जानते हैं कि यहां लगी आग में क्या हो सकता है.’
हालांकि, शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि 20 मई को सीएम उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को सीएम बनने के लिए कहा था लेकिन उस समय उन्होंने ड्रामा किया और अब ठीक एक महीने बाद उन्होंने बगावत कर दी.
खासतौर से, एकनाथ शिंदे खेमे में मौजूद पूर्व मंत्री और शिवसेना विधायक दीपक केसरकर ने कहा था कि शिंदे कैंप के विधायक किसी भी समय महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए तैयार हैं लेकिन पहले एकनाथ शिंदे गुट को मान्यता दी जानी चाहिए.
दिलचस्प बात यह है कि शिंदे गुट ने अपने समूह का नाम ‘शिवसेना बालासाहेब’ रखा है. शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के नाम पर समूह का नामकरण करने के बाद उद्धव गुट से तीखी प्रतिक्रियाओं आ रही हैं क्योंकि मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग पार्टी छोड़ चुके हैं उन्हें पार्टी के संस्थापक के नाम पर वोट नहीं मांगना चाहिए.
इस बीच, शिंदे ने बागी विधायकों के खिलाफ डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
याचिका में शिंदे के स्थान पर अजय चौधरी को सदन में शिवसेना के विधायक नेता के रूप में नियुक्त करने को भी चुनौती दी गई है.
याचिकाकर्ता शिंदे ने विधायक दलबदल नियमावली के नियम 6 के तहत अयोग्यता याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं करने और बागी विधायकों को हटाने के प्रस्ताव तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए डिप्टी स्पीकर को निर्देश जारी करने की मांग की है.
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