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Wednesday, 18 December, 2024
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बिहार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास जारी रहेंगे, पीएम ने कहा, कृषि सुधार 21 वीं सदी के भारत की जरूरत

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्य की 14,258 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाली नौ राजमार्ग परियोजनाओं और सभी 45,945 गांवों को इंटरनेट से जोड़ने के लिए ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाओं का उद्घाटन किया.

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नई दिल्ली:  बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्य की 14,258 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाली नौ राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया. इसके अलावा उन्होंने बिहार के सभी 45,945 गांवों को इंटरनेट से जोड़ने के लिए ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाओं का भी उद्घाटन किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को संसद से पारित कृषि सुधारों से संबंधित विधेयकों को ऐतिहासिक करार देते हुए सोमवार को कहा कि ये सुधार 21 वीं सदी के भारत की जरूरत हैं और इससे किसानों का भविष्य उज्ज्वल होगा. उन्होंने किसानों को आवश्वस्त किया कि इससे न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और न ही कृषि मंडियां समाप्त होंगी बल्कि इससे किसानों के हितों की रक्षा होंगी.

साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को पिछले दिनों पास हुए कृषि बिल पर कहा, ‘मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि MSP की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी.’ पीएम ने इस दौरान किसानों से कहा मैं देश के लोगों को, देश के किसानों, देश के उज्ज्वल भविष्य के आशावान लोगों को भी इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं.

बिहार चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा कई योजनाओं का उद्घाटन के दौरान कहा, ’21वीं सदी के भारत का ये दायित्व है कि वो देश के किसानों के लिए आधुनिक सोच के साथ नई व्यवस्थाओं का निर्माण करे. देश के किसानों को, देश की खेती को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारे प्रयास निरंतर जारी रहेंगे. इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलते रहेंगे.

उल्लेखनीय है कि कृषि क्षेत्र से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयकों कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को रविवार को राज्यसभा ने ध्वनिमत मंजूरी दे दी. ये विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुके हैं. इस प्रकार इन विधेयकों को संसद की मंजूरी मिल गई है, जिन्हें अब राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जायेगा और राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाने पर इन्हें अधिसूचित कर दिया जाएगा.

पीएम ने कहा, ‘बीते 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है और 2014 से पहले के 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है, उसके आंकड़े इसकी गवाही देते हैं. अगर दलहन और तिलहन की बात करें तो पहले की तुलना में, दलहन और तिलहन की सरकारी खरीद करीब 24 गुना अधिक की गई है.’

उन्होंने कहा, ‘कोरोना संक्रमण के दौरान भी रबी सीजन में किसानों से गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की गई है. इस साल रबी में गेहूं, धान, दलहन और तिलहन को मिलाकर, किसानों को 1 लाख 13 हजार करोड़ रुपये MSP पर दिया गया है. ये राशि भी पिछले साल के से 30% से ज्यादा है.’


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‘किसानों को गुमराह करने में जुटे कुछ लोग’

पीएम ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘कृषि क्षेत्र में इन ऐतिहासिक बदलावों के बाद, इतने बड़े व्यवस्था परिवर्तन के बाद कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिखाई दे रहा है.’

‘इसलिए अब ये लोग MSP पर किसानों को गुमराह करने में जुटे हैं.’

पीएम ने आश्वासन दिया कि ये कानून, ये बदलाव कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं. कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा. बल्कि ये हमारी ही एनडीए सरकार है जिसने देश की कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर काम किया है. अब देश अंदाजा लगा सकता है कि अचानक कुछ लोगों को जो दिक्कत होनी शुरू हुई है, वो क्यों हो रही है.

कई जगह ये भी सवाल उठाया जा रहा है कि कृषि मंडियों का क्या होगा. मैं कहना चाहता हूं कि ‘कृषि मंडियां कतई बंद नहीं’ होंगी.

मध्य प्रदेश, यूपी, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में दालें बहुत होती हैं. इन राज्यों में पिछले साल की तुलना में 15 से 25 प्रतिशत तक ज्यादा दाम सीधे किसानों को मिले हैं. दाल मिलों ने वहां भी सीधे किसानों से खरीद की है, सीधे उन्हें ही भुगतान किया है. किसानों को मिली इस आजादी के कई लाभ दिखाई देने शुरू हो गए हैं, क्योंकि इसका अध्यादेश कुछ महीने पहले निकला गया था.

ऐसे प्रदेश जहां पर आलू बहुत होता है, वहां से रिपोर्ट्स हैं कि जून-जुलाई के दौरान थोक खरीदारों ने किसानों को अधिक भाव देकर सीधे कोल्ड स्टोरेज से ही आलू खरीद लिया है.
नए कृषि सुधारों ने किसान को ये आजादी दी है कि वो किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल अपनी शर्तों बेच सकता है.

उसे अगर मंडी में ज्यादा लाभ मिलेगा, तो वहां अपनी फसल बेचेगा. मंडी के अलावा कहीं और से ज्यादा लाभ मिल रहा होगा, तो वहां बेचने पर भी मनाही नहीं होगी.

हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे. इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे, जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे.


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बिहार को सौगात

पीएम ने कहा आज बिहार की विकास यात्रा का एक और अहम दिन है. अब से कुछ देर पहले बिहार में कनेक्टिविटी को बढ़ाने वाली 9 परियोजनाओं का शिलान्यास किया है. इन परियोजनाओं के लिए बिहार के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं. पीएम ने कहा, ‘आने वाले 4 -5 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 110 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें से भी 19 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट केवल हाईवे से जुड़े हैं.’

बिहार की कनेक्टिविटी में सबसे बड़ी बाधा बड़ी नदियों के चलते रही है. यही कारण है कि जब पीएम पैकेज की घोषणा हो रही थी तो पुलों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया था. इस पैकेज के तहत गंगा जी के ऊपर कुल 17 पुल बनाए जा रहे हैं, जिसमें से अधिकतर पूरे हो चुके हैं.

अटल जी की सरकार ने सबसे पहले इंफ्रास्ट्रक्चर को राजनीति का, विकास की योजनाओं का प्रमुख आधार बनाया था. इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर अब जिस स्केल पर काम हो रहा है, जिस स्पीड पर काम हो रहा है, वो अभूतपूर्व है:

दुनिया में उसी देश ने सबसे तेज़ तरक्की की है, जिसने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर गंभीरता से निवेश किया है. लेकिन भारत में दशकों तक ऐसा रहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े और व्यापक बदलाव लाने वाले प्रोजेक्ट्स पर उतना ध्यान नहीं दिया गया.

Telemedicine के माध्यम से अब दूर-सुदूर के गांवों में भी सस्ता और प्रभावी इलाज गरीब को घर बैठे ही दिलाना संभव हो पाएगा. हमारे किसानों को तो इससे बहुत अधिक लाभ होगा. अच्छी फसल, मौसम का हाल जैसी कई जानकारियां उन्हें आसानी से मिलेंगी. यही नहीं बीते 6 साल में देशभर में 3 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर भी ऑनलाइन जोड़े गए हैं. अब यही कनेक्टिविटी देश के हर गांव तक पहुंचाने के लक्ष्य साथ देश आगे बढ़ रहा है.

इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ-साथ अब ये भी जरूरी है कि देश के गांवों में अच्छी क्वालिटी, तेज रफ्तार वाला इंटरनेट भी हो. सरकार के प्रयासों की वजह से देश की करीब डेढ़ लाख पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहले ही पहुंच चुका है:
देश के गांवों में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या शहरों से ज्यादा हो जाएगी, ये कुछ वर्षों तक सोचना मुश्किल था. किसान, गांव के युवा, महिलाएं आसानी से इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगे इस पर भी लोग सवाल उठाते थे, लेकिन अब सारी स्थितियां बदल गई है.


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