मुंबई: महाराष्ट्र दौरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को मुंबई में थे, जहां उन्होंने वी.डी. सावरकर द्वारा लिखे गए देशभक्ति गीत अनादि मी, अनंत मी को पहला छत्रपति संभाजी महाराज राज्य प्रेरणा गीत पुरस्कार प्रदान किया.
यह समारोह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ में सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में आयोजित किया गया. स्वातंत्र्यवीर सावरकर फाउंडेशन की ओर से दिवंगत हिंदू विचारक वी.डी. सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने पुरस्कार ग्रहण किया.
पुरस्कार समारोह के बाद शाह को वीर सावरकर की याद में मुंबई विश्वविद्यालय में भाषण देना था और “स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर ज्ञान एवं शोध केंद्र” का उद्घाटन करना था. हालांकि, मुंबई और दिल्ली दोनों जगहों पर खराब मौसम के कारण उन्होंने अपना दौरा छोटा कर दिया और वर्षा से दिल्ली लौट आए.
मुख्यमंत्री फडणवीस ने शाह की ओर से भाषण दिया, जिसके दौरान उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सावरकर के योगदान की प्रशंसा की.
फडणवीस ने कहा, “मैं सावरकर के नाम पर ज्ञान और शोध केंद्र का उद्घाटन करने के लिए मुंबई विश्वविद्यालय को धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि उनका जीवन अध्यायों से भरा है और अगर हम 25 साल तक हर अध्याय पर काम और शोध करें, तो भी हम इसे पूरा नहीं कर पाएंगे. उनका योगदान बहुत बड़ा है और इसलिए यह उचित है कि यह केंद्र उनके नाम पर खोला जाए.”
उन्होंने कहा कि वह सावरकर की बैरिस्टर की डिग्री को बहाल करने के लिए औपचारिक रूप से प्रयास शुरू करेंगे, जिसे ब्रिटिश अधिकारियों ने रोक लिया था.
उन्होंने कहा, “सावरकर ने लंदन में अपनी कानून की पढ़ाई पूरी की, लेकिन उन्हें बैरिस्टर की डिग्री नहीं दी गई क्योंकि उन्होंने ब्रिटिश क्राउन के प्रति निष्ठा रखने से इनकार कर दिया था. यह न केवल उनकी बुद्धि के साथ अन्याय था, बल्कि उनकी अटूट देशभक्ति का प्रमाण भी था. राज्य सरकार अब उचित सम्मान के साथ उनकी डिग्री वापस लेने के लिए ब्रिटिश सरकार से पत्राचार शुरू करेगी.”
उन्होंने विपक्ष पर सावरकर को ‘माफीवीर’ कहने के लिए भी हमला बोला.
उन्होंने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उसने विपक्ष पर सावरकर को माफीवीर कहने के लिए हमला बोला. मुझे लगता है कि कम से कम अब वह मूर्ख उन्हें उस नाम से पुकारना बंद कर देंगे. मुझे उम्मीद है कि अब वह ठीक से व्यवहार करेंगे, लेकिन मुझे यकीन है कि ऐसा नहीं होगा.”
फडणवीस ने सावरकर के जीवन के बारे में भी बात की और बताया कि कैसे स्वतंत्रता सेनानी ने युवाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया.
उन्होंने कहा, “लंदन जाने के बाद उन्होंने कई लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन की ओर मुड़ने के लिए प्रेरित किया. उनके लेखन ने कई लोगों के भीतर स्वतंत्रता की लौ जलाई और कई और युवा स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए. उनमें बहुत आत्मविश्वास और ताकत थी. जब उन्हें पकड़ा गया और जब लगा कि उनके लिए सब कुछ खत्म हो गया है, तो अपनी हिम्मत बनाए रखने के लिए उन्होंने अनादि मी, अनंत मी गीत लिखा. यही बात उन्हें सबसे अलग बनाती है.”
फडणवीस ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सेलुलर जेल में सावरकर के समय के बारे में भी बात की, जहां उन्हें अंग्रेज़ों ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. सीएम ने कहा कि तब भी सावरकर की भावनाएं मज़बूत थीं और वह अपने साथ जेल में बंद साथी स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित करते रहे.
फडणवीस ने कहा कि रिहाई के बाद सावरकर ने समाज में जातिगत भेदभाव के बारे में विस्तार से लिखा और कहा कि ये लेख आज भी उपलब्ध हैं. फडणवीस ने कहा कि सावरकर ने हिंदू धर्म पर कई किताबें भी लिखीं, विभिन्न रीति-रिवाजों पर सवाल उठाए और उनका मानना था कि अगर कोई रीति-रिवाज विज्ञान द्वारा समर्थित नहीं है, तो वे उसमें विश्वास नहीं करते.
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