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Friday, 1 November, 2024
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उत्तराखंड में दिखा कानून वापसी का असर, राज्य के सिखों ने कहा अब नहीं करेंगे BJP का बहिष्कार

लेकिन सिख नेताओं ने कहा कि इसका मतलब ये ज़रूरी नहीं है कि वो बीजेपी को वोट देंगे, बल्कि केवल इतना है कि वो उसे सिख-बहुल क्षेत्रों में पार्टी गतिविधियां आयोजित करने देंगे.

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देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के एक दिन बाद, सिख किसानों और समुदाय के नेताओं ने शनिवार को दिप्रिंट से कहा कि वो अब बीजेपी का बहिष्कार नहीं करेंगे.

उन्होंने कहा कि वो अनौपचारिक बैन, जिसमें समुदाय के सदस्यों और नेताओं को बीजेपी में शामिल होने या सत्तारूढ़ पार्टी की गतिविधियों में शामिल होने से रोका गया था. अब प्रभावी नहीं है.

सिख समुदाय और किसान नेताओं ने आगे कहा, कि हालांकि उनका आंदोलन जारी रहेगा, जैसा कि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के निर्देश हैं और समुदाय से जो लोग बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं, वो ऐसा कर सकते हैं.

कुमाऊं के उधम सिंह नगर जिले के गांवों में, सिख समुदाय के लोगों की प्रधानता है.

बीकेयू प्रदेश अध्यक्ष करम सिंह पद्दा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के तीनों कृषि कानून रद्द करने की घोषणा के बाद, खासकर उधम सिंह नगर जिले के सिख समुदाय में, एक संतोष की भावना आ गई है लेकिन आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक वादे पर अमल नहीं हो जाता. लेकिन अब बीजेपी नेता और सिख समुदाय या उससे बाहर के उनके कार्यकर्त्ता, हमारे गांवों में दाख़िल हो सकते हैं, और अपने प्रचार और रैलियां कर सकते हैं’.

लेकिन, पद्दा ने आगे कहा कि सत्ताधारी पार्टी को उनके समुदाय का विश्वास फिर से हासिल करने में समय लगेगा.

उन्होंने कहा, ‘बीजेपी के खिलाफ असंतोष के बीज कृषि कानूनों के खिलाफ चले लंबे विरोध प्रदर्शन और आंदोलन के दौरान बोए गए थे. पिछले एक वर्ष में किसानों को अत्यधिक प्रतिकूल मौसम, और सुरक्षा बलों की ज़्यादतियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन वो अडिग रहे’. इसे एक या दो दिन में भुलाया नहीं जा सकता. चीजे सुधरेंगी लेकिन उसमें समय लगेगा’.

बीकेयू प्रदेश उपाध्यक्ष अजीत रंधावा ने दिप्रिंट से कहा, कि ये कहना मुश्किल है कि आगामी असेम्बली चुनावों में, सिख मतदाता बीजेपी का समर्थन करेंगे कि नहीं, लेकिन उन्होंने आगे कहा कि पीएम के सार्वजनिक ऐलान ने, उत्तराखंड के सिखों के लिए पार्टी में शामिल होने, और उसके चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने का रास्ता साफ कर दिया है.

रंधावा ने कहा, ‘बीजेपी के बहिष्कार वाला बैन हटा लिया गया है. बीजेपी के स्थानीय सिख नेता और कार्यकर्त्ता, अपनी पसंद के हिसाब से पार्टी गतिविधियों में शरीक होने के लिए आजाद हैं. हम जानते हैं कि कुमाऊं के तराईं क्षेत्र में सिख समुदाय के कितने सदस्य, बीजेपी की नियमित गतिविधियों में हिस्सा लेना चाहते हैं, लेकिन वो लोग आंदोलनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए रुके हुए थे’.

कुमाऊं के तराईं क्षेत्र का लगभग हर किसान करीब एक साल से गाज़ीपुर बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन का समर्थन कर रहा था. क्षेत्र के 11 में से 9 विधानसभा क्षेत्रों में सिख मतदाताओं की निर्णायक भूमिका रहती है. एक को छोड़कर, 2017 में बीजेपी ने बाक़ी सभी सीटें जीत लीं थीं.


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BJP का अकेला सिख विधायक उत्तराखंड का सबसे प्रसन्न व्यक्ति

बीजेपी के अकेले सिख विधायक हरभजन सिंह चीमा ने, जो उधम सिंह नगर के काशीपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं, दिप्रिंट को बताया कि आज वो उत्तराखंड के सबसे चिंतामुक्त व्यक्ति और राजनेता हैं चूंकि उनके ऊपर राज्य विधान सभा से इस्तीफा देकर, किसान आंदोलन में शामिल होने का दबाव था.

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री का ऐलान सबसे सही समय पर आया है. कांग्रेस और दूसरी सियासी पार्टियां प्रधानमंत्री तथा बीजेपी को, ऐसा दिखा रहे थे कि जैसे वो किसान-विरोधी और सिख-विरोधी थे’. उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे राजनीतिक विरोधियों ने पूरे सिख समुदाय में बीजेपी के खिलाफ ज़हर भर दिया था. ये सब हरियाणा में शुरू हुआ और फिर पंजाब शिफ्ट हो गया, जिसका मक़सद बीजेपी और सिखों के बीच दरार पैदा करना था, लेकिन अब चीज़ों में सुधार होगा, और उत्तराखंड में हर कोई पहले की तरह बीजेपी के लिए काम करना शुरू कर देगा. कुछ ही दिन की बात है कि सिख समुदाय के नेता और समर्थक, बीजेपी के साथ वापस आ जाएंगे’.

चार बार के बीजेपी विधायक चीमा ने स्वीकार किया, कि उन पर उत्तराखंड के सिख नेताओं का भारी दवाब था कि वो बीजेपी छोड़ दें, लेकिन वो किसी तरह उसे झेल गए.

उन्होंने कहा, ‘वो मुझपर दबाव डाल रहे थे कि मैं अपनी असैम्बली सदस्यता त्याग दूं, और बीजेपी से इस्तीफा दे दूं, लेकिन मैं किसी तरह बना रहा. मैं तब तक गांववासियों तक पहुंचकर पार्टी के लिए प्रचार नहीं कर पाया, जब तक पीएम ने कृषि क़ानूनों को रद्द करने के फैसले का ऐलान नहीं कर दिया. लेकिन अब उत्तराखंड में चीजें बीजेपी के पक्ष में बदलेंगी’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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