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Thursday, 14 November, 2024
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बंगाल ‘SSC घोटाले’ की जांच में ED को मिला ‘नगरपालिका भर्ती रैकेट’ का मामला, क्या कहती है रिपोर्ट

कलकत्ता HC की जांच के आदेश के कुछ दिन बाद CBI ने सोमवार को 200 करोड़ रुपये के कथित घोटाले को लेकर FIR दर्ज की. ED ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शिक्षकों की भर्ती में ‘घोटाले’ की जांच के दौरान इस ‘रैकेट’ का पता चला.

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कोलकाता: हाईकोर्ट द्वारा एजेंसी को कथित 200 करोड़ रुपये के रैकेट की जांच करने का आदेश देने के दो दिन बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को पश्चिम बंगाल में नगरपालिका भर्तियों में व्यापक अनियमितताओं के आरोपों के संबंध में एक एफआईआर दर्ज की.

सीबीआई ने अपनी एफआईआर में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से निष्कासित युवा नेता शांतनु बनर्जी के करीबी माने जाने वाले अयान सिल को अन्य अज्ञात आरोपियों के साथ नामजद किया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में 20 मार्च को सिल को गिरफ्तार किया था.

कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश, पिछले हफ्ते ईडी द्वारा न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ को बताने के बाद आया है कि शिक्षकों की भर्ती ‘घोटाले’ की जांच के दौरान उन्हें एक और रैकेट का पता चला- जिसमें लिपिक, सफाई कर्मचारी, चपरासी, नगरपालिका कर्मचारियों की भर्ती और ड्राइवर की भर्ती में घोटाला शामिल है.

नवीनतम ‘रैकेट’, जिसे ईडी ‘नगर पालिका भर्ती घोटाला’ कहता है, बंगाल के उत्तर 24 परगना में कई नागरिक निकायों में भर्तियों में कथित अनियमितताओं से संबंधित है. हाईकोर्ट के समक्ष अपनी स्थिति रिपोर्ट में ईडी ने दावा किया कि संदिग्धों ने ‘‘अयोग्य उम्मीदवारों को अवैध नियुक्तियां’’ देने के लिए नगरपालिका भर्ती परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर किया. दिप्रिंट ने इसकी स्टेटस रिपोर्ट देखी है.

यह घटनाएं सत्तारूढ़ टीएमसी के लिए एक बड़ा झटका है, जो 2021 में तीसरी बार सत्ता में आई थी. न केवल इसके कई प्रमुख नेता, जैसे पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी जिनसे स्कूल सेवा आयोग घोटाला मामले और मवेशियों की तस्करी मामले में पूछताछ की जा रही है. इसके अलाना ममता बनर्जी की अगुआई वाली पार्टी को इस महीने की शुरुआत में एक और झटका लगा जब उसने अपनी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया.

मार्च में पार्टी ने दो नेताओं – शांतनु बनर्जी और एक अन्य युवा नेता, कुंतल घोष – को “भ्रष्टाचार के प्रति शून्य-सहिष्णुता” का हवाला देते हुए, शिक्षक भर्ती ‘घोटाले’ में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर निष्कासित कर दिया था. इस मामले में नेताओं की गिरफ्तारी के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूरी जांच की मांग की है.

पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार ने दिप्रिंट को बताया, “मैं केंद्रीय शहरी विकास मंत्री को पत्र लिखूंगा कि नगरपालिका घोटाले की जांच के लिए पश्चिम बंगाल में एक केंद्रीय टीम भेजी जाए. स्थिति तो ऐसी है कि बंगाल में किसी को भी टीएमसी नेताओं को रिश्वत दिए बिना नौकरी नहीं मिल सकती है.”

टीएमसी ने हालांकि, अपनी ओर से कहा कि वह किसी भी जांच का सामना करने को तैयार है.

ईडी द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष अपनी स्थिति रिपोर्ट पेश करने के तुरंत बाद, पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हाकिम ने 21 अप्रैल को मीडियाकर्मियों से कहा था, “हम किसी भी टीम का स्वागत करेंगे जो आएगी. हमने ईमानदारी से काम किया है और हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है.”

सीबीआई की एफआईआर पर टिप्पणी मांगने के लिए दिप्रिंट ने टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष से संपर्क की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. हालांकि, प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


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‘घोटालों की कमाई आपस में मिल गई’

एफआईआर कथित शिक्षक भर्ती घोटाले के संबंध में ईडी की स्थिति रिपोर्ट के बाद आई है. ईडी की स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, 21 अप्रैल को हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गई, इसकी जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज़ में कथित तौर पर एक समान रैकेट का खुलासा हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक, सिल ने कथित तौर पर इस प्रक्रिया में 200 करोड़ रुपये से अधिक “इकट्ठा” किए.

स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया, “पीएमएलए, 2002 के तहत प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले के संबंध में जांच के दौरान, 19/20.03.2023 को अयान सिल और अन्य से जुड़े विभिन्न परिसरों में तलाशी ली गई. तलाशी के दौरान, डिजिटल सबूतों के साथ कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए और जब्त किए गए.”

इसमें आगे कहा गया, “आपत्तिजनक दस्तावेज़ की जांच से पता चला है कि घोटाला केवल शिक्षकों की भर्ती तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विभिन्न नगर पालिकाओं (कांचरापाड़ा, न्यू बैरकपुर, कमरहाटी, टीटागढ़, बारानगर, हालीशहर, सहित) द्वारा कई अन्य नियुक्तियों को भी शामिल किया गया है. साउथ दम दम (एन), दम दम, टाकी आदि) जिसमें मजदूर, सफाई कर्मचारी, क्लर्क, चपरासी, एंबुलेंस अटेंडेंट, सहायक मिस्त्री, पंप ऑपरेटर, हेल्पर, सेनेटरी सहायक, ड्राइवर आदि की भर्तियां होती हैं.”

सिल, जो वर्तमान में ईडी की हिरासत में है और उनके सहयोगी कथित तौर पर भर्ती परीक्षा में हेरफेर करने के बदले में भर्ती परीक्षा में हेरफेर करेंगे.

स्थिति रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “यह देखा गया है कि अयान सिल अन्य एजेंटों, बिचौलियों और राजनीतिक व्यक्तियों सहित कई व्यक्तियों ने शिक्षा क्षेत्र में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की अवैध भर्ती के संबंध में विभिन्न नगर पालिकाओं में विभिन्न रोजगार हासिल करने के लिए रिश्वत अवैध धन प्राप्त किया है. यहां तक कि शिक्षक भर्ती घोटाले और नगर पालिका भर्ती घोटाले के अपराध की आय भी आपस में मिल गई है.”

ईडी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि एजेंसी सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मामले में वित्तीय लिंक की जांच कर सकती है.

अयान सिल कौन है?

रियल एस्टेट डेवलपर और फिल्म निर्माता सिल को 20 मार्च को गिरफ्तार किया गया था जब ईडी ने कोलकाता के साल्ट लेक में स्थित उनके घर पर छापा मारा था.

ईडी का दावा है कि हुगली के एक साधारण परिवार से आने वाले सिल एबीएस इंफोज़ोन प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक फर्म के निदेशक हैं, जिसने पूरे पश्चिम बंगाल में नगर पालिकाओं में भर्तियों की सुविधा प्रदान की.

ईडी का यह भी दावा है कि छापे के दौरान, उसे “आपत्तिजनक सबूत” मिले, जिसमें मूल ओएमआर शीट भी शामिल थी, जिन पर भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी और उसके बाद उनमें हेरफेर की गई थी.

ओएमआर, या ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन, शीट आमतौर पर प्रतियोगी परीक्षाओं में उपयोग की जाती हैं जिनमें बहुविकल्पीय प्रश्न होते हैं. उम्मीदवार विकल्पों के बगल में चिह्नित गोल बुलबुलों को भरते हैं, जो अंततः ओएमआर रीडर का उपयोग करके पढ़े जाते हैं.

ईडी के मुताबिक सिल रिश्वत के लिए ओएमआर शीट में हेरफेर करता था. ईडी के मुताबिक, उनके 23 बैंक खातों और कम से कम आठ संपत्तियों की जांच चल रही है.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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