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Friday, 26 April, 2024
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दिल्ली में महिलाओं को फ्री मेट्रो-बस सेवा, ई श्रीधरन ने पीएम को पत्र लिख जताई नाराजगी

विरोध में अब मेट्रो मैन का नाम भी जुड़ गया है. उन्होंने केजरीवाल सरकार की इस पहल को मेट्रो को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है.

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नई दिल्लीः दिल्ली में महिलाओं को मेट्रो-बसों फ्री सफर को लेकर समर्थन और विरोध दोनों देखने को मिल रहा है. इसके विरोध में अब मेट्रो मैन ई-श्रीधरन का नाम भी जुड़ गया है. उन्होंने केजरीवाल सरकार की इस पहल को मेट्रो को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है. उन्होंने 10 जून को पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को गलत ठहराया है.


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सूत्र के अनुसार ई. श्रीधरन ने पत्र में लिखा है कि मेट्रो का स्टाफ यहां तक मैनेजिंग डायरेक्टर भी जब यात्रा करता है तो टिकट लेता है. इस योजना पर 1000 करोड़ खर्च आएगा और यह खर्च आगे चलकर और बढ़ेगा. समाज का एक हिस्सा रियायत पाएगा तो दूसरा हिस्सा भी ऐसी ही मांग करेगा. जैसे कि छात्र, विकलांग, वरिष्ठ नागरिक वगैरह. ये लोग जो कि ज्यादा इसके लिए हकदार हैं. यह मांग देश के दूसरे मेट्रो में भी फैलेगी. इससे दिल्ली मेट्रो अक्षम और कंगाल हो जाएगी. अगर वाकई दिल्ली सरकार महिला यात्रियों की मदद चाहती है तो उनके खाते में सीधा पैसे दे सकती है.


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श्रीधरन ने कहा कि 2002 में ही हमने मेट्रो को व्यवस्थित तंत्र बनाये रखने के लिए सैद्धांतिक फैसला किया गया है. उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इसकी तारीफ की थी. यहां तक कि इसके शुरू होने पर अटल जी ने खुद टिकट खरीदकर यात्रा कर ऐसा संदेश दिया था. उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो की इस प्रतिबद्धता का पालन देश के अन्य शहरों की मेट्रो सेवा में भी हो रहा है.

दिल्ली को है 11000 बसों की दरकार

दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) हमेशा से ही बसों की किल्लतों से जूझता रहा है और इसके घाटे में चलने की बात की जाती रही है. ऐसे में महिलाओं की संभावित मुफ्त यात्रा की घोषणा के बाद डीटीसी ने दिप्रिंट से कहा कि बेहतर परिवहन व्यवस्था के लिए 2013 से ही दिल्ली को 11,000 बसों की दरकार है. लेकिन 2019 में भी कुल सरकारी बसों की संख्या महज़ 3800 है.

एक अनुमान के मुताबिक बसों की मौजूदा संख्या 3700 से 3750 के बीच है. 2013 में जब 11,000 बसों की ज़रूरत थी तो ज़ाहिर सी बात है कि 2019 तक राजधानी की आबादी में बढ़ोतरी हुई है और बढ़ी आबादी के हिसाब से 11,000 की मांग का यह आंकड़ा भी बढ़ेगा. लेकिन इस मांग और आपूर्ति के बीच सरकारी बसें काफी कम हैं.

दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने आप की इस घोषणा के बाद दावा किया था, ‘दिल्ली की आबादी 2.25 करोड़ है. इसमें एक करोड़ से अधिक महिलाएं हैं. इनके उचित ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था के लिए 20,000 बसों की दरकार है. दिल्ली में महज़ 3500-3800 (सरकारी) बसें रह गई हैं. जब बसें हैं ही नहीं तो इन्हें बैठाएंगे कहां?’

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