अहमदाबाद: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश के छोटे व्यापारियों की कीमत पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजन से जुड़े रिश्वत के दावे संबंधी खबर की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से कराने की मांग की.
सिंह उस हालिया खबर पर टिप्पणी कर रहे थे, जिसके मुताबिक अमेजन ने 2018 और 2020 के बीच देश में कानूनी व पेशेवर खर्चों के तौर पर 8,546 करोड़ रुपये या 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए.
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को लिखे एक पत्र में हालांकि अमेजन ने इन खबरों को गलत बताया था और कहा था कि ये ‘गलतफहमी से उत्पन्न’ हुई प्रतीत होती हैं.
सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘अब, कानूनी शुल्क या तो अदालती फीस या वकीलों की फीस है. यहां तक कि विधि मंत्रालय का वार्षिक बजट भी केवल 1,100 करोड़ रुपये है, और अधिवक्ताओं की फीस इतनी अधिक नहीं हो सकती है. हम उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा आरोपों की जांच की मांग करते हैं. जांच से पता चलेगा कि किस राजनीतिक दल, अधिकारी और नेता ने रिश्वत ली.’
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या अमेज़न ने (केंद्र) सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में बदलाव के लिए रिश्वत दी, जिससे भारत के छोटे और मध्यम खुदरा विक्रेताओं की कीमत पर इस जैसे ई-कॉमर्स दिग्गजों को सीधे फायदा हुआ.
सिंह ने अमेज़न की सहयोगी कंपनियों के बीच अंतर-कॉरपोरेट संबंधों की जांच की भी मांग की, जिन्होंने खबरों के मुताबिक फीस का भुगतान किया.
यहां कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए, सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पक्ष रखने वाली पत्रिका ‘पांचजन्य’ ने हाल ही में अमेजन की तुलना आज की ईस्ट इंडिया कंपनी से की है ‘क्योंकि मोदी का दृष्टिकोण अब बड़े कॉरपोरेट क्षेत्रों पर केंद्रित है.’ राज्यसभा सदस्य ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने पर कहा था कि उनकी सरकार कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग द्वारा बनाई गई ई-कॉमर्स नीति को जारी रखेगी, लेकिन 2016 में एक प्रमुख नीतिगत बदलाव देखा गया.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने खुदरा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी, ‘जो गली-मुहल्ले की दुकानों पर सीधा हमला था, और तब से लेकर आज तक छोटे और मध्यम खुदरा विक्रेता इससे सबसे ज्यादा त्रस्त हैं.’
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेता (विपक्ष में रहने के दौरान) आधार कार्ड, जीएसटी, मनरेगा और खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के खिलाफ थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद लोगों को गुमराह करने के लिए अपना रुख बदल दिया. उन्होंने कहा, ‘वे (भाजपा) अब पूरी तरह से किसान विरोधी, उपभोक्ता विरोधी, लघु और मध्यम व्यापारी और उद्योग विरोधी हैं.’
उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी, बिना उचित तैयारी के जीएसटी और कोविड-19 महामारी के कारण, चार लाख छोटे और मध्यम उद्योग नष्ट हो गए.
सिंह ने आरोप लगाया, ‘मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की लेकिन इसमें छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए कुछ भी नहीं था. यह बड़े निगमों के बही-खाते को साफ करने के लिए था.’
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल सितंबर में केंद्र द्वारा पारित तीन नए कृषि कानून एपीएमसी में काम कर रहे छोटे और मध्यम व्यापारियों की कीमत पर कृषि क्षेत्र में बड़े निगमों की मदद करने के लिए थे.
उन्होंने मुंद्रा बंदरगाह मादक पदार्थ बरामदगी मामले में उच्चतम न्यायालय से जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी पर भरोसा नहीं है क्योंकि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद विस्फोट मामलों के कई आरोपी बरी कर दिए गए.
सिंह ने कहा कि अगर अभियोजन पक्ष प्रतिवादियों की ओर से बोलना शुरू करता है तो कोई कैसे भरोसा कर सकता है