चंडीगढ़: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उनकी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच गठबंधन के भविष्य पर एक सवाल के जवाब में हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की “मैं ज्योतिषी नहीं हूं” की प्रतिक्रिया ने अगले साल होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले भौंहें चढ़ा दी हैं .
चौटाला ने एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, “मैं एक ज्योतिष नहीं हूं. मैं नहीं कह सकता कि भविष्य में क्या होगा.” हालांकि, उन्होंने कहा कि “आज तक, हमारा भाजपा के साथ गठबंधन है और यह अच्छी तरह से काम कर रहा है और भाजपा-जेजेपी शासन के दौरान राज्य ने अच्छी प्रगति की है”.
संदेह सिर्फ जजपा खेमे तक ही सीमित नहीं है. बीजेपी ने भी अकेले जाने के संकेत दिए हैं. जनवरी में, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने गोहाना में एक रैली में घोषणा की थी कि “कमल (भाजपा का प्रतीक) हरियाणा की सभी 10 (लोकसभा) सीटों पर खिलेगा”.
जहां लोकसभा चुनाव अगले साल मई में होने हैं, वहीं हरियाणा में विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2024 से पहले होने हैं.
पिछले माह हिसार में हुए भाजपा के शक्ति केंद्र प्रमुख सम्मेलन के दौरान राज्य भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनकड़ ने भी आगामी चुनाव अलग लड़ने के संकेत दिये थे व पार्टी कार्यकर्ताओं से सभी दस सीटें जीतने के लिए जुट जाने को कहा था. धनकड़ ने यह भी कहा था कि जेजेपी के कार्यकर्ता भी दुष्यन्त चौटाला के आगे जुड़े उप शब्द से निजात पाना चाहते हैं.
हालांकि दुष्यंत चौटाला अभी तक इस गठबंधन को लेकर आश्वस्त दिखाई देते हैं और जनवरी में घोषणा की कि भाजपा और जजपा अगला चुनाव मिलकर लड़ेंगे.
दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा, “जहां तक अगले साल के चुनावों का सवाल है, हम सभी 10 लोकसभा सीटों के लिए तैयारी कर रहे हैं. हर पार्टी लोकसभा और विधानसभा में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाना चाहती है और इसे ध्यान में रखते हुए हम सभी सीटों पर अपना जनाधार मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.”
उन्होंने आगे बताया, “मैंने एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह कहते हुए सुना कि एक समय था जब बीजेपी सिर्फ दो सीटें जीती थी, लेकिन आज पार्टी के पास 300 सीटें हैं. कोई भी पार्टी खुद को लोकसभा या विधान सभा में अपनी वर्तमान स्थिति तक सीमित नहीं रखना चाहेगी.” उन्होंने आगे कहा, राज्य विधानसभा में हमारे पास 10 सीटें हैं, लेकिन क्या हम खुद को इसी संख्या तक सीमित रखेंगे? इसी तरह, क्या बीजेपी राज्य विधानसभा में अपनी मौजूदा 40 सीटों पर खुद को बनाए रखना चाहेगी?”
2019 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बहुमत से कम 40 सीटें जीती थीं. पार्टी ने तब जेजेपी के साथ सरकार बनाई, जिसने 10 सीटें जीती थीं. उसी वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में, बीजेपी ने सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि आप के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली जेजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी.
दिप्रिंट से बात करते हुए जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने भी कहा कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन अच्छा काम कर रहा है. हमने 2019 में अलग-अलग चुनाव लड़ा था. नतीजों के बाद दोनों दलों ने हाथ मिलाया और हमारा गठबंधन अच्छा काम कर रहा है और पांच साल तक चलेगा.’
उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले, “हम इसे एक साथ लड़ने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक साथ बैठेंगे”.
जेजेपी नेता ने कहा, “अगर हमारी पार्टी लोकसभा और विधानसभा में अपना आधार बढ़ाने की इच्छा रखती है, तो हमारे लिए यह जरूरी नहीं है कि हम अलग-अलग चुनाव लड़ें, यह गठबंधन के भीतर भी किया जा सकता है.”
जब दिप्रिंट ने दुष्यंत चौटाला की “ज्योतिषी नहीं” वाली टिप्पणी पर प्रतिक्रिया के लिए ओपी धनखड़ से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा: “चुनाव बहुत दूर हैं, इसलिए यह सवाल आज प्रासंगिक नहीं है.”
हरियाणा की राजनीति पर टिप्पणीकार योगिंदर गुप्ता ने इस तरह के रुख के पीछे संभावित कारणों की व्याख्या करते हुए कहा कि चुनाव से पहले गठबंधन सहयोगियों द्वारा इसका सहारा लेना कोई नई बात नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल कड़ी सौदेबाजी करते हैं ताकि उन्हें गठबंधन में बेहतर हिस्सेदारी मिल सके. भाजपा के नेता यही कर रहे हैं जब वे कार्यकर्ताओं को सभी 10 सीटों के लिए तैयारी करने के लिए कहते हैं. दुष्यंत ने शनिवार को जो कहा, वह यह संदेश देने का भी एक प्रयास है कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता है.’
संपादन- पूजा मेहरोत्रा
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: गहलोत सरकार के खिलाफ सचिन पायलट का एक दिन का अनशन, कांग्रेस ने इसे पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया