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Tuesday, 7 May, 2024
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कौन जीतेगा- द्रौपदी मुर्मू या यशवंत सिन्हा? अब तक कैसा रहा है राष्ट्रपति चुनावों का सफर

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जब 25 जुलाई को कार्यकाल खत्म होने जा रहा है तो ऐसे में दिप्रिंट भारत में अब तक हुए राष्ट्रपति चुनावों पर नजर डाल रहा है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव में जीत किसकी होगी- द्रौपदी मुर्मू या यशवंत सिन्हा? राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार मुर्मू और विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बीच हो रहे मुकाबले ने इस राष्ट्रपति चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. हालांकि कई वजहों से मुर्मू का पलड़ा भारी है लेकिन कई राज्यों का दौरा कर सिन्हा ने अपने पक्ष में दलों को लाने की भरपूर कोशिश की है.

भारत में अब तक 14 राष्ट्रपति रह चुके हैं. जिनमें राजेंद्र प्रसाद सबसे पहले राष्ट्रपति थे. फिलहाल रामनाथ कोविंद देश के राष्ट्रपति हैं जिनका कार्यकाल 25 जुलाई को पूरा होने वाला है. लेकिन 1950 से लेकर 2022 के बीच देश के 14 राष्ट्रपति रह चुके हैं जिनमें ज्यादातर राष्ट्रपति तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश से बने हैं. वहीं बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब से भी देश को राष्ट्रपति मिले हैं.

भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का बतौर राष्ट्रपति अब तक सबसे लंबा सफर रहा है. वह 12 साल 107 दिन तक राष्ट्रपति के पद पर रहे. वहीं सबसे कम समय यानी 1 साल 355 दिन तक जाकिर हुसैन राष्ट्रपति के पद पर रहे हैं. हालांकि राष्ट्रपति पद पर रहते हुए हुसैन की मृत्यु के बाद वीवी गिरी ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में 78 दिनों तक सेवाएं दी. जिसके बाद चुनाव में जीतकर वे अगले पांच साल तक इस पद पर रहे.

बता दें कि भारत में राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज से होता है जिसमें सांसद, विधायक और विधान परिषद के सदस्य वोट डालते हैं और हर राज्य के विधायकों के वोट का मान अलग-अलग होता है. 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले गए थे और 21 जुलाई को मतों की गिनती चल रही है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जब 25 जुलाई को कार्यकाल खत्म होने जा रहा है तो ऐसे में दिप्रिंट भारत में अब तक हुए राष्ट्रपति चुनावों पर नजर डाल रहा है.

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प्रसाद दो बार रहे हैं राष्ट्रपति वहीं कईयों का कार्यकाल अधूरा रहा

राष्ट्रपति चुनावों में कई उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से चुनाव जीता तो कईयों ने काफी कम अंतर से जीत हासिल की. सबसे ज्यादा अंतर से 1957 में राजेंद्र प्रसाद ने जीत हासिल की थी. उनके सामने चौधरी हरि राम और नागेंद्र नारायण दास खड़े थे जिन्हें 5 हजार वोट भी नहीं मिले थे वहीं प्रसाद को उस चुनाव में 4,59,698 वोट मिले थे.

1962 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के साथ मुकाबले में भी दो उम्मीदवार चौधरी हरि राम और यमुना प्रसाद त्रिसुलिया थे. राधाकृष्णन को चुनाव में 5,53,067 वोट मिले थे वहीं बाकी के दोनों उम्मीदवारों को कुल मिलाकर मात्र 10 हजार वोट ही मिल पाए थे. गौरतलब है कि राधाकृष्णन देश के पहले उपराष्ट्रपति रह चुके हैं.

1967 के राष्ट्रपति चुनावों में जाकिर हुसैन के मुकाबले में विपक्षी दलों ने रिटायर चीफ जस्टिस कोका सुब्बाराव को उम्मीदवार बनाया. हालांकि इसके इतर इस चुनाव में कुल 17 उम्मीदवार खड़े थे. इस चुनाव में सुब्बाराव और हुसैन के बीच अच्छा मुकाबला हुआ लेकिन अंत में जीत जाकिर हुसैन की ही हुई. उन्हें 4,71,244 वोट मिले जबकि सुब्बाराव को 3,63,971 मत मिले.

हुसैन की असमय मृत्यु के कारण तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीवी गिरी ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पदभार संभाला. इस कारण उनका उपराष्ट्रपति का कार्यकाल भी पूरा नहीं हो पाया. गिरी दो बार देश के राष्ट्रपति बने हैं. एक बार कार्यवाहक और दूसरी बार पूर्णकालिक.

गिरी ने 1969 में राष्ट्रपति का पद संभाला और 24 अगस्त 1974 तक इस पद पर रहे. गिरी जब अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए खड़े हुए तो उन्होंने कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया. इसलिए ऐसी स्थिति में चीफ जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्लाह कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाए गए लेकिन सिर्फ 35 दिनों तक.

गिरी के बाद 24 अगस्त 1974 को फकरुद्दीन अली अहमद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली. 25 जून 1975 की आधी रात को इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी उन्हीं के हस्ताक्षर के बाद लागू की गई थी. राष्ट्रपति रहते हुए ही उनकी मृत्यु भी हो गई. उस स्थिति में तत्कालीन उपराष्ट्रपति बीडी जत्ती ने कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभाली थी.

1977 के राष्ट्रपति चुनाव में नीलम संजीव रेड्डी का निर्विरोध चुना गया था. उन्होंने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया था. रेड्डी के बाद ज्ञानी जैल सिंह भारत के पहले सिख राष्ट्रपति बने. उन्होंने भी अपना कार्यकाल पूरा किया. जैल के साथ मुकाबले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एचआर खन्ना थे. आपातकाल के खिलाफ राय रखने के लिए उन्हें जाना जाता है. जैल सिंह को उस चुनाव में 7,54,113 वोट मिले थे जबकि खन्ना को सिर्फ 2,82,685 मत मिले थे.

जैल सिंह के बाद रामास्वामी वेंकटरमण, शंकर दयाल शर्मा, केआर नारायणन देश के राष्ट्रपति बने. नारायणन के मुकाबले में टीएन शेषन खड़े थे लेकिन उन्हें मात्र 50,631 वोट ही मिले थे. वहीं नारायणन को 9,56,290 मत मिले थे.

2002 के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए और कांग्रेस ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अपना उम्मीदवार बनाया था. उनके मुकाबले में लक्ष्मी सहगल थे. लेकिन कलाम को 9,22,889 वोट मिले थे वहीं सहगल को 1,07,377 मत मिले थे.

2007 में प्रतिभा सिंह पाटिल को 65.8 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि एनडीए के उम्मीदवार भैंरो सिंह शेखावत को सिर्फ 34.2 प्रतिशत मत मिले थे.

2012 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी के मुकाबले में पीए संगमा थे लेकिन उन्हें सिर्फ 30.7 प्रतिशत वोट ही मिले थे जबकि मुखर्जी को 69,3 प्रतिशत (7,13,763) मत मिले थे.

वहीं 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद के मुकाबले में मीरा कुमार थीं. कोविंद को 9,02,044 वोट मिले थे जबकि मीरा कुमार को 3,67,314 मत मिले थे.


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