नई दिल्ली: दिल्लीो में संसद भवन परिसर में बंदरों की बड़ी संख्या मुसीबत बन गई है. सोमवार को लोकसभा सचिवालय ने इस संबंध में एक एडवायज़री जारी की है जिसमें बताया गया है कि संसद भवन परिसर में बंदर सामने आने पर क्यां किया जाए. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इस समस्या की तरफ ध्यान दिलाया था.
अब आगामी शीतकालीन सत्र को ध्यान में रखकर जारी सर्कुलर में कहा गया है कि बंदर से नज़रें न मिलाएं और मादा बंदर व उसके बच्चे के बीच से न गुज़रें. बंदर को भगाने के लिए तेज आवाज़ करने से बचें और उसे नज़रअंदाज़ करना बेहतर समझें. यदि आपके वाहन (विशेष रूप से दोपहिया) से कोई बंदर टकरा जाए तो वहां रुके नहीं.
एडवायज़री के अनुसार, यदि आप उन्हेंक अकेला छोड़ देंगे तो वे आपको छोड़ देंगे. साथ ही जब बंदर ‘खो-खो’ की आवाज़ करे तो रुके नहीं.
गौरतलब है कि लोकसभा सचिवालय ने यह कदम जुलाई में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा राज्यसभा में बंदरों की समस्या पर चिंता ज़ाहिर करने के बाद उठाया है. नायडू ने यह बयान तब दिया था जब एक सांसद ने उन्हें यह बताया कि पार्लियामेंट जाने में महज इसलिए देर हुई, क्योंकि बंदरों ने उन पर हमला कर दिया था.
आपको बता दें कि नई दिल्ली नगर निगम ने बंदरों की समस्या से निपटने के लिए बड़ी राशि खर्च की है लेकिन अभी इससे निजात नहीं मिल पाई है.
इस मामले ने 2014 में तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थी जब करीब 40 लोगों को लंगूर की ड्रेस में संसद भवन परिसर के इर्द-गिर्द बंदर भगाने के काम में तैनात कर दिया गया था.
उस समय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा था कि अगर इन 40 ‘मानव लंगूरों’ से समस्या से निजात नहीं मिली है तो बंदरों को भगाने के लिए रबड़ बुलेट गन भी खरीदी गई है.
गौरतलब था कि 2014 में मानव लंगूर अभियान की शुरुआत की गई थी जबकि 2013 में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर में बंदरों को डराने के लिए लंगूरों का इस्तेमाल गैरकानूनी बता दिया गया था. आपको बता दें कि लंगूर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अनुसूची-2 के तहत सूचीबद्ध हैं, जो उन्हें एक संरक्षित प्रजाति बनाता है.
इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें