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Friday, 15 November, 2024
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‘हर मस्जिद में शिवलिंग न ढूंढ़ें’, उमा भारती बोलीं- इससे देश में हिंदू-मुसलमान शांति से नहीं रह पाएंगे

एक इंटरव्यू में, एमपी की पूर्व सीएम उमा भारती ने कहा कि विवादित काशी और मथुरा स्थलों को पूजा स्थल अधिनियम के तहत छूट दी जानी चाहिए, इसके साथ ही उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने में भी रुचि दिखाई.

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भोपाल: मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा है कि काशी और मथुरा में विवादित स्थलों पर मंदिर बनाए जाने चाहिए, साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की “भारत की हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश न करने” की सलाह का भी समर्थन किया है.

भागवत ने यह टिप्पणी जून 2022 में की थी, जब ज्ञानवापी मस्जिद विवाद तूल पकड़ रहा था. दिप्रिंट के साथ एक साक्षात्कार में जब भारती से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “उन्होंने (भागवत ने) जो कहा वह सही है. कुछ अपवादों को छोड़कर अधिकांश धार्मिक स्थलों का निर्माण मंदिरों को तोड़कर किया गया है. अगर हम इसमें पड़ गए तो इस देश में कोई भी, चाहे हिंदू हो या मुसलमान शांति से नहीं रह पाएगा.”

भारती, 2020 में एक विशेष अदालत द्वारा बरी किए जाने से पहले बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर आपराधिक साजिश मामले में आरोपी 32 लोगों में से एक था. उन्हें 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया है. मंदिर निर्माण के आंदोलन पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह “एक व्यक्ति का काम” नहीं था. “यह एक आंदोलन था, जो 500 वर्षों तक चला.”

पूर्व केंद्रीय मंत्री, जिन्होंने 2019 के संसदीय चुनावों से बाहर रहने का विकल्प चुना था, इस बार चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. उन्होंने कहा, “मैंने खुद तय किया था कि मैं 2019 का चुनाव नहीं लड़ूंगी लेकिन 2024 में चुनाव लड़ूंगी. मैंने तब बैठकर चुनावी दौड़ देखने का फैसला किया था.” उन्होंने कहा, “मैंने अपनी इच्छाएं बता दी हैं, लेकिन अब पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा का निर्णय लेने का समय आ गया है.”


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काशी और मथुरा की मस्जिदों पर

कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह और ज्ञानवापी मस्जिद दोनों मामले वर्तमान में विचाराधीन हैं. लेकिन भारती का मानना है कि दोनों स्थानों को पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से छूट दी जानी चाहिए – एक ऐसा कानून जो पवित्र संरचनाओं के “धार्मिक पहचान” को बनाए रखने का प्रयास करता है जैसा कि 1947 में भारत की आजादी के समय था.

वर्तमान में, केवल अयोध्या स्थल को कानून के तहत छूट दी गई है.

उनके अनुसार, जबकि “अयोध्या में राम मंदिर का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं था, जिसके लिए खुदाई आवश्यक थी”, काशी और मथुरा के प्रमाण “दीवार पर हैं”. वह उन दावों का जिक्र कर रही थीं कि मस्जिदों की दीवारों पर हिंदू रूपांकनों की नक्काशी है.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “हमें काशी और मथुरा को अपवाद मानना चाहिए और इसके अलावा हिंदू कुछ नहीं कहेंगे. आइए आज इस विवाद को सुलझाएं. कोई भी इन स्थलों पर मंदिर बनने से नहीं रोक पाएगा.”

उन्होंने कहा, “दोनों स्थान हिंदुओं के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखते हैं, लेकिन वहां की मस्जिदें मुसलमानों के लिए मक्का और मदीना या यहां तक कि हाजी मलंग दरगाह या अजमेर शरीफ दरगाह जितनी पवित्र नहीं हैं.”

MP विधानसभा चुनाव पर

इस सवाल के जवाब में कि भाजपा ने 16 साल के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की जगह मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री क्यों चुना, उन्होंने कहा कि यह पार्टी का विशेषाधिकार है. उदाहरण के तौर पर भारती ने अपने ही मामले का हवाला दिया. 2005 में, भारती, जिन्हें 2003 में भाजपा द्वारा राज्य की 230 सीटों में से 173 सीटें जीतने के बाद राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था, ने चौहान के लिए रास्ता बनाने के लिए पद छोड़ दिया था.

बिना यह बताए कि वह किसका जिक्र कर रही थी, उन्होंने कहा कि “मैंने बिना कोई शिकायत किए और शांति से पद छोड़ दिया. मेरी एकमात्र मांग यह थी कि मेरे बाद मुख्यमंत्री को विधायकों द्वारा चुना जाना चाहिए, न कि उस व्यक्ति द्वारा, जिसके साथ मेरी अनबन थी. लेकिन जब शिवराज जी ने प्रभावी ढंग से सरकार चलाई तो मुझे संतुष्टि हुई.”

चौहान सरकार की ‘लाडली बहना योजना’ को अक्सर उस पार्टी के लिए गेम चेंजर के रूप में उद्धृत किया जाता है जो 2023 के चुनावों में बड़े पैमाने पर सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही थी. लेकिन भारती ने इस बात पर जोर दिया कि यह राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना थी और “किसी की अपनी योजना नहीं”.

उन्होंने कहा, “पिछली सरकार ने इसे शुरू किया था और मोहन यादव यह सुनिश्चित करेंगे कि यह जारी रहे. इस बीच, शिवराज जी हमेशा पार्टी के एक सम्मानित नेता बने रहेंगे.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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