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Saturday, 2 November, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावExclusive: झूठ बोल रहीं हैं प्रज्ञा ठाकुर, कैंसर- गोमूत्र से नहीं सर्जरी से ठीक हुआ

Exclusive: झूठ बोल रहीं हैं प्रज्ञा ठाकुर, कैंसर- गोमूत्र से नहीं सर्जरी से ठीक हुआ

डॉ. एसएस राजपूत ने दिप्रिंट को बताया कि साध्वी हर दो से तीन महीने में चेकअप कराने अस्पताल आती हैं. हाल ही में प्रयागराज कुंभ के दौरान उनका आखिरी बार चेकअप किया गया था.

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लखनऊ: भोपाल सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं साध्वी प्रज्ञा अपनी बीमारी पर दिए गए बयान को लेकर चर्चा में हैं. उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में दावा किया गौमूत्र की वजह से उनका कैंसर ठीक हुआ. इसके बाद उनकी बीमारी से संबंधित तमाम तरह की खबरें मीडिया में आने लगीं लेकिन साल 2008 से अब तक लगातार उनका इलाज करते आ रहे डॉक्टर एसएस राजपूत ने कहा, ‘साध्वी को कैंसर था लेकिन गोमूत्र नहीं सर्जरी से ठीक हुआ.’

लखनऊ में हुई थी साध्वी की सर्जरी

लखनऊ के राम मनोहर लोहिया संस्थान के कॉर्डियो थोरैसिक वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के डॉक्टर एसएस राजपूत ने द प्रिंट को बताया कि उन्होंने पहली बार साल 2008 में उनका ऑपरेशन किया था. ये ऑपरेशन मुंबई के जेजे हॉस्पिटल में हुआ था. उनके दाहिने ब्रेस्ट में ट्यूमर हुआ था. उस समय ट्यूमर की रिपोर्ट में कुछ भी स्पष्ट नहीं था.


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साल 2011 में ट्यूमर फिर से उभर आया था. इसके बाद उन्होंने ब्रेस्ट की सर्जरी करने का फैसला लिया. उनके दाहिने ब्रेस्ट का ट्यूमर समेत करीब एक तिहाई हिस्सा हटा दिया गया था. उनकी दूसरी सर्जरी भोपाल के एक प्राइवेट अस्पताल में हुई थी.’

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दिप्रिंट से बातचीत करते डॉ. एसएस राजपूत/ प्रशांत श्रीवास्तव

डॉक्टर राजपूत ने बताया कि 2011 में निकाले गए ट्यूमर और टिशू को जांच के लिए मुंबई के अस्पताल भेजा गया था. उसके बाद ये पता चला कि उनको फर्स्ट स्टेज का कैंसर है. फिर साल 2017 में प्रज्ञा ठाकुर को अदालत से जमानत मिल गई. इसके बाद लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनकी ‘बाइलेटरल मास्टेक्टॉमी’ यानी दोनों ब्रेस्ट हटाने की सर्जरी की गई. साल 2017 में लखनऊ में साध्वी प्रज्ञा की सर्जरी की खबर पूरी तरह गोपनीय रखी गई. इस दौरान प्रज्ञा ठाकुर के साथ उनके परिवार के लोग मौजूद थे. लोहिया संस्थान में साध्वी प्रज्ञा की सर्जरी करीब 4 घंटे चली थी.

डॉ. राजपूत बताते हैं कि इसके बाद से साध्वी हर दो से तीन महीने में चेकअप कराने अस्पताल आती रहती हैं. हाल ही में प्रयागराज कुंभ के दौरान उनका आखिरी बार चेकअप किया गया था.

गो मूत्र की सलाह नहीं दी

डॉक्टर राजपूत ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि साध्वी गोमूत्र का सेवन करती हैं लेकिन एलोपैथ में कोई चिकित्सक ये सलाह नहीं देता. ये साध्वी की खुद की चॉइस थी. वह आयुर्वेद में काफी विश्वास रखती हैं. ये उनकी पसंद हैं. हालांकि कैंसर का इलाज सर्जरी से ही संभव है.

स्पाइन की दिक्कत बरकरार

पिछले 11 साल से डॉ. एसएस राजपूत की देखरेख में ही साध्वी का इलाज हुआ है. डॉक्टर का कहना है कि साध्वी के कैंसर के इलाज संबंधित सभी डॉक्यूमेंट्स कोर्ट में पेश किए गए थे. वह मीडिया को इससे ज्यादा डिटेल नहीं दे सकते. हालांकि उनका कहना है कि साध्वी अब स्वस्थ्य हैं लेकिन स्पाइन की दिक्कत बरकरार है. डॉक्टर ने दिप्रिंट को यह बताया कि साध्वी को यह दिक्कत जेल में मिली प्रताड़ना के कारण हुई है.


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बता दें कि मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर राजनीति में एंट्री के साथ सुर्खियों में बनी हुई हैं. कैंसर के इलाज को लेकर प्रज्ञा का दिया क बयान सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया है. साध्वी प्रज्ञा बोलीं कि गौशाला में सबसे अच्छी साधना होती है. इस दौरान उन्होंने दावा किया कि गौमूत्र की वजह से ही उनका कैंसर ठीक हुआ.

कैंसर को लेकर सवाल

ठाकुर ने अपनी गिरफ्तारी से लेकर रिहाई तक केस की मेरिट, अपने बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला देकर कई बार जमानत पाने की कोशिश की. उनकी पहली जमानत याचिका 2009 में निचली अदालत ने खारिज की, जिसके बाद वह बाम्बे हाईकोर्ट पहुंचीं, उसने भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर दिया. उस वक्त उन्होंने कैंसर या किसी दूसरी चिकत्सकीय समस्या का जिक्र नहीं किया था और याचिका में पूरी तरह हिरासत को अवैध बताने व अभियोजन के लिए साक्ष्यों की कमी का आरोप लगाया था.

ठाकुर की जमानत याचिका में हालांकि उनके मुम्बई की सुश्रूशा अस्पताल के आईसीयू में 3-4 दिन के लिए रखे जाने और फिर उसके बाद दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किये जाने का जिक्र था.

बाम्बे हाईकोर्ट ने एक बार फिर ठाकुर की जमानत 4 अप्रैल 2014 को खारिज की थी. इस बार उन्होंने अपने खिलाफ मामले में साक्ष्यों की कमी की बात की थी, कैंसर होने की संभावना का भी. 14 दिसम्बर 2012 को याचिका पर पहली सुनवाई पर ठाकुर की स्वास्थ्य की जांच को लेकर एसएस राजपूत भी मौजूद थे.

अभियोजन पक्ष ने 2013 में सुनवाई के दौरान डॉक्टर समीर पठान की हस्ताक्षरित इंडियन कैंसर रिसर्च सोसाइटी की रिपोर्ट पर संदेह जताया था, जिसे ठाकुर ने खुद के कैंसर से जूझने को दिखाने के लिए पेश किया था. इसको लेकर अभियोजन पक्ष ने टीशू सैंपल के लेने के वक्त और ठीक उसी समय इंडियन कैंसर रिसर्च सोसाइटी को भेजे जाने पर सवाल उठाया था, और ताजा सैंपल लिए जाने की गुजारिश की थी.

ठाकुर के वकील ने 4 फरवरी 2014 को एक दूसरी रिपोर्ट पेश की, जिसे भोपाल स्थित जवाहरलाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ने जारी किया था. कोर्ट ने हालांकि यह कहते हुए बेल देने से मना कर दिया था कि सरकारी अस्पताल उनका इलाज करने के लिए अच्छी तरह साधन सम्पन्न हैं और ऑन रिकार्ड उपलब्ध चीजों ने साफ तौर पर ठाकुर के मालेगांव ब्लास्ट मामले में षडयंत्रकारी होने की ओर इशारा किया है.

आखिरकार कोर्ट ने 25 अप्रैल 2017 को प्रथमदृष्टया साक्ष्यों की कमी व उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देकर उन्हें जमानत दे दिया.

(मानसी फडके के इनपुट्स के साथ)

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