नई दिल्ली: देशभर में तबाही फैलाती कोविड-19 की दूसरी विनाशकारी लहर के बीच, जिसमें अस्पतालों में बिस्तर और मेडिकल सप्लाई के लिए लोगों में अफरा-तफरी मची है, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अपनी ‘दूरदृष्टि और विज़न’ के लिए जी-23 सदस्यों, या उन पार्टी नेताओं के समूह से सराहना मिली है, जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस में ‘नेतृत्व के शून्य’ पर सवाल उठाए थे.
दिप्रिंट ने ग्रुप के कई नेताओं से बात की, जिन्होंने कहा कि इस संकट ने ‘राहुल गांधी के नेतृत्व कौशल को दिखा दिया है’. इससे संकेत मिल रहा है कि पार्टी की आंतरिक गतिशीलता में बदलाव आ रहा है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और जी-23 के सबसे मुखर सदस्यों में से एक, कपिल सिब्बल ने कहा कि कोविड के मामले में ‘राहुल गांधी ने तमाम समझदारी की बातें की हैं’.
सिब्बल ने दिप्रिंट से कहा, ‘वो एक अच्छे इंसान हैं, इसमें कोई शक नहीं है. उनके अंदर नकारात्मकता नहीं है. (कोविड के बारे में) उन्होंने सही बातें कहीं हैं. इस बारे में सभी समझदार लोगों की बातें सही थीं. मोदी को इससे सीख लेनी चाहिए थी’.
सिब्बल ने पिछले साल आरोप लगाया था, कि कांग्रेस नेतृत्व आत्मविश्लेषण नहीं कर रहा है और मोदी सरकार के खिलाफ एक कारगर विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पा रहा है. सिब्बल मोदी सरकार और महामारी से निपटने के इसके तरीक़ों की भी आलोचना करते रहे हैं.
सिब्बल ने कहा, ‘सबसे पहले हमें लीडर की विशेषताओं का ख़ाका खींचना होगा. एक लीडर में होने वाले तमाम ज़रूरी गुण मोदी में नहीं हैं. उन्होंने बस सभी संस्थाओं पर क़ब्ज़ा कर लिया है, वो इसी तरह बने हुए हैं. उनके अंदर नेतृत्व कौशल नहीं है. उनके पास कोई दूरदृष्टि नहीं है’.
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस का अपने काम को, लोगों तक पहुंचाने का इतिहास रहा है और ‘सिर्फ समय की बात है कि लोग उसे देखेंगे’.
जी-23 नाम कांग्रेस के उन 23 नेताओं को दिया गया है, जिन्होंने पिछले साल अगस्त में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर, एक ‘पूर्ण-कालिक और प्रभावी नेतृत्व’ की मांग की थी– एक ऐसा नेतृत्व जो ज़मीन पर ‘दृश्य’ और ‘सक्रिय’ दोनों हो.
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‘बीजेपी को राहुल से क्षमा मांगनी चाहिए’
जी-23 के एक और सदस्य, पूर्व कर्नाटक सीएम वीरप्पा मोइली ने कहा कि कोविड संकट के बीच गांधी एक ऐसे नेता बनकर उभरे हैं, ‘जिनके पास विज़न और दूरदृष्टि’ है.
मोइली ने कहा, ‘लोग बता सकते हैं कि राहुल ने जो कहा वो बिल्कुल सही था. उन्होंने बहुत सी बातें पहले से बता दीं थीं, लेकिन बीजेपी ने उनका मज़ाक़ बनाया. उन्हें अब राहुल से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने बिल्कुल एक असली राजनीतिज्ञ की तरह बात की थी’.
मोइली ने आगे कहा, ‘यथास्थिति के बारे में तो हर कोई बात कर सकता है. लेकिन समय से पहले योजनाएं, कोई राजनीतिज्ञ ही बना सकता है’.
पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले साल फरवरी में, महामारी से पहले ही कोविड-19 के ख़तरे की चेतावनी दी थी, जिसके बाद महामारी के दौरान वो इसके बारे में सार्वजनिक रूप से बयान देते रहे थे.
सबसे हाल में, गांधी ने पीएम मोदी को लिखकर सुझाव दिया था कि टीकाकरण को हर किसी के लिए खोल दिया जाए, जिसे ‘उसकी ज़रूरत हो’, और विदेशी वैक्सीन्स भी भारत में उपलब्ध कराई जानी चाहिए. इस पत्र के कुछ दिन बाद ही मोदी सरकार ने, विदेशों में निर्मित टीकों की आपात मंज़ूरी को, फास्ट-ट्रैक करने का निर्णय ले लिया.
बहुत से कांग्रेस नेता ‘राहुल गांधी ने कब क्या कहा था’ के ग्राफिक्स साझा कर रहे हैं, जिसमें महामारी की अलग-अलग स्टेज पर, राहुल के बयानों का सिलसिला दिखाया गया है.
कांग्रेस की युवा विंग- भारतीय युवा कांग्रेस और उसके नेता श्रीनिवास बीवी को विशेष रूप से श्रेय दिया गया है कि वो ऐसे लोगों के लिए अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन सिलेंडर्स और दूसरी सप्लाईज़ के बंदोबस्त की अगुवाई की कर रहे हैं, जो मदद की गुहार लगाते हुए, उन्हें ट्विटर पर टैग कर रहे हैं.
राज्यसभा सदस्य और पिछले साल के पत्र के एक हस्ताक्षरकर्त्ता अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, ‘उन्होंने (राहुल) कहा कि सभी पार्टी सदस्यों को राजनीतिक काम छोड़कर, कोविड राहत मुहैया कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. हमारे नेता की ओर से ये एक अहम संदेश है. इसने लोगों के बीच ज़बर्दस्त सदभावना पैदा की है’.
‘राहुल तक सीमित नहीं’
लेकिन, जी-23 के दूसरे सदस्यों ने गांधी की सराहना करते हुए कहा कि उनके शब्द ‘कांग्रेस की महान संस्कृति’ के बोधक हैं.
उस पत्र पर दस्तख़त करने वाले एक और नेता, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, ‘मैं इसे राहुल गांधी तक सीमित नहीं करूंगा, संकट के समय परामर्श करने और लोगों तक सहायता पहुंचाने का कांग्रेस का एक लंबा इतिहास रहा है. हमारे पास सुनामी की तबाही से निपटने का अनुभव है, पूरा आपदा प्रबंधन क़ानून कांग्रेस सरकार के अंतर्गत बनाया गया था’.
उन्होंने आगे कहा, ‘राहुल ने जो व्यक्त किया है, वो उसी संस्कृति का हिस्सा है. दुर्भाग्यवश, कोरोना की वजह से हमारा संचार, एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग और राहुल के ट्वीट्स तक सीमित होकर रहा गया है. लेकिन पूरी कांग्रेस की समान रूप से यहीस्थिति है’.
पत्र के एक और हस्ताक्षरकर्ता संदीप दीक्षित ने कहा कि ‘महामारी के बारे में राहुल ने जो भी चेतावनी दी, दुर्भाग्यवश वो सही साबित हुई’.
दीक्षित ने दिप्रिंट से कहा, ‘बहुत सी बातें हैं जो आप उनके और उनकी नेतृत्व शैली के बारे में कह सकते हैं. लेकिन कोविड के पूरे परिदृश्य में वो अकेले ऐसे आदमी हैं जिन्होंने बहुत अच्छे से समझ लिया था कि क्या चल रहा है’.
लेकिन, दीक्षित ने कहा कि उन्हें इस बारे में संशय है कि इस संकट से राहुल गांधी को लेकर, लोगों के मूड में कितना बदलाव आएगा.
उन्होंने कहा, ‘आज के भारतीय लोगों को पढ़ना बहुत मुश्किल है. अधिकांश मतदाताओं के लिए दीर्घकालिक बदलाव की बजाय, हर चीज़ सिर्फ एक लेन-देन है’.
प्रभावी नेतृत्व को लेकर जी-23 नेताओं के पत्र में उठाई गईं मांगों पर टिप्पणी करते हुए दीक्षित ने कहा ‘वो मांगें विशेष रूप से इसके लिए थीं कि नेतृत्व हर समय जीवित और सक्रिय रहे…लेकिन कोविड संकट में नेतृत्व ने जिस तरह सक्रियता दिखाई है, उससे मैं बहुत प्रभावित हूं’.
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मरता क्या न करता कॉंग्रेस में अलग-थलग पड़े G23 के नेताओं के पास और रास्ता ही क्या बचा था राहुल को योग्य राजनेता ठहराने के अलावा जिस पार्टी को चलाने में अपनी पूरी जिन्दगी लगाई अब अंतिम पड़ाव सच बोलने के सजा स्वरूप उन्हें अलग-थलग कर दिया गया फिर राहुल गांधी के चाटुकार पिद्दी उनके वफादारी का लगे चिर हरण करने किन्तु ये ध्रुव सत्य है राहुल गांधी ने कभी कोई मंत्रालय या विभाग में न मंत्री पद लिया है न अपनी योग्यता ही सिद्ध किया है बल्कि उनका एक राजनेता बर्ताव असावधान ,अयोग्य, अकर्मण्य, अपरिपक्व नेता के तरह रहा है जो न अपने वरिष्ठ नेताओं का सम्मान कर सकता है न ही देश की जनता और दुनिया के राजनेताओं पर अपनी व्यक्तित्व से प्रभावित कर सकते हैं बल्कि वे अपने पलायन वादी व्यक्तित्व असावधान प्रवृति का परिचय यदाकदा देते हैं उनकी विशेषता केवल उनका स्वर्गीय राजीव गांधी के पुत्र होना है वे भारत पर थोपे गए अर्द्ध नेता हैं कोई राजनेता नहीं है I