कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस अपने 17 साल पुराने साप्ताहिक मुखपत्र जागो बांग्ला की कायापलट करने जा रही है, जिसके तहत इसका एक डिजिटल संस्करण निकाला जाएगा और इसका एक नया हिस्सा राष्ट्रीय राजनीति को समर्पित होगा, जिसमें पार्टी की दिल्ली महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाया जाएगा.
पहली बार 2004 में प्रकाशित हुआजागो बांग्ला फिलहाल पांच-छह पन्नों का साप्ताहिक है. उसे पहले 16 पन्नों के एक दैनिक के तौर पर फिर से लॉन्च किया जाएगा. तृणमूल कांग्रेस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, कि 21 जुलाई को होने वाले डिजिटल लॉन्च के बाद, जल्द ही एक प्रिंट संस्करण भी लाया जाएगा. राष्ट्रीय सेक्शन को फिलहाल अस्थायी तौर से, ‘दिल्ली दरबार’ शीर्षक दिया गया है.
अपने मौजूदा स्वरूप में मुखपत्र में ओपीनियन पीसेज़, वरिष्ठ तृणमूल नेताओं या मंत्रियों के छोटे इंटरव्यू, ममता बनर्जी की नीतियों पर लेख, और उनके भाषण आदि शामिल होते हैं. फिर से हो रहे इस लॉन्च से सिर्फ दो महीने पहले ही, पार्टी लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल में सत्ता में आई है.
पार्टी के मुखपत्र को एक नए प्रारूप में फिर से लॉन्च करने की ज़रूरत समझाते हुए, तृणमूल कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने कहा, ‘दिल्ली में सत्ता की कुर्सी दीदी को चाहती है, और हमें मतदाताओं को मोदी सरकार की जन-विरोधी नीतियों के बारे में जानकारी देना है. विपक्ष के झूठे दावों का जवाब देने के लिए, हमें ज़्यादा लोगों तक अस्ली ख़बरें पहुंचानी हैं’.
सूत्रों के अनुसार, जैसा कि ‘पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी और राष्ट्रीय महासचिव ने निर्देशित किया है’ ये अख़बार विज्ञापनों से मुक्त रहेगा, चाहे वो सरकारी हों या निजी. जागो बांग्ला के संपादकीय मंडल के एक सदस्य ने कहा, ‘इसे पार्टी फंड्स, चंदे, और स्वैच्छिक योगदान से चलाया जाएगा. डिजिटल संस्करण मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि प्रिंट संस्करण का एक ‘कवर मूल्य’ होगा.
तृणमूल प्रदेश महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद तथा पत्रकार कुनाल घोष ने कहा कि जागो बांग्ला एक ‘मिला-जुला अख़बार रहेगा’.
उन्होंने आगे कहा, ‘पार्टी के विचारों के अलावा, अख़बार में बंगाल की संस्कृति और सामाजिक परंपरा पर विशेष पृष्ठ होंगे, और सरकारी स्कीमों तथा ऐसी घटनाओं की जानकारी दी जाएगी, जिनका लोगों को पता होना चाहिए. उसमें खेल और मनोरंजन के पन्ने भी होंगे, लेकिन हमारा मुख्य ज़ोर पार्टी की नीतियों पर होगा. कुछ पन्ने राष्ट्रीय राजनीति को भी समर्पित होंगे’.
घोष ने कहा कि दोबारा लॉन्च से पहले, ‘हमारे कार्यकर्त्ताओं और समर्थकों से फीडबैक’ लिया गया था, जो एक ‘ऐसे अख़बार की मांग कर रहे थे जो वास्तविक ख़बरों और सार्वजनिक नीतियों को, समाज के सभी वर्गों तक पहुंचा सके’.
घोष ने कहा, ‘हमें विपक्षी दलों के झूठे दावों का भी जवाब देना है. यही कारण है कि ममता बनर्जी और अभिषेक ने, इसे एक दैनिक अख़बार के तौर पर फिर से लॉन्च करने का फैसला किया’.
‘दिल्ली दरबार’
एक दूसरे तृणमूल नेता ने, जो प्रकाशन से जुड़े हैं लेकिन नाम नहीं बताना चाहते, री-लॉन्च को इस संदर्भ से जोड़कर रखा, कि पार्टी बंगाल की सीमाओं से आगे निकलना चाहती है.
नेता ने आगे कहा, ‘चूंकि पार्टी को राज्य में भारी जनादेश प्राप्त हुआ है, इसलिए हमारे लिए अगला क़दम दिल्ली को लक्ष्य बनाना है. उसके लिए हमें लोगों को मोदी की जन-विरोधी नीतियों के प्रति जागरूक करना होगा’.
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नेता ने कहा, ‘बीजेपी को बंगाल में करीब 2.28 करोड़ वोट मिले हैं. हमें उन मतदाताओं को समझाने की ज़रूरत है, कि उन्हें आगे से मोदी को वोट क्यों नहीं देना चाहिए. ये अख़बार हमारे ग्रामीण लोगों के लिए राष्ट्रीय राजनीति को सरल करके समझाएगा. इसके ज़रिए हमें अपने बूथ-स्तर के कार्यकर्त्ताओं और समर्थकों तक पहुंचना है’.
नेता ने आगे कहा कि राष्ट्रीय राजनीति के पन्ने को ‘दिल्ली दरबार’ शीर्षक दिया गया है. ‘इस पन्ने पर केंद्र सरकार की राजनीति और नीतियों से जुड़ी ख़बरें दी जाएंगी. हमने नाम लगभग तय कर लिया है, बाद में ये बदल सकता है’.
पश्चिम बंगाल उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पार्था चटर्जी, जो पार्टी के महासचिव हैं, जागो बांग्ला के मुख्य संपादक बने रहेंगे. इसे तृणमूल भवन से प्रकाशित किया जाएगा, जिसका फिलहाल नवीनीकरण हो रहा है. ऊपर हवाला दिए गए दूसरे नेता ने कहा, कि प्रकाशन के सभी ज़िलों में ब्यूरो होंगे और फिलहाल भर्ती का काम चल रहा है.
विवादों से नाता
जागो बांग्ला पिछले साल दिसंबर में विवादों में आया, जब इसका नाम 277 पन्नों की उस याचिका में आया जिसे सीबीआई ने, शारदा और रोज़ वैली पोंज़ी घोटालों के सिलसिले में, सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल किया था.
सीबीआई ने ‘जागो बांग्ला और पेंटिंग्स’ शीर्षक से एक सेक्शन में लिखा, ‘जागो बांग्ला ने, जिसे एक साप्ताहिक अख़बार और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस का मुखपत्र बताया जाता है, कथित रूप से पश्चिम बंगाल की माननीय मुख्यमंत्री द्वारा बनाई बहुत सी पेंटिंग्स, वर्ष 2011-2013 के दौरान पोंज़ी स्कीमों के प्रमोटर्स को बेंची थीं.
सीबीआई ने अपनी याचिका में आगे कहा, ‘रिकॉर्ड में आया है कि न केवल मैसर्स शारदा ने उक्त मुखपत्र को पैसा दिया, बल्कि मैसर्स रोज़ वैली ग्रुप; मैसर्स टावर ग्रुप; पैलन ग्रुप; मैसर्स एंजिल एग्रो ग्रुप आदि अन्य पोंज़ी कंपनियों ने भी लाखों रुपए मूल्य की पेंटिंग्स ख़रीदीं, जिन्हें राज्य के सर्वोच्च पदाधिकारियों से जुड़े कुछ लोगों ने आगे बढ़ाया था. निवेदन है कि मैसर्स शारदा ग्रुप के मामलों के अलावा, प्रदेश एसआईटी ने उल्लिखित पोंज़ी कंपनियों में से किसी अन्य के खिलाफ, कोई जांच-पड़ताल नहीं की.
तृणमूल कांग्रेस ने आरोपों पर जवाबी हमला करते हुए, याचिका के पीछे सीबीआई की नीयत पर सवाल उठाए थे, और उसपर घटिया जांच करने तथा ‘राजनीतिक रूप से धमकाने’ का आरोप लगाया था.
तृणमूल सांसद और वरिष्ठ एडवोकेट कल्याण बनर्जी ने कहा, ‘हर मरतबा चुनावों से कुछ महीने पहले, चिंट फंड जांच का कंकाल निकलकर बाहर आ जाता है. अगर ये राजनीतिक प्रतिशोध या अपने सियासी विरोधियों को डराना-धमकाना नहीं है, तो फिर क्या है?’
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