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Monday, 18 November, 2024
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धर्मसत्ता’: गुजरात में ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ पूर्व IPS की नई पार्टी ने किया BJP से ज्यादा ‘हिंदुत्व’ का वादा

गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा ने अगले महीने राज्य में होने वाले चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए अपनी खुद की ‘प्रजा विजय पार्टी’ खड़ी कर ली और घोषणा की कि वह सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.

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नई दिल्ली: गुजरात के विवादास्पद पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा ने कहा कि वह ‘भिखारी नहीं बल्कि दाता’ हैं. उन्होंने अपनी हिंदुत्व-आधारित राजनीतिक पार्टी शुरू करते हुए भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी ‘सिर्फ राजसत्ता को महत्व’ देती है. राज्य में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने हैं.

गुजरात में बीजेपी लगभग तीन दशक से सत्ता में है.

वंजारा 1987 बैच के पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें गुजरात आतंकवाद विरोधी दस्ते का नेतृत्व करते समय मुठभेड़ में हुई कई हत्याओं के मद्देनजर ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ करार दिया गया था. भाजपा के एक सूत्र के मुताबिक, उन्होंने गुजरात चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी से टिकट पाने की कोशिश की थी.’

सूत्र ने कहा, ‘जब हाल ही में हिंदुत्व की साख को मजबूत करने के लिए काफी लंबे समय तक काम करने के बावजूद पार्टी ने उनकी तरफ ध्यान नहीं किया, तो वह नाराज हो गए.’

वंजारा ने मंगलवार को ‘प्रजा विजय पार्टी’ लांच की थी. उन्होंने कहा कि वह गुजरात की सभी 182 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और ‘साधुओं और धार्मिक गुरुओं को मैदान में उतारने में संकोच नहीं करेंगे क्योंकि वे समाज का हिस्सा हैं.’

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात के लोग एक गैर-हिंदुत्व पार्टी को आसानी से स्वीकार नहीं करते हैं. एक हिंदुत्व पार्टी ही भाजपा का विकल्प दे सकती है. आज, मैं चाहता हूं कि राज्य और देश के लोग यह जान लें कि ‘प्रजा विजय’ एक हिंदुत्व पार्टी है.

उन्होंने कहा कि ‘भाजपा सिर्फ राजसत्ता को महत्व दे रही है. लेकिन प्रजा विजय पार्टी धर्मसत्ता के साथ राजसत्ता को महत्व देगी.’

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ अमित शाह के करीबी माने जाने वाले वंजारा ने मीडिया को बताया कि वह ‘चुनाव टिकट पाने के लिए कतार में खड़े होने वाले व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वह टिकट देने वाले व्यक्ति हैं.’

‘मैं एक दाता हूं, भिखारी नहीं,’ उन्होंने जोर देते हुए कहा.

गुजरात के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘गुजरात ने अतीत में सिर्फ दो दलीय प्रणाली (कांग्रेस और भाजपा) देखी है. भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर (किसी भी) पार्टी का कोई असर नहीं पड़ेगा, चाहे वह आप हो, एआईएमआईएम हो या कोई फिर कोई अन्य.’

आम आदमी पार्टी इस साल गुजरात के राजनीतिक मैदान में एक नई पार्टी है और बड़ी धूमधाम से अखाड़े में उतरी है.

प्रजा विजय पार्टी के बारे में एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि ‘ऐसी पार्टियां अक्सर वोटों को बांटने का काम करती हैं.’

पर्यवेक्षक ने कहा, ‘चूंकि यह पार्टी हिंदुत्व की साख पर लड़ रही है, इसलिए अगर वह भाजपा में सेंध लगाने के लिए कोई मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतारती है, तो कुछ असर पैदा कर सकती है.’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘वंजारा के इरादों को लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.’


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विवादास्पद अतीत

वंजारा 2002 के गुजरात दंगों के बाद अहमदाबाद में अपराध शाखा के डीसीपी के रूप में नियुक्त होने के बाद सुर्खियों में आए थे.

कई मुठभेड़ों के बाद, उन्हें 2007 में राजस्थान कैडर के अधिकारियों आर.के. पांडियन और दिनेश एमएन के साथ, गुजरात अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी की हत्याओं में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था. बाद में उन पर इशरत जहां और कुछ अन्य लोगों की मुठभेड़ में हत्या करने का भी आरोप लगाया गया था.

वंजारा 2007 से 2015 तक जेल में रहे और बाद में उन्हें जमानत मिल गई. 2017 में उन्हें शेख के मामले में बरी कर दिया गया और फिर 2019 में जहान के मामले में उनके खिलाफ लगे आरोप भी हटा लिए गए थे.

वंजारा 2014 में उप महानिरीक्षक (DIG) के तौर पर रिटायर हुए थे. फरवरी 2020 में गुजरात सरकार ने उन्हें उनके रिटायरमेंट के बाद प्रमोशन देते हुए महानिरीक्षक (IG) के पद पर पदोन्नत किया और उन्हें पेंशन व अन्य लाभों को उठाने की भी अनुमति दी.

हिंदुत्व समर्थक हेडलाइनर के मोदी और शाह के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंध

जेल में रहते हुए वंजारा ने 2013 में गुजरात में तत्कालीन मोदी सरकार पर ‘कथित फर्जी मुठभेड़ों’ के लिए जेल में बंद पुलिस अधिकारियों को बचाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था.

दस पन्नों के अपने रेजिगनेशन लैटर में उन्होंने लिखा था, ‘राज्य के पुलिस बल को अखंड, कुशल और लड़ने वाली मशीनरी बनाए रखने के लिए एक अभिनव और परोपकारी नेतृत्व प्रदान करने के बजाय, अमित शाह ने समान रूप से फूट डालो और राज करो की एक बहुत ही तिरस्कृत ब्रिटिश नीति पेश की है. उन्होंने जानबूझकर उनके बारे में गलत जानकारी फैलाई और ‘अधिकारियों का इस्तेमाल करो और उन्हें फेंक दो’ की गंदी नीति अपनाई है.

उन्होंने शाह पर 2012 का गुजरात चुनाव जीतने के लिए मुकदमे के मामलों को ‘(गुजरात से) मुंबई स्थानांतरित करने’ का आरोप लगाया.

पीएम का जिक्र करते हुए वंजारा ने लिखा कि वह मोदी को ‘भगवान की तरह’ मानते हैं. उन्होंने कहा, ‘लेकिन मेरे भगवान इस समय अमित शाह के बुरे प्रभाव से उठ नहीं सके, जिन्होंने उनकी आंखों और कानों पर अपना कब्जा जमाया हुआ है और पिछले 12 सालों से बकरियों को कुत्तों और कुत्तों को बकरियों में परिवर्तित करके उन्हें सफलतापूर्वक गुमराह कर रहे हैं.’

2019 में अपने बरी होने के बाद, वंजारा मोदी और उनके काम की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा करने के लिए उनके पास वापस चले गए.

इस साल सितंबर में पीएम के जन्मदिन पर उन्होंने ट्विटर पर जन्मदिन की शुभकामनाएं पोस्ट करते हुए कहा, ‘वर्षों पहले हमने भारत माता को सभी शक्ति और सर्वोच्च वैभव में लाने का सपना देखा था. आप अच्छा काम कर रहे हो.’

पूर्व आईपीएस अधिकारी हिंदू धार्मिक कार्यों में भी भाग लेते रहे हैं और आरएसएस की बैठकों में शामिल होते रहे हैं. उन्होंने पैगंबर विवाद के दौरान भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा का बचाव किया और मांग की कि भारत को आधिकारिक तौर पर हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए.

मंगलवार को मीडिया से बातचीत और अपनी पार्टी को लॉन्च करते समय वंजारा ने बीजेपी पर गुजरात में ‘एकल दल के प्रभुत्व के कारण अक्षम और भ्रष्ट’ बनने का आरोप लगाया.

उन्होंने आगे कहा कि अगर कांग्रेस एक विकल्प (गुजरात में) होती, तो पिछले 27 सालों से राज्य में एक दल (भाजपा) का शासन नहीं होता. वंजारा ने कहा, ‘यहां तक कि आप पार्टी भी गुजरात में उन लोगों के लिए विकल्प नहीं बन सकती है, जो भाजपा का विकल्प चाहते हैं.’

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि लोकतंत्र में एकदलीय शासन नहीं होना चाहिए. वोटों का बंटवारा तो होना ही चाहिए… इसमें गलत क्या है?’

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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