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Sunday, 22 December, 2024
होमराजनीतिकौन है 'खजांची नाथ' जिसने अखिलेश यादव के साथ सपा के चुनाव अभियान की शुरुआत की

कौन है ‘खजांची नाथ’ जिसने अखिलेश यादव के साथ सपा के चुनाव अभियान की शुरुआत की

खज़ांची का जन्म 2 दिसंबर 2016 को उस वक्त हुआ था, जब उसकी मां नोटबंदी के बाद पैसे निकालने के लिए बैंक की कतार में खड़ी थी. समाजवादी पार्टी (सपा) हर साल नोटबंदी की बरसी पर उसका जन्मदिन मनाती है.

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ खड़े चार साल के एक बच्चे ने मंगलवार को कानपुर में समाजवादी पार्टी की विजय यात्रा को हरी झंडी दिखाकर हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है.

हालांकि लोग खज़ांची नाथ को सपा प्रमुख के साथ देखकर हैरान थे, मगर पार्टी सूत्रों का कहना है कि अखिलेश ने इस बच्चे को आमंत्रित करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वह ‘उसे ख़ास बच्चा मानते हैं’.

समाजवादी पार्टी के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘उसे इस यात्रा के लिए बुलाने का फैसला स्वयं अखिलेश का था. यह पहले से योजना में नहीं था, लेकिन अखिलेश ने कानपुर देहात की स्थानीय इकाई को अपनी यात्रा शुरू करने हेतु झंडा दिखने के लिए खज़ांची को आमंत्रित करने के लिए कहा. वह उसे एक खास बच्चे की तरह मानते हैं.’

इस सूत्र ने बताया कि इस आयोजन के बाद खजांची को 11,000 रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया गया.

हालांकि, यह पहला मौका नहीं था जब खजांची अखिलेश से मिला है. 2016 में जब से इस बच्चे का जन्म हुआ था, तभी से इनकी मुलाकात होती रहती है.

कानपुर देहात के समाजवादी पार्टी के नेता और अनंतपुरवा, जहां खज़ांची रहता है, के पूर्व ग्राम प्रधान सर्वेश सिंह नीरू ने दिप्रिंट को बताया, ‘अखिलेश यादव ने 2017 में उसकी मां को अनंतपुरवा में एक और घर (इससे पहले एक घर 2016 में दिया गया था) उपहार के रूप में दिया, जहां फ़िलहाल खज़ांची का परिवार रहता है. इसकी लागत करीब 5 लाख रुपए थी. खजांची का परिवार पहले सरदारपुरवा गांव में रहता था. अखिलेश जब मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने उसके जन्म के बाद उस गांव (सरदारपुरवा) का काफी विकास किया था. बाद में, खज़ांची के पहले जन्मदिन पर, उन्होंने अनंतपुरवा गांव को गोद ले लिया जहां इस लड़के का परिवार रहने चला गया.’

नोटबंदी की पहली बरसी पर अखिलेश ने इस परिवार को 10 हजार रुपये भेजे थे. बाद में, 2017 में, अखिलेश यादव अपने परिवार के गढ़ सैफई में इस लड़के और उसके परिवार से मिले थे.

सपा के एक अन्य पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि अखिलेश ने खज़ांची के परिवार की मदद करने का फैसला तब किया जब उन्हें पता चला कि खज़ांची के जन्म से कुछ हफ्ते पहले ही उसके पिता की मृत्यु हो गई थी.

पदाधिकारी ने आगे बताया, ‘खज़ांची के पिता एक मजदूर थे. इस बच्चे के पैदा होने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई थी और परिवार की देखभाल करने वाला कोई नहीं था, इसलिए अखिलेश जी ने उसके परिवार की मदद करने का फैसला किया. उसका भाई तपेदिक (टी.बी.) से पीड़ित था और सारा पैसा उसके इलाज में चला गया. उस समय पार्टी के कई नेताओं ने उसके परिवार की मदद की थी. आज भी हमारी स्थानीय इकाई के नेता इस परिवार की आर्थिक मदद करते हैं.’


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कैसे मनाती है सपा हर साल खज़ांची का जन्मदिन!

अखिलेश हर साल 8 नवंबर को नोटबंदी की बरसी पर खजांची का जन्मदिन मनाते हैं. 2019 में अखिलेश ने उसके जन्मदिन पर उसे एक साइकिल उपहार में दी थी.

पिछले साल खज़ांची का जन्मदिन समाजवादी पार्टी के कार्यालय में मनाया गया था जहां उसने एक केक काटा था. अखिलेश ने स्वयं उसे तोहफा दिया और साथ ही कई अन्य विधायकों ने भी नकद राशि दी.

पिछले साल खजांची का जन्मदिन मनाते हुए अखिलेश ने कहा था, ‘नोटबंदी से पैदा हुई एकमात्र अच्छी चीज खजांची ही है.’

सर्वेश सिंह कहते हैं, ‘कई विधायकों ने उसे जन्मदिन के तोहफे के रूप में नकद इनाम दिया. हमारे पार्टी अध्यक्ष की कृपा के बाद उसकी किस्मत ही बदल गई है.’

सर्वेश सिंह ने बताया, ‘अखिलेश यादव ने कई बार खज़ांची के परिवार की मदद की है. उनके (अखिलेश) कारण ही लोग भारत में खजांची को जानते हैं. स्वयं उन्होंने ही खज़ांची को इस रथ यात्रा के लिए आमंत्रित किया था.’

अखिलेश और उनकी समाजवादी पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी पर हमला करने के लिए नोटबंदी के मुद्दे को उठा सकती है, लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि इससे कोई खास फर्क पड़ने की संभावना नहीं है.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर पंकज कुमार कहते हैं, ‘आज के संदर्भ में, विमुद्रीकरण (नोटबंदी) कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं रह गया है. यह अच्छी बात है कि अखिलेश यादव ने उस चार साल के बच्चे की इतनी मदद की, लेकिन यह एक बिलकुल अलग मुद्दा है. व्यक्तिगत रूप से मुझे यह लगता है कि नोटबंदी के मुद्दे को अब कोई समर्थन नहीं मिलने वाला. 2017 में, जब विपक्ष इसका एक अलग नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रहा था, तब भी विमुद्रीकरण के मुद्दे ने भाजपा को काफी अधिक मदद की थी.’


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कैसे पड़ा खज़ांची का यह नाम?

खज़ांची का जन्म 2 दिसंबर 2016 को उस वक्त हुआ था, जब उसकी मां सर्वेशा देवी नोटबंदी के बाद पैसे निकालने के लिए बैंक की कतार में खड़ी थीं.

यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी इस घटना की जानकारी हुई और उन्होंने इस लड़के का नाम ‘खजांची’ रखा. इसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने इस लड़के की मां को 2 लाख रुपये और एक घर भी दिया.

भाजपा के नोटबंदी के फैसले पर निशाना साधने के लिए उन्होंने उन हालात के बारे में भी बात की, जिनमें खजांची का जन्म हुआ था.

यह चार साल की लड़का फिलहाल आंगनबाड़ी केंद्र जाता है. खज़ांची की मां ने कहा, ‘खज़ांची ने अभी-अभी आंगनबाडी केंद्र में जाना शुरू किया है. अगले साल हम उसे प्राथमिक विद्यालय में भेजेंगे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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