नई दिल्ली: कूड़े के पहाड़ डायनासोर की तरह विलुप्त हो जाएंगे, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक बसें ले लेंगी और दिल्ली के ऊपर से धूल के बादल आखिरकार छंट जाएंगे — कम से कम दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने राजधानी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन के 100 दिन पूरे होने पर यही दावा किया है.
दिप्रिंट के साथ एक खास इंटरव्यू में सिरसा ने कहा कि कोविड के दो साल को छोड़कर बीते 10 साल में मई 2025 सबसे साफ महीना था और उन्होंने इस सुधार का क्रेडिट भाजपा के “ज़मीनी स्तर के शासन” को दिया, न कि आम आदमी पार्टी (आप) के “पीआर-भारी, नीति-हल्के” दृष्टिकोण को.
बीएस6 वाहन प्रवर्तन से लेकर विरासत लैंडफिल प्रसंस्करण और ईवी अपनाने तक, सिरसा ने दिल्ली की हवा को साफ करने के उद्देश्य से पहलों की एक सूची तैयार की, साथ ही साथ अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी पर “जब काम मुश्किल हो गया तो गायब हो जाने” का आरोप लगाया.
सिरसा ने कहा, “मई 10 साल में सबसे साफ महीना रहा. दिल्ली में तीस प्रतिशत प्रदूषण धूल से आता है और हम इसे सीधे देख रहे हैं. औद्योगिक क्षेत्र, मॉल, निर्माण स्थल, सभी की अब निगरानी की जा रही है और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ रजिस्टर्ड किया जा रहा है.”
उन्होंने कहा, “उन्होंने 10 साल तक दिल्ली को लूटा और जब उनका नियंत्रण खत्म हो गया तो वे पंजाब भाग गए. पानी के बिना मछली की तरह केजरीवाल भी बिजली के बिना ज़िंदा नहीं रह सकते.”
दिल्ली के मंत्री ने कहा कि मौजूदा प्रशासन ने प्रदूषण से निपटने के लिए कई स्तरों पर हस्तक्षेप किया है, जिसमें स्प्रिंकलर और मैकेनिकल स्वीपर से लेकर वायु गुणवत्ता ट्रैकिंग और निर्माण विनियमन शामिल हैं.
सिरसा के अनुसार, 1,000 वाटर स्प्रिंकलर लगाने और मैकेनिकल स्वीपर के इस्तेमाल से सभी पीडब्ल्यूडी सड़कों की सफाई करने के लिए निविदाएं जारी की गई हैं.
उन्होंने कहा कि ईवी संक्रमण भाजपा की प्रदूषण योजना का आधार है, जिसमें सैकड़ों इलेक्ट्रिक बसें पहले ही बेड़े में शामिल हो चुकी हैं और हज़ारों सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं.
“साल के अंत तक, हमारा लक्ष्य 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन है.”
एक नवंबर से, केवल BS6 वाले कमर्शियल वाहनों को ही राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति होगी.
उन्होंने कहा, “पड़ोसी राज्यों से आने वाले वाहनों को सीमा पर चिह्नित किया जाएगा और एएनपीआर कैमरों का इस्तेमाल करके उन्हें वापस भेज दिया जाएगा. उन्हें व्हाट्सएप अलर्ट भी मिलेगा.”
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‘प्रचार पर 60 करोड़ रुपये खर्च हुए, प्रदूषण पर नहीं’
सिरसा ने AAP की बहुप्रचारित ऑड-ईवन योजना पर कटाक्ष करते हुए इसे “ड्रामा” बताया. उन्होंने कहा, “उन्होंने इसके प्रचार पर 60 करोड़ रुपये खर्च किए. अगर इसका आधा भी सड़कों की सफाई में इस्तेमाल किया जाता, तो हमारे यहां धूल कम होती.”
सिरसा ने कहा कि सरकार ने पहले ही 50-60 लाख टन पुराने कचरे को साफ कर दिया है और प्रमुख लैंडफिल साइटों पर कचरे के पहाड़ों की ऊंचाई 20 मीटर तक कम कर दी है.
उन्होंने कहा, “हमने निर्माण के लिए निष्क्रिय कचरे और ईंधन के लिए जलना वाले कचरे का इस्तेमाल किया. 2028 तक ये लैंडफिल खत्म हो जाएंगे, लोग कहते हैं कि डायनासोर केवल तस्वीरों में ही दिखते हैं — कचरे के पहाड़ों के साथ भी ऐसा ही होगा.”
यमुना नदी के बारे में सिरसा ने दावा किया कि उपराज्यपाल द्वारा शुरू किए गए पहले के सफाई प्रयासों को AAP के दबाव में कथित तौर पर अदालत के आदेशों द्वारा रोक दिया गया था.
उन्होंने कहा, “सीवेज नालों की निकासी का काम चल रहा है. हम नदी में जाने से पहले सीवेज को प्रोसेस कर रहे हैं. हरियाणा सरकार भी मदद कर रही है. यह तुरंत नहीं होगा, लेकिन काम शुरू हो गया है.”
महिलाओं को मासिक वित्तीय सहायता देने के भाजपा के चुनावी वादे को लागू करने में देरी को लेकर आलोचना का जवाब देते हुए सिरसा ने कहा कि 5,100 करोड़ रुपये पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं.
उन्होंने कहा, “हमारी प्रतिबद्धता विपक्ष के प्रति नहीं है. यह हमारी बहनों के प्रति है. उन्हें 2,500 रुपये प्रति माह सीधे उनके खातों में मिलेंगे.”
उन्होंने AAP पर पंजाब में 1,000 रुपये भी देने में विफल रहने का आरोप लगाया.
‘दिल्ली को लूटने से लेकर पंजाब को लूटने तक’
सिरसा ने अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया और उन पर चुनावी असफलताओं के बाद दिल्ली को छोड़ देने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, “केजरीवाल सत्ता के बिना नहीं रह सकते. जिस दिन वे दिल्ली हारे, उसी दिन पंजाब भाग गए. हारे हुए विधायक मनीष सिसोदिया पंजाब की कैबिनेट में बैठे हैं. उन्होंने शासन को साइड बिजनेस बना दिया है. उन्होंने सालों तक दिल्ली को लूटा. अब वे अनिर्वाचित सहयोगियों के ज़रिए पंजाब को लूट रहे हैं.”
पंजाब के बारे में सिरसा ने कहा कि भाजपा पारंपरिक वोट बैंक की राजनीति से आगे बढ़ रही है और किसानों, व्यापारियों और भूस्वामियों के साथ जमीनी स्तर पर जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
सिरसा ने कहा, “हम 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में लौटे हैं और हमने हर वर्ग, हर समुदाय का विश्वास जीता है. पंजाब में भी हमारा दृष्टिकोण जाति या वोट बैंक के गणित से प्रेरित नहीं है. हम किसी एक समूह को लक्षित नहीं कर रहे हैं; हम सभी तक पहुंच रहे हैं.”
सिरसा के अनुसार, पंजाब में भाजपा का ध्यान जमीनी स्तर पर सीधे जुड़ाव पर है. उन्होंने कहा, “हम किसानों, ज़मीन मालिकों, व्यापारियों से बात कर रहे हैं. ऐसे लोग जिनकी लंबे समय से अनदेखी की जाती रही है. हमारा लक्ष्य सरल है: उनसे बात करना, उनके मुद्दों को समझना और बिचौलियों या ड्रामेबाज़ी के बिना उनकी समस्याओं का समाधान करना.”
सिरसा ने माना, “हां, अकाली दल हमारा गठबंधन सहयोगी था. उन्होंने ग्रामीण और सिख वोट लाए, जबकि भाजपा ने शहरी और गैर-सिख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया. तब यही चुनावी गणित था.”
लेकिन गठबंधनों में बदलाव और राजनीतिक निष्ठाओं में उतार-चढ़ाव के साथ, सिरसा ने तर्क दिया कि भाजपा अब गठबंधन गणित पर निर्भर नहीं है. “हमने अपने दम पर केवल एक या दो चुनाव लड़े हैं. यहां तक कि अपने पहले ही चुनाव में हमने तीन सीटें जीती थीं. फिर लोकसभा चुनाव आए और हमने 32 (सीटें) जीतीं.”
उत्तरी राज्य में 2027 में चुनाव होने हैं.
पंजाब में AAP और कांग्रेस दोनों के लिए भाजपा को एक गंभीर विकल्प के रूप में पेश करते हुए सिरसा ने कहा, “आप की फोटो-ऑप राजनीति या कांग्रेस की निष्क्रियता की विरासत के विपरीत, हमने जमीनी स्तर पर एक नेटवर्क बनाया है. इसके आधार पर, हमें 50, शायद 55 सीटें जीतने और एक स्थिर सरकार बनाने का भरोसा है.”
उन्होंने पार्टी की रणनीति को नौटंकी के बजाय शासन पर केंद्रित बताया. उन्होंने कहा, “पंजाब ने आप और कांग्रेस दोनों को आजमाया है. उन्हें क्या मिला? टूटे हुए वादे, ड्रग कार्टेल और स्पष्ट पतन. भाजपा कानून, व्यवस्था और डिलीवरी की पेशकश करती है; यही हमारा अंतर है.”
उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य में ड्रग संकट “हर घर” तक पहुंच गया है और पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाया.
सिरसा ने कहा, “अगर पंजाब में भाजपा को एक भी मौका मिलता है, तो हम इसे साफ कर देंगे, जैसा कि हमने यूपी और गुजरात में किया है.”
(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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