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Thursday, 19 December, 2024
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तेजस्वी 25 मार्च को CBI जांच में शामिल होंगे, एजेंसी ने कहा- उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश नहीं की

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद याचिका का निपटारा किया, जिसमें तेजस्वी यादव ने केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को रद्द करने का अनुरोध किया था.

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नई दिल्ली: केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह इस महीने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को गिरफ्तार नहीं करेगी, जिसके बाद यादव ने 25 मार्च को एजेंसी के सामने पेश होने को लेकर सहमति जताई.

जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने सीबीआई के वकील का बयान दर्ज किया कि एजेंसी की इस महीने तेजस्वी यादव को गिरफ्तार करने की कोई योजना नहीं है.

इस आश्वासन के बाद तेजस्वी यादव की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने अदालत से कहा कि तेजस्वी 25 मार्च को सीबीआई के दिल्ली मुख्यालय में जांच अधिकारी के समक्ष साढ़े 10 बजे पेश होंगे.

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद याचिका का निपटारा किया, जिसमें तेजस्वी यादव ने केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को रद्द करने का अनुरोध किया था.

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री लालू यादव के बेटे तेजस्वी ने याचिका में कहा था कि उन्होंने कई पत्रों के माध्यम से जांच अधिकारी से अनुरोध किया कि उन्हें कुछ समय दिया जाए क्योंकि वर्तमान बिहार विधानसभा सत्र पांच अप्रैल तक चलेगा.

तेजस्वी ने कहा कि उन्होंने अनुरोध किया था कि या तो उन्हें पटना स्थित सीबीआई कार्यालय में उपस्थित होने की अनुमति दी जाए या अगर उनसे कोई जानकारी या दस्तावेज चाहिए तो वह नई दिल्ली में अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से उसे मुहैया करा देंगे.

विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने बुधवार को मामले के सभी आरोपियों को नियमित जमानत देते हुए कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया था और गिरफ्तारी के बिना आरोप पत्र दायर किया गया.

यह मामला लालू प्रसाद के 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहने के दौरान उनके परिवार को कथित तौर पर उपहार में दी गई या बेची गई जमीन के बदले रेलवे में की गई नियुक्तियों से जुड़ा है.

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपने आरोप पत्र में कहा कि भारतीय रेलवे के निर्धारित मानदंडों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए रेलवे में नियुक्तियां की गईं.


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