scorecardresearch
Friday, 26 April, 2024
होमराजनीतिहाथ नहीं देगा आप का साथ, शीला दीक्षित की ज़िद्द थी अकेले लड़ें दिल्ली में चुनाव

हाथ नहीं देगा आप का साथ, शीला दीक्षित की ज़िद्द थी अकेले लड़ें दिल्ली में चुनाव

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के घर हुई बैठक दिल्ली लोकसभा चुनाव में अकेली उतरेगी कांग्रेस, शीला की बात पर राहुल ने लगाई मुहर.

Text Size:

नई दिल्ली:  लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले ही महागठबंधन को एक बड़ा झटका लगा है, दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर कांग्रेस अकेली ही मैदान में उतरेंगी. आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर मंगलवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के घर बैठक हुई.

इसमें केंद्रीय नेतृत्व के वरिष्ठ नेताओं के अलावा प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और राज्य के बड़े नेता मौजूद थे. बैठक में राज्य कांग्रेस ने राहुल गांधी को स्पष्ट बताया गया कि हम गठबंधन के पक्ष नहीं है अगर गठबंधन होता है तो हमें दिल्ली विधानसभा में बड़ा नुकसान होगा. इसके साथ ही आप ने लोकसभा चुनाव में जो उम्मीदवार उतारे हैं वह हाई-प्रोफाइल नहीं और उनका राजनीतिक कद भी ऊंचा नहीं है.

शीला की ज़िद्द थी कि अकेले लड़ें दिल्ली में चुनाव

पूर्व मुख्यमंत्री और दिल्ली कांग्रेस की मुखिया शीला दीक्षित लगातार प्रदेश के बड़े पार्टी नेताओं के साथ लोकसभा चुनाव को लेकर बैठक कर रही हैं. इसमें शीला और उनके सिपाहसलार पार्टी के प्रदेश प्रभारी और बड़े नेताओं को लगातार अकेले ही दिल्ली के रण में उतरने के लिए दबाव बना रही थी.

पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के वरिष्ठ नेता आप के साथ गठबंधन के पक्ष में थे, लेकिन दिल्ली कांग्रेस के नेताओं का मानना था कि आम आदमी पार्टी की अपेक्षा कांग्रेस के ग्राफ मे लगातार बढोत्तरी हो रही है. इसके साथ ही दिल्ली में अब लोग कांग्रेस को पसंद कर रहे हैं. वहीं पार्टी कार्यक्रमों में भीड़ बढ़ रही है.

दिल्ली कांग्रेस के इस तर्क पर कांग्रेस के बडे़ नेता सहमत नहीं थे. उनका कहना था कि कार्यक्रमों में बढ़ रही भीड़ को वोट के पैमाने पर देखना जल्दबाजी होगी. बडे़ नेताओं का यह भी तर्क है कि मोदी के विरोध में सभी पार्टी एकजुट हैं सभी एक महागठबंधन का हिस्सा है, इसी के मद्देनजर वे लोकसभा चुनाव में साथ चुनाव लड़ने पर जोर दे रहे थे.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

साथ आते तो विधानसभा में दोनों पार्टियों के लिए होती मुसीबत

लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होना है. आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में ही अपने चार वर्षों कार्यकाल के लेखा- जोखा दिल्लीवासियों को देना शुरू कर दिया है. पार्टी वर्तमान परिपेक्ष को ध्यान में रखते हुए भाजपा और कांग्रेस को लगातार घेर भी रही है.

आम आदमी पार्टी दिल्ली को पूर्ण राज्य को दर्जा मिलने, दिल्ली सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप होने को लेकर भाजपा व मोदीनीत सरकार को लेकर चार साल से ही निशाना बना रही है. वहीं, कांग्रेस की सत्ता के समय हुए विकास कार्यों और घोटालों को भी याद करवाना नहीं भूलती है.


यह भी पढ़ें: कांग्रेस आप को नहीं मानती विश्वासपात्र, इसलिए नहीं हो सका गठबंधन


इधर,कांग्रेस सीएम केजरीवाल और उनकी पार्टी के द्वारा किए गए झूठे वादों को जनता को याद दिलाकर निशाना साध रही रही है. ऐसे में अगर दोनों दल लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर भी लेते है तो विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता के सामने क्या मुंह लेकर जाते इसे लेकर दोनों के बीच भी उहापोह की स्थिति बनी हुई थी.

कैप्टन अमरिंदर भी मना कर चुके है गठबंधन के लिए

सूत्रों के अनुसार आम आदमी पार्टी महागठबंधन के फार्मूले के तहत कांग्रेस, चंडीगढ़ और दिल्ली में भी सीटों का बंटवारा चाहती थी. पंजाब और चंडीगढ़ में सीटों के बंटवारें को लेकर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर पहले ही हाईकमान को पहले ही मना कर चुके थे. पंजाब और चंडीगढ़ में सीट बंटवारा नहीं होने के चलते आप दिल्ली में पांच या चार सीटें अपने पास रखना चाहती थीं, बची हुई सीटें कांग्रेस को देना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस के दिल्ली संगठन किसी भी गठबंधन के पक्ष में नहीं थे.

अब आप को चंद्रबाबू और ममता से उम्मीद

अगर आम आदमी पार्टी अभी भी गठबंधन चाहती है तो उसके पास केवल आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से उम्मीद है, आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल की चंद्रबाबू नायडू और ममता बनर्जी के साथ बेहतर संवाद और तालमेल है. अगर यह दोनों नेता कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाते है तो राज्य में गठबंधन के आसार बन सकते है, लेकिन इसकी उम्मीद अब न के बराबर ही है.

बोले थे केजरीवाल— हम कांग्रेस को मना-मना कर थक गए

सभी दलों के हुए महागठबंधन से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली में भी आप और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा अन्य राज्यों की तरह हो जाएगा. वहीं हाल ही में कई कार्यक्रमों में केजरीवाल और राहुल गांधी में नजदीकियां भी दिखाई दी थी, कई मौकों पर दोनों नेता एक साथ मंच पर नजर आए.

मोदी सरकार की जमकर आलोचना भी की, कुछ दिनों पहले प्रेस चर्चा में केजरीवाल बोले थे कि हम दिल्ली में समझौते के लिए कांग्रेस को मना-मना कर थक गए हैं. लेकिन उन्होंने मना कर दिया है. अब दिल्ली में कांग्रेस और आप दोनों अलग अलग चुनाव लडेंगे इस फैसले के बाद महागठबंधन को एक और झटका लगा है.

वहीं शनिवार को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की छह लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कि थी कि इनमें नई दिल्ली सीट से ब्रजेश गोयल, पूर्वी दिल्ली सीट से आतिशी, उत्तर पूर्वी दिल्ली से दिलीप पांडे, दक्षिणी दिल्ली से राघव चड्ढा, चांदनी चौक से पंकज गुप्ता और उत्तरी पश्चिम दिल्ली से गुग्गन सिंह को मैदान में उतारा है. पार्टी पश्चिमी दिल्ली से जल्द ही अपना उम्मीदवार तय करेंगी.

share & View comments