नई दिल्ली:दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर केंद्र पर आरोप लगाया कि देश में 80 फीसदी से ज्यादा सरकारी स्कूल कबाड़खानों से भी बदतर हैं.
इससे पहले केजरीवाल ने मंगलवार को कहा था कि 14,500 स्कूलों को आधुनिक करने का प्रधानमंत्री का फैसला ‘ समंदर में एक बूंद’ के बराबर है. केजरीवाल ने देश के सभी 10 लाख सरकारी स्कूलों के उन्नयन की योजना लाने के लिए फिर से जोर दिया.
केजरीवाल ने हिंदी में लिखे पत्र में कहा, ‘देशभर में रोज 27 करोड़ बच्चे स्कूल जाते हैं. इनमें से लगभग 18 करोड़ बच्चे सरकारी स्कूलों में जाते हैं. 80 प्रतिशत से ज्यादा सरकारी स्कूलों की हालत किसी कबाड़खाने से भी ज्यादा खराब है. अगर करोड़ों बच्चों को हम ऐसी शिक्षा दे रहे हैं तो सोचिए भारत कैसे विकसित देश बनेगा?’
प्रधानमंत्री जी को मेरा पत्र। उन्होंने 14,500 स्कूलों को अपग्रेड करने का एलान किया, बहुत अच्छा। लेकिन देश में 10 लाख सरकारी स्कूल हैं। इस तरह तो सारे स्कूल ठीक करने में सौ साल से ज़्यादा लग जाएँगे। आपसे अनुरोध है कि सभी दस लाख स्कूलों को एक साथ ठीक करने का प्लान बनाया जाए। pic.twitter.com/Cegk9XvIDZ
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 7, 2022
मुख्यमंत्री कहा, ‘उन्होंने (मोदी ने) 14,500 स्कूलों को अपग्रेड करने का एलान किया, बहुत अच्छा. लेकिन देश में 10 लाख सरकारी स्कूल हैं. इस तरह तो सारे स्कूल ठीक करने में सौ साल से ज़्यादा लग जाएंगे. आपसे अनुरोध है कि सभी दस लाख स्कूलों को एक साथ ठीक करने की योजना बनायी जाए.’
सोमवार को, प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि देश भर के 14,500 स्कूलों को ‘पीएम-श्री योजना’ के तहत विकसित और उन्नत बनाया जाएगा.
वी. के. सक्सेना ने केजरीवाल लिख पत्र
वही दूसरी तरफ दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शिक्षा एवं स्वास्थ्य मदों में नगर निगम का 383.74 करोड़ रुपये का बकाया जारी करने को कहा है.
Delhi Lt Governor has written to CM Arvind Kejriwal and asked him to release MCD's amount of Rs 383.74 crores, relating to education and health, pending for 2 years: Raj Niwas Delhi pic.twitter.com/IfZbvi0tc4
— ANI (@ANI) September 7, 2022
उपराज्यपाल कार्यालय ने सक्सेना द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्र को ट्विटर पर बुधवार को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने (उपराज्यपाल ने) पिछले दो सालों से लंबित इस बकाया रकम को जारी करने का आग्रह किया है
उन्होंने पत्र में लिखा है कि ‘अकाराण’ फंड रोकने से दिल्ली में प्राथमिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य की स्थिति पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है.
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