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Sunday, 22 December, 2024
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रोहतक में कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा भाजपा के अरविंद शर्मा से 32,000+ वोटों से आगे

हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र ने पहली बार अक्टूबर 2005 में रोहतक सीट पर उपचुनाव लड़ा था.

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गुरुग्राम: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अरविंद शर्मा से 32,252 वोटों के अंतर से आगे चल रहे हैं, जैसा कि भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी शुरुआती रुझानों में बताया गया है.

हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र ने पहली बार अक्टूबर 2005 में रोहतक सीट पर उपचुनाव लड़ा था, जब उनके पिता, जिन्होंने 2004 में यह सीट जीती थी, 2005 के विधानसभा चुनावों के बाद सीएम बनाए गए थे.

भिवानी के टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सटाइल्स एंड साइंसेज से बी.टेक की डिग्री और ब्लूमिंगटन के इंडियाना यूनिवर्सिटी के केली स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए करने वाले दीपेंद्र अमेरिका में एक कॉर्पोरेट जॉब में थे, जिसके बाद वे भारत आ गए और राजनीति में उतरने का फैसला किया.

उनके राजनीतिक सफर में उन्होंने 2009 और 2014 के संसदीय चुनावों में रोहतक सीट सुरक्षित की. हालांकि, 2019 में वे भाजपा के अरविंद शर्मा से लगभग 7,000 वोटों से हार गए. वह 2020 में राज्यसभा के लिए चुने गए, उनका कार्यकाल 2026 में समाप्त होने वाला है.

उनसे पहले, उनके पिता ने 1991, 1996, 1998 और 2004 में रोहतक संसदीय सीट जीती थी. हालांकि, 1999 में, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के इंदर सिंह ने भूपिंदर सिंह हुड्डा को हराकर सीट जीती थी.

हुड्डा परिवार का राजनीति में लंबा इतिहास रहा है, जिसमें दीपेंद्र सक्रिय रूप से शामिल होने वाली चौथी पीढ़ी है.

जबकि भूपेंद्र हुड्डा 10 साल तक सीएम रहे और वर्तमान में राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं, दीपेंद्र के दादा चौधरी रणबीर सिंह और परदादा चौधरी मातू राम भी सक्रिय राजनीति में थे.

1991 में रोहतक लोकसभा क्षेत्र में भूपेंद्र हुड्डा की जीत से पहले, यह सीट काफी हद तक पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल के नेतृत्व वाली INLD के प्रभाव में थी. 1989 में देवी लाल द्वारा यह सीट जीते जाने के साथ ही पार्टी ने अपने पिछले स्वरूपों के साथ 1971, 1977 और 1980 के चुनावों में जीत हासिल की.

कांग्रेस पार्टी ने 1984 में रोहतक में अपनी पहली जीत दर्ज की, जब हरद्वारी लाल सांसद चुने गए.


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