नई दिल्ली: हर हफ्ते 200 लोगों को फोन करना, रोजाना कम से कम दो मतदाताओं के साथ चाय पीना, मतदान केंद्रों पर नारे लिखना – ये कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं को सौंपा है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक इस सप्ताह मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले चुनावों के लिए प्रचार अभियान का एक हिस्सा है.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि शाह ने पिछले महीने 30 जुलाई को मध्य प्रदेश की अपनी यात्रा के दौरान साप्ताहिक कार्य सौंपना शुरू किया था.
कर्नाटक चुनावों की करारी हार को देखते हुए भाजपा ने अपनी राज्य इकाई को व्यवस्थित करने का काम शुरू कर दिया है ताकि इसके जैसी हार का सामना दोबारा न करना पड़े. और इसके लिए पार्टी सभी मोर्चों पर काम कर रही है – वरिष्ठ नेता क्षेत्रीय बैठकों के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं तक पहुंच रहे हैं. जिला स्तर पर चुनाव प्रबंधन संयोजक नियुक्त किए गए हैं और कार्यकर्ताओं के लिए साप्ताहिक लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं.
राज्य बीजेपी महासचिव रणवीर सिंह रावत ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ”चुनावी मशीनरी और संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए साप्ताहिक लक्ष्य तय किए जाते हैं.”
रावत ने कहा, “प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में चल रही विधानसभा बैठकों के 20 अगस्त तक समाप्त होने के बाद, विधायक प्रवास (दौरे) शुरू होंगे जहां अन्य राज्यों के प्रत्येक चयनित विधायक एक सप्ताह के लिए एक विधानसभा सीट का दौरा करेंगे, अगले महीने होने वाली जन आशीर्वाद यात्रा से प्रतिक्रिया प्राप्त करेंगे.”
पार्टी सूत्रों ने कहा कि वरिष्ठ नेता – मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्य भाजपा अध्यक्ष वीडी सिंह से लेकर राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और एमपी चुनाव प्रबंधन संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर तक – असंतोष को खत्म करने और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बैठकें कर रहे हैं.
साप्ताहिक लक्ष्य, 57 जिला संयोजक
अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को तीन कार्यकाल से सत्ता में रही शिवराज सिंह चौहान सरकार की उपलब्धियों को उजागर करने और उनकी तुलना कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल की उपलब्धियों से करने का काम सौंपा है.
प्रत्येक कार्यकर्ता को हर सप्ताह एक बूथ की दीवारों पर पार्टी के नारे लिखने को कहा गया है. एमपी में 64 हजार बूथ हैं.
जुलाई में, पार्टी ने नरेंद्र सिंह तोमर को मध्य प्रदेश के लिए चुनाव प्रबंधन संयोजक के रूप में तैनात किया, और फिर पिछले हफ्ते अंदरूनी कलह पर ध्यान केंद्रित करने और चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रखने के लिए राज्य में 57 जिला चुनाव संयोजक नियुक्त किए.
राज्य में पार्टी के महासचिव भगवानदास सबनानी ने दिप्रिंट को बताया कि ये संयोजक वरिष्ठ नेता हैं जिन्हें “चुनावों के लिए गति बनाने के लिए कार्यकर्ताओं के साथ लगातार जुड़ाव” बनाए रखने के लिए नियुक्त किया गया है.
राज्य में पार्टी के महासचिव भगवानदास सबनानी ने दिप्रिंट को बताया कि ये संयोजक वरिष्ठ नेता हैं जिन्हें “चुनावों के लिए गति बनाने के लिए कार्यकर्ताओं के साथ लगातार जुड़ाव” बनाए रखने के लिए नियुक्त किया गया है.
हालांकि, नाम न छापने का अनुरोध करते हुए, पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने दावा किया कि जिला संयोजकों की नियुक्तियों का एक और उद्देश्य भी था.
पदाधिकारी ने कहा, “जिन नेताओं को ये पद दिए गए हैं, उनमें से कई को विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का टिकट नहीं मिल सकता है…उन्हें चुनाव में शामिल रखने के लिए जिला स्तर पर यह जिम्मेदारी दी गई है.”
पिछले महीने पार्टी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री जयंत मलैया को अपनी घोषणापत्र समिति का प्रमुख नियुक्त किया था. मलैया 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस नेता राहुल लोधी से हार गए जो 2020 में सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए. लोधी ने 2021 में दमोह उपचुनाव लड़ा लेकिन हार गए, इसका दोष मलैया पर मढ़ा. पार्टी सूत्रों ने कहा कि मलैया पिछले साल से नाराज चल रहे हैं जब पार्टी ने उन्हें अनुशासनहीनता के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
पिछले महीने पार्टी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री जयंत मलैया को अपनी घोषणापत्र समिति का प्रमुख नियुक्त किया था. मलैया 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस नेता राहुल लोधी से हार गए जो 2020 में सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए. लोधी ने 2021 में दमोह उपचुनाव लड़ा लेकिन हार गए, और इसका दोष मलैया पर मढ़ा. पार्टी सूत्रों ने कहा कि मलैया पिछले साल से नाराज चल रहे हैं जब पार्टी ने उन्हें अनुशासनहीनता के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
इसी तरह, पिछले दिनों पार्टी नेतृत्व पर सवालिया निशान उठाने वाले अजय बिश्नोई को चुनाव प्रबंधन और घोषणापत्र समितियों में रखा गया है. भाजपा के पिछड़ा मोर्चा प्रमुख नारायण सिंह कुशवाहा, जो 2018 में ग्वालियर दक्षिण सीट प्रवीण पाठक से हार गए थे, को भी चुनाव प्रबंधन समिति में रखा गया है.
सागर जिले में चुनाव संयोजक जवाहर सिंह ने कहा, “संयोजकों की मुख्य भूमिका पार्टी के पूर्व पदाधिकारियों या विधायकों को अभियान में शामिल करना, चुनाव से पहले किसी भी असंतोष को संबोधित करना और निर्वाचन क्षेत्रों के बारे में नेतृत्व को प्रतिक्रिया देना है. वर्षों से अलग-थलग महसूस कर रही पुरानी पीढ़ी को चुनाव प्रबंधन का प्रभार दिया गया है.”
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रणनीतिक बैठकें, दिग्गजों तक पहुंच
इस साल जुलाई से शाह दिल्ली और भोपाल में पार्टी नेताओं की चार बैठकें कर चुके हैं. पिछले हफ्ते भी, साप्ताहिक लक्ष्यों और 12 अगस्त को सागर में रविदास मंदिर की नींव रखने के लिए प्रधानमंत्री की रैली पर चर्चा करने के लिए मध्य प्रदेश के नेताओं को दिल्ली बुलाया गया था.
पिछले हफ्ते, सीएम चौहान ने अपने पुराने सहयोगी और पूर्व वित्त मंत्री राघवजी से मुलाकात की, जिन्हें 2013 में उनके खिलाफ यौन शोषण के आरोप के बाद पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. हालांकि, इस साल जून में, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द कर दिया.
पार्टी सूत्रों ने कहा कि 90 वर्षीय राघवजी के साथ सीएम की मुलाकात का रणनीतिक कारण कार्यकर्ताओं के बीच यह संदेश देना था कि भाजपा अपने लोगों के साथ खड़ी है.
इस बीच, तोमर चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए रीवा से गुना तक पूरे राज्य का दौरा कर रहे हैं.
पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि पिछले हफ्ते भोपाल के नरेला में एक बैठक को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा था, ”हम इंसान हैं…एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें हमेशा रहेंगी. लेकिन युद्ध का सामना करते समय हमें अपनी शिकायतें भूलकर अपने विरोधियों को हराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उसके बाद, हमारे मुद्दों को हल करने के लिए हमेशा समय होगा.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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