वर्धा में बैठक कर कांग्रेस सांकेतिक रूप से गांधी की विरासत पर हक़ जता रही है साथ ही मोदी को सत्ता से हटाने की मुहीम की शुरूआत भी कर रही है.
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी आज महाराष्ट्र के वर्धा स्थित सेवाग्राम आश्रंम पहुंचे जहां कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक हुई. उनके साथ यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी बैठक में शामिल हुए.
बैठक मे पार्टी सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर चर्चा करेगी और एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें महात्मा गांधी के प्रेम, शांति और भाईचारे के पथ पर चलने का जनता से आह्वान किया गया.
कार्यसमिति ने रफाल विमान घोटाले, बेरोज़गारी और कृषि संकट को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ व्यापक जनांदोलन शुरू करने का फैसला किया. असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मामले पर कांग्रेस मे कहा कि वो असम समझौते पर कायल है.
गांधी के पद्चिन्हों पर वर्धा में राहूल गांधी ने स्थानीय लोगो से मुलाकात की, शांति मार्च निकाला और एक प्रार्थना सभा भी की.
वर्धा ही क्यों
चुनावी माहौल में वर्धा का सांकेतिक महत्व है. 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्म दिन पर लंबे समय तक उनकी कर्मभूमि रहे सेवाग्राम में बैठक बुलाई गई. गांधी की विरासत की इस लड़ाई मे जहां मोदी सरकार स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए गांधी की सोच को भुना रही है वहां कांग्रेस महात्मा के 150 जन्मशताब्दी वर्ष की शुरूआत में स्वयं को महात्मा की कर्मभूमि से दूर कैसे रख सकती थी.
भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव 14 जुलाई 1942 को सेवाग्राम में पारित हुआ था. ये आंदोलन मुम्बई में 8 अगस्त को शुरू हुआ था.
कांग्रेस कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने ट्वीट किया कि “76 साल बाद कांग्रेस कार्य समिति की एक बार फिर वर्धा में बैठक हो रही है. तब के कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना आज़ाद ने बापू, पंडितजी, सरदार पटेल और अन्य ने भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान जुलाई 1942 में किया था. “
76 years later the Congress Working Committee is once again meeting in Wardha
The then Congress President Maulana Azad along with Bapu, Panditji, Sardar Patel & others gave the clarion call for Quit India in the Wardha CWC meeting in July 1942 pic.twitter.com/i8xtk5YIUF
— Ahmed Patel (@ahmedpatel) October 2, 2018
गांधीजी ने जब 1930 में नमक सत्याग्रह शुरू किया था तो वे अपना 78 साथियों के साथ दांडी यात्रा पर निकले थे. उन्होंने प्रण लिया था कि वे अपने साबरमती आश्रम में तब तक लौट के नहीं आएंगे जबतक स्वराज्य नहीं मिल जाता. नमक सत्याग्रह में गिरफ्तारी और यरवदा जेल में सज़ा के बाद गांधी जी वापिस साबरमति नहीं लौटे. 1934 में जमनालाल बजाज एवं अन्य साथियों के आग्रह से वे वर्धा आए और मगनवाड़ी में रहने लगे. 30 अप्रेल 1936 को गाँधीजी पहली बार मगनवाड़ी से सेगाँव (सेवाग्राम) रहने चले आए.
महाराष्ट्र में वर्धा और सेवाग्राम ही नहीं, नागपुर भी है- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संध का मुख्यालय.
तो शायद राहुल वर्धा के सेवाग्राम से भारत छोड़ो तो नहीं पर मोदी को सत्ता से दूर करने की मुहीम का बिगुल ज़रूर बजा सकते है.
आज के सोशल मीडिया के ज़माने में संकेतों में बहुत ताकत है और इस दिन इससे बड़ा संकेत कांग्रेस आखिर क्या चुन सकती थी.