मुंबई: दो दिसंबर को महाराष्ट्र में नगर परिषद चुनावों से पहले हुई कड़ी लड़ाई और अंदरूनी खींचतान के बाद, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अब सुलह का संकेत दिया है और तय किया है कि अगले दौर के स्थानीय चुनाव—खासकर मुंबई और ठाणे वह गठबंधन के रूप में मिलकर लड़ेंगे.
मुंबई और ठाणे समेत 29 नगर निगमों के चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने हैं. पूरे राज्य में जिला परिषद के चुनाव भी संभवतः अगले साल होंगे. इस हफ्ते नागपुर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के नेताओं ने कई बैठकें कीं, ताकि यह संकेत दिया जा सके कि ‘महायुति’ ये चुनाव साथ मिलकर लड़ेगी.
नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, “तीन दिन पहले सीएम देवेंद्रजी, रविंद्र चव्हाण, चंद्रशेखर बावनकुले…हम सब मिले थे. हमने तय किया कि आने वाले नगर निगम चुनाव महायुति के तौर पर लड़ने चाहिए. हमने उसी के अनुसार बातचीत शुरू कर दी है.”
सोमवार की बैठक के बाद शिंदे और महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण की एक और बैठक हुई, जो दो घंटे तक शिंदे के घर पर चली, जहां चुनाव की तैयारी से जुड़े शुरुआती मुद्दों पर चर्चा हुई.
महायुति में भारतीय जनता पार्टी, शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल हैं. हालांकि, इस हफ्ते की ज्यादातर बैठकें बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना के नेताओं के बीच ही हुईं.
शुक्रवार सुबह नागपुर में उपमुख्यमंत्री शिंदे के साथ देर रात बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए बीजेपी महाराष्ट्र अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण ने कहा, “हम महायुति इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें सभी घटक दल हैं—रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया है, अजित पवार की एनसीपी है और अन्य पार्टियां भी हैं. हम अलग-अलग स्थानीय निकायों में इन सभी दलों से स्थानीय स्तर पर बात करेंगे.”
20 दिसंबर को 24 और नगर परिषदें और नगर पंचायतें मतदान के लिए जाएंगी. इसके अलावा, 76 नगर परिषदों के 154 वार्डों में भी उसी दिन चुनाव होंगे. इन दो चरणों में जिन 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों में मतदान हुआ है, उनके नतीजे रविवार को घोषित किए जाएंगे.
हर स्थानीय निकाय के लिए कमेटियां
शुक्रवार सुबह नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए चव्हाण ने कहा कि ये बैठकें इसलिए की गईं ताकि साफ हो सके कि महायुति अगला स्थानीय चुनाव—यानी नगर निगमों के चुनाव एक साथ लड़ने की योजना बना रही है और इसके लिए पार्टियों को कुछ सिस्टम बनाना होगा ताकि नेता उसी हिसाब से चुनाव अभियान आगे बढ़ा सकें.
उन्होंने कहा, “किसी भी हाल में मुंबई और बाकी बड़े नगर निगमों के लिए गठबंधन ज़रूर होना चाहिए. सभी वरिष्ठ नेताओं ने इस पर सहमति जताई. बाकी निगमों के लिए यह तय हुआ कि हर निगम के लिए एक समिति बनेगी जो यह तय करेगी कि गठबंधन का फॉर्मूला क्या होना चाहिए.”
बीजेपी प्रमुख ने कहा कि हर ऐसी समिति में उस क्षेत्र के 4-6 प्रमुख नेता होंगे, जो वार्डों का सर्वे करेंगे, जीत की संभावना का आंकलन करेंगे और महायुति के बाकी सहयोगियों से भी बात करेंगे.
चव्हाण ने कहा, “कमेटियां एक-दो दिन में प्रारंभिक चर्चा शुरू कर देंगी, लेकिन अलग-अलग स्थानीय निकायों में सीट बंटवारे का अंतिम फैसला वरिष्ठ नेतृत्व ही करेगा.” उन्होंने यह भी कहा कि महायुति के तीनों मुख्य नेता सीएम फडणवीस, डिप्टी सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम अजित पवार—एक ही पेज पर हैं और मिलकर फैसला लेने में सक्षम हैं.
उन्होंने जोर देकर कहा कि मुंबई और ठाणे जैसे बड़े निगमों में “100 प्रतिशत गठबंधन होगा”.
काउंसिल चुनाव से पहले महायुति में दरार
परिषद चुनावों से पहले महायुति के भीतर खटास के कई संकेत मिले थे. शिंदे-नेतृत्व वाली शिवसेना ने बीजेपी पर उसके नेताओं, पूर्व पार्षदों और कॉरपोरेटरों को तोड़ने का आरोप लगाया था और यहां तक कि शिवसेना नेताओं के प्रतिद्वंद्वियों को पार्टी में शामिल करने का भी आरोप लगाया.
एक समय तो शिंदे को छोड़कर शिवसेना के सभी मंत्रियों ने राज्य कैबिनेट की बैठक का बहिष्कार कर दिया था और बाद में सीएम फडणवीस से उनके कक्ष में मिलकर अपने नेताओं को तोड़ने पर नाराज़गी जताई थी. बताया गया कि फडणवीस ने यह भी कहा कि शिवसेना ने भी अपने बयानों और नए लोगों को शामिल करने के फैसलों से गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया है और दोनों पक्षों को यह रोकना होगा.
शिंदे ने यह मामला केंद्रीय मंत्री अमित शाह तक भी पहुंचाया था.
सिंधुदुर्ग, धाराशिव, सतारा, पालघर जैसे कई जिलों में बीजेपी उम्मीदवार सीधे शिंदे-नेतृत्व वाली शिवसेना के उम्मीदवारों के खिलाफ खड़े थे. दूसरी ओर, कोल्हापुर में दो प्रतिद्वंद्वी एनसीपी—एक अजित पवार की, जो महायुति का हिस्सा है और दूसरी शरद पवार की, जो महा विकास अघाड़ी में है, ने हाथ मिला लिया था.
चव्हाण को लेकर भी खास नाराज़गी थी, क्योंकि वह शिंदे के गढ़—ठाणे और उनके सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे के क्षेत्र कल्याण-डोंबिवली में बीजेपी की ताकत दिखा रहे थे. चव्हाण कोंकण क्षेत्र से आते हैं, लेकिन 2009 से डोंबिवली से बीजेपी विधायक रहे हैं. बीजेपी के कई नेताओं का मानना है कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की एक वजह शिंदे के प्रभाव वाले क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करना और उनकी पकड़ थोड़ा कम करना भी था.
हालांकि, दो दिसंबर को परिषद चुनावों के पहले चरण के बाद, दोनों ने रिश्ते सुधारने का इशारा किया. पिछले शनिवार, शिंदे और चव्हाण कल्याण में कई परियोजनाओं के भूमिपूजन कार्यक्रम में एक ही मंच पर नज़र आए.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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