नई दिल्लीः दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) चीफ लालू प्रसाद यादव को आईआरसीटीसी के दो होटलों के मेंटिनेंस के ठेके से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये अंतरिम जमानत दी है. अंग्रेजी अखबार द हिन्दू के मुताबिक, यह जमानत एक लाख बांड भरने के बाद मिली. 19 जनवरी तक वह अंतरिम बेल पर रहेंगे. प्रसाद वर्तमान में रांची जेल में चारा घोटाला मामले में बंद हैं.
पूर्व बिहार चीफ मिनिस्टर राबड़ी देवी उनके बेटे तेजस्वी यादव और अन्य पहले से ही मामले में बेल पर हैं.
प्रसाद और उनके पारिवारिक सदस्यों के अलावा, पूर्व यूनियन मिनिस्टर प्रेमचंद गुप्ता पत्नी सरला गुप्ता, रेलवे बोर्ड से जुड़े सदस्य बीके अग्रवाल, आईआरसीटीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर पीके गोयल और आईआरसीटीसी डायरेक्टर, राकेश सक्सेना का भी चार्जशीट में नाम था. कोर्ट ने कहा फिलहाल दस्तावेजों की जांच के लिए सुनवाई को अभी स्थगित किया जा रहा है.
आईआरसीटीसी घोटाला, जिसमें रांची और पुरी में होटल के विकास, प्रबंधन और ऑपरेशन का ठेका निजी कंपनी को दिए जाने के मामले में हुई कथित अनियमितता को लेकर जांच एजेंसी सीबीआई ने मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने 2006 में रांची और पुरी के होटलों के टेंडर दिए जाने के मामले में हुई कथित अनियमितता पर तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था. यह टेंडर निजी सुजाता होटल्स को दिए गए थे.
बिहार का बड़ा घोटाला
चारा घोटाला स्वतन्त्र भारत के बिहार प्रान्त का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला कहा जाता है, जिसमें पशुओं को खिलाये जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिये गये. सरकारी खजाने की इस चोरी में अन्य कई लोगों के अलावा बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद व पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र पर भी आरोप लगा. इस घोटाले के कारण लालू को मुख्यमंत्री के पद से त्याग पत्र देना पड़ा.
यह घोटाला 1996 में हुआ था, लेकिन जैसे-जैसे जांच हुई इसकी पर्तें खुलती गयीं और लालू यादव व जगन्नाथ मिश्र जैसे कई सफेदपोश नेता इसमें शामिल नजर आये. मामला लगभग दो दशक तक चला.
लोकसभा से आयोग्य ठहराये गये
लालू प्रसाद यादव और जदयू नेता जगदीश शर्मा को घोटाले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोकसभा से अयोग्य ठहराया गया. चुनाव आयोग के नये नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 साल तक लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पायेंगे. उच्चतम न्यायालय ने चारा घोटाला में दोषी सांसदों को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने से बचाने वाले प्रावधान को भी निरस्त कर दिया है.