देहरादून: आम आदमी पार्टी (आप) ने उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में पैठ बनाने की कोशिश के मद्देनज़र व्यापक स्तर पर अपना अभियान शुरू कर दिया है.
आप नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस अभियान की सरगर्मी ने सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही प्रभावित किया है लेकिन दोनों प्रमुख दलों का कहना है कि वे इसे लेकर चिंतित नहीं हैं.
उत्तराखंड के आप नेताओं का कहना है कि पार्टी राज्य की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, हालांकि उनका फोकस उनमें से केवल आधी सीटों पर होगा.
राज्य में आप के मुख्यमंत्री पद के चेहरे कर्नल अजय कोठियाल (सेवानिवृत्त) ने दिप्रिंट से कहा कि पार्टी उत्तराखंड में एक सशक्त तीसरी ताकत के विकल्प के तौर पर उभरेगी. उन्होंने दावा किया कि आप मतदाताओं का दिल जीतने के लिए राज्य के हर घर में वर्चुअली और फिजिकली दोनों ही तरह से दस्तक देगी.
उन्होंने कहा कि पार्टी बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर देने के साथ बिजली और पानी के बिलों में रियायत का वादा भी करेगी.
कर्नल कोठियाल ने कहा, ‘अगर आज चुनाव होते हैं तो हमें लगभग 16-17 प्रतिशत वोट मिलेंगे, लेकिन हम 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 35 पर फोकस करते हुए इसे 25 प्रतिशत से पार पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. हम केवल बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे प्रमुख मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं, जो पहाड़ से बड़े पैमाने पर लोगों के पलायन का मुख्य कारण हैं.
कोठियाल के मुताबिक, आप मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने उन्हें कैसे बर्बाद कर दिया है और 20 वर्षों से अधिक समय तक सत्ता में रहने के बावजूद राज्य के संसाधनों का उपयोग उनकी भलाई के लिए नहीं हो पा रहा है.
कोठियाल ने कहा, ‘हमारे अभियान के साथ-साथ भाजपा के खिलाफ जबर्दस्त सत्ता विरोधी लहर भी हमारी मदद करेगी, क्योंकि लोग इस बार एक मजबूत तीसरे विकल्प की तलाश में हैं.’
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बूथ समितियां नहीं, गारंटी कार्ड और 200 प्रचार वाहनों का इस्तेमाल
आप ने राज्य में अपनी गतिविधियां पहले ही तेज कर दी हैं लेकिन मतदाताओं को आकृष्ट करने के लिए पारंपरिक बूथ स्तरीय चुनाव अभियानों या रैलियों का सहारा नहीं लिया जा रहा है.
पार्टी कार्यकर्ता मतदाताओं का भरोसा हासिल करने के लिए राज्य के लगभग 50 लाख बिजली उपभोक्ताओं का डेटाबेस इस्तेमाल कर रहे हैं.
वे एक पोर्टल के जरिये ऑनलाइन नामांकन के लिए घरेलू बिजली उपभोक्ताओं से संपर्क साध रहे हैं और उन्हें बिजली गारंटी कार्ड दे रहे हैं.
पार्टी ने वादा किया है कि अगर वह सत्ता में आई तो ये कार्ड 300 यूनिट मुफ्त बिजली आपूर्ति की गारंटी होंगे.
पार्टी की योजना आने वाले महीनों में शिक्षा, मुफ्त पानी, स्वास्थ्य और रोजगार पर चार और कार्ड अभियान चलाने की है.
उत्तराखंड में आप के मुख्य रणनीतिकार दिव्याशीष ने बताया, ‘ये कार्ड प्राप्त करने के लिए लगभग 15 लाख परिवारों ने हमारे पास ऑनलाइन पंजीकरण कराया. उन्हें मुफ्त बिजली आपूर्ति और राज्य में 65,000 से अधिक बिजली बिल माफ करने के हमारे चुनावी वादों के बारे में बताया जा रहा है. आने वाले दिनों में बिजली के बाद चार और कार्ड अभियान चलाए जाएंगे.
पार्टी ने अरविंद केजरीवाल और कोठियाल की तस्वीरों वाले लगभग 200 वाहनों को किराये पर भी लिया है, जो पहाड़ों पर चक्कर लगा रहे हैं और पार्टी के चुनावी वादों के बारे में ब्योरा देने के लिए जगह-जगह बूथ भी लगाए गए हैं.
आप के राज्य महासचिव आशुतोष नेगी ने कहा, ‘रैलियों और जनसभाओं से हमें केवल एक बार मतदाताओं से मिलने में मदद मिलती है, लेकिन ऑनलाइन संपर्क कई बार उन तक पहुंचने का मौका देता है. गारंटी कार्ड अभियान हमारे डोर-टू-डोर संपर्क और सार्वजनिक सभाओं के साथ हमारे मौजूदा वर्चुअल कैंपेन के पूरक के तौर पर व्यापक डेटाबेस जुटाने में मदद करेगा.’
आप को अपने दिल्ली के शासन मॉडल पर भी काफी भरोसा है क्योंकि लगभग एक महीने पहले एलईडी स्क्रीन से लैस 70 वाहनों को उत्तराखंड के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में भेजा गया जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में केजरीवाल सरकार की उपलब्धियों को दर्शाने वाले वीडियो दिखाए जा रहे थे.
राज्य के पार्टी नेतृत्व के मुताबिक, यह आप की ओर मतदाताओं का ध्यान आकृष्ट करने की एक कोशिश थी.
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सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही भाजपा ‘आप’ के उभरने से खुश
आप की ये कवायदें ऐसे समय तेज हुई हैं जबकि राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर से जूझ रहे हैं.
पार्टी को जमीनी स्तर पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें बुनियादी ढांचे का अभाव, खासकर खराब सड़कें, बेरोजगारी, संविदा सरकारी कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग, कोविड से निपटने में सरकार की नाकामी के खिलाफ आक्रोश और बाहरी लोगों के आने पर रोक वाले भूमि कानून की मांग आदि शामिल हैं.
बहरहाल, भाजपा नेताओं को लगता है कि आप का उभरना विधानसभा चुनाव में उनके लिए मददगार ही होगा.
नाम न छापने की शर्त पर भाजपा के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘आप का उभरना एक तरह से हमारे लिए मददगार ही होगा क्योंकि सत्ता विरोधी और अल्पसंख्यक वोटों के बंटने से कांग्रेस को इसका फायदा नहीं मिल पाएगा. यहां तक की कांग्रेस के तमाम नेता भी इस बात को लेकर चिंतित हैं.’
भाजपा नेताओं का यह भी मानना है कि आप चुनाव से पहले ही अपनी पकड़ खो देगी क्योंकि उत्तराखंड के मतदाता ‘एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण’ के साथ सरकार चुनते हैं.
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मनबीर चौहान ने कहा, ‘दिल्ली में उत्तराखंड मूल के 20 लाख लोगों में से अधिकांश ने वहां की आप सरकार को खारिज कर दिया है. वे हमें लगातार केजरीवाल सरकार के खराब प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. इसका नतीजा उत्तराखंड चुनाव में नजर आएगा. उन्हें यहां मतदाताओं के सामने बेनकाब किया जाएगा.’
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मैदानी इलाकों में ही असर, पहाड़ों पर नहीं: कांग्रेस
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस का मानना है कि आप के उभरने से उसकी चुनावी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
सदन में नेता विपक्ष और पूर्व पीसीसी अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा, ‘आप अभी राज्य में खुद को एक संभावित ताकत के रूप में सामने नहीं ला पाई है. पहाड़ों में उनकी कोई उपस्थिति नहीं है. यह भाजपा की बी-टीम की तरह काम कर रही है लेकिन मतदाता इसे समझते हैं. आप 2022 के चुनावों में कांग्रेस की संभावनाओं पर कोई असर नहीं डाल पाएगी.’
पीसीसी महासचिव राजेंद्र शाह ने कहा, ‘फिलहाल ऐसा लगता है कि हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर के साथ देहरादून और नैनीताल जिलों के मैदानी इलाकों वाले विधानसभा क्षेत्रों में उनका कुछ प्रभाव हो सकता है, लेकिन यह लंबे समय तक टिकेगा नहीं जब तक चुनाव होंगे. आप का प्रदर्शन काफी हद तक उन चेहरों पर निर्भर करता है जिन्हें वे मैदान में उतारेंगे.’
हालांकि, राज्य के राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आप के प्रयासों से कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होगा, लेकिन साथ ही जोड़ा कि भाजपा पर भी इसका थोड़ा-बहुत असर होगा.
देहरादून में बसे राजनीतिक टिप्पणीकार जय सिंह रावत का कहना है, ‘आप सबसे पहले उस 10-11 प्रतिशत वोट शेयर के अंतर को भरेगी जो गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपा है. यह कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोटों के एक बड़े हिस्से के बीच पैठ बना सकती है. यही नहीं भाजपा भी इससे प्रभावित होगी क्योंकि उसके मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग गैर-कांग्रेसी विकल्प की तलाश में है. उसे इसका फायदा मिल सकता है.’
हरिद्वार में रहने वाले राजनीतिक विश्लेषक भगीरथ शर्मा ने कहा, ‘आप बहुत अधिक सीटें तो नहीं जीत सकती, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के कई उम्मीदवारों की जीत की संभावनाओं को धूमिल जरूर कर सकती हैं. एक बार टिकट बंटना शुरू होने के बाद स्थिति और अधिक स्पष्ट हो जाएगी क्योंकि भाजपा और कांग्रेस के कई जाने-माने चेहरे आप में शामिल हो सकते हैं.’
राज्य में आप पहली बार अपनी किस्मत आजमा रही है, जहां 2000 में इसके गठन के बाद से कांग्रेस और भाजपा बारी-बारी से सत्ता संभालती रही है.
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