नई दिल्ली: संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई को शुरू होने जा रहा है, और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कुछ प्रमुख मुद्दों पर चर्चा के लिए, पार्टी के संसदीय रणनीति समूह की बैठक बुलाई है, ताकि मोदी सरकार को घेरा जा सके.
सूत्रों के अनुसार, 14 जुलाई के लिए निर्धारित बैठक में, लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को बदले जाने की मांग भी उठ सकती है.
हालांकि नेता प्रतिपक्ष का अधिकारिक पद पाने के लिए कांग्रेस ज़रूरी संख्या में सीटें हासिल नहीं कर पाई थी, लेकिन बरहामपुर सांसद चौधरी सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता के तौर पर काम कर रहे थे. 2019 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को केवल 52 सीटें मिलीं थीं.
एक पार्टी नेता ने कहा, ‘शशि थरूर, मनीष तिवारी, गौरव गोगोई, और रवनीत बिट्टू इस पद की दौड़ में हैं. इससे जी-23 नेताओं को खुश करने में भी सहायता मिल सकती है (जिन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलावों की मांग की थी’.
‘इसके अलावा, पार्टी लोकसभा में पार्टी सचेतक को बदलने की संभावना पर भी विचार कर सकती है. लेकिन वो इस सत्र के लिए किया जाएगा या नहीं, इस समय पर ये नहीं कहा जा सकता’.
नेता ने आगे कहा कि बहुत सारे नेता, चौधरी को लेकर अपनी चिंताओं का इज़हार करते रहे हैं.
नेता ने कहा, ‘बहुत से लोगों को लगता था कि अधीर रंजन चौधरी पार्टी के रुख़ को सही ढंग से नहीं रख पाते’. उन्होंने आगे कहा, ‘साथ ही वो पश्चिम बंगाल के राज्य प्रभारी भी हैं, जहां पार्टी का प्रदर्शन सबने देख लिया है. पिछले विधान सभा चुनावों में कांग्रेस और टीएमसी के बीच गठबंधन की भी अटकलें थीं, लेकिन अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी के प्रति सख़्त रवैया अपना लिया’.
एक दूसरे पार्टी नेता ने कहा कि चौधरी ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लगातार बयानबाज़ी करते रहे हैं, जिसे लेकर केंद्रीय नेता ख़ुश नहीं हैं. दूसरे नेता ने कहा, ‘वो पश्चिम बंगाल में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, और अगर एक व्यक्ति एक पद के नियम का पालन किया जाए, तो उन्हें एक पद छोड़ना होगा’.
लेकिन इस मामले पर कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है.
लेकिन, एक तीसरे पार्टी नेता ने कहा कि हालांकि इस विषय को चर्चा के लिए लिया जा सकता है, लेकिन संसद सत्र से पहले अधीर रंजन चौधरी के बदले जाने की संभावना मुश्किल लगती है.
तीसरे नेता ने कहा, ‘इस सत्र में उनके बदले जाने की संभावना नहीं है. हालांकि कुछ नेता इस मुद्दे को उठा सकते हैं, लेकिन इतनी जल्दी किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सकता. बहुत से नेता हैं जो इस पद पर नज़र जमाए हैं, इसलिए इस मुद्दे को मीडिया में समय समय पर उठाया जाता है’. उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन साथ ही ये कांग्रेस अध्यक्ष हैं जिन्हें ये फैसला करना है, इसलिए निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता’.
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मोदी सरकार को घेरना चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस कई मुद्दों पर संसद के अंदर केंद्र सरकार को घेरने की भी तैयारी कर रही है.
एक चौथे पार्टी नेता ने कहा, ‘कांग्रेस नेतृत्व किसी ऐसे नेता को चाहती है, जो दूसरी राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर चल सके, और जो एक स्पष्ट वक्ता हो और संसद की बारीकियों को समझता हो. हालांकि पार्टी का एक हिस्सा अभी चाह रहा है कि राहुल गांधी ये भूमिका ले लें, लेकिन वो इच्छुक नहीं हैं’.
संसदीय रणनीति समूह महंगाई, दूसरी कोविड लहर, टीकाकरण की धीमी गति, किसान आंदोलन, अर्थव्यवस्था की पटरी पर वापसी, और बेरोज़गारी जैसे कई प्रमुख मुद्दों पर, सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.
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