scorecardresearch
Wednesday, 18 December, 2024
होमराजनीति‘कर्मचारी ने लिखा था’, कांग्रेस के सिंघवी ने राहुल के ‘जितनी आबादी उतना हक’ नारे का उड़ाया मजाक

‘कर्मचारी ने लिखा था’, कांग्रेस के सिंघवी ने राहुल के ‘जितनी आबादी उतना हक’ नारे का उड़ाया मजाक

सिंघवी ने कहा कि वे देशव्यापी जाति सर्वे की मांग का समर्थन करते हैं. बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस ने CWC के सदस्य को अपना पोस्ट डिलीट करने के लिए मजबूर किया.

Text Size:

नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “जितनी आबादी उतना हक” — पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का विस्तार करने के लिए वायनाड के सांसद राहुल गांधी द्वारा की गई वकालत – “अंतत ये बहुसंख्यकवाद में बदल जाएगा”.

पार्टी द्वारा खुद को इससे अलग करने के बाद सिंघवी ने बाद में पोस्ट को डिलीट कर दिया और इसके लिए अपने स्टाफ के एक सदस्य को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि, बीजेपी ने कांग्रेस पर सिंघवी पर इसे हटाने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया.

अब हटाए गए पोस्ट में सिंघवी ने कहा, “अवसर की समानता कभी भी परिणामों की समानता के समान नहीं होती है. जितनी आबादी उतना हक का समर्थन करने वाले लोगों को पहले इसके परिणामों को पूरी तरह से समझना होगा. अंततः ये बहुसंख्यकवाद में बदल जाएगा.”

इस संदेश ने कांग्रेस के इस रुख से असहमति के कारण हलचल पैदा कर दी कि देश भर में जाति जनगणना होनी चाहिए.

सिंघवी के पोस्ट से किसी भी संभावित नुकसान को रोकने की मांग करते हुए, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह पार्टी की स्थिति को नहीं दर्शाता है.

जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में कहा, “डॉ. सिंघवी का पोस्ट उनके निजी विचार का प्रतिबिंब हो सकता है, लेकिन यह किसी भी तरह से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता है – जिसका सार 26 फरवरी 2023 के रायपुर घोषणापत्र और 16 सितंबर, 2023 के सीडब्ल्यूसी (कांग्रेस वर्किंग समिति) दोनों में निहित है.”

कांग्रेस की बेचैनी इस तथ्य से उपजी है कि “जितनी आबादी, उतना हक” का नारा राहुल ने इस साल अप्रैल में कर्नाटक के कोलार में राज्य विधानसभा चुनावों से पहले दिया था. यह नारा दिवंगत बहुजन समाज पार्टी (बसपा) संस्थापक कांशीराम के नारे “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” से लिया गया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए, सिंघवी, जो एक प्रमुख वकील हैं, ने दावा किया कि यह पोस्ट उनके स्टाफ के एक सदस्य द्वारा किया गया था.

सिंघवी ने कहा, “एक स्टाफ सदस्य द्वारा लापरवाही से इसे किया गया, जिसे थोड़े समय के अंतराल से डिलीट कर दिया गया. जब मैं सुप्रीम कोर्ट में एक सम्मान समारोह से बाहर आया और इसे देखा…इसे तुरंत हटा दिया गया.”

उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के उस विचार का समर्थन करते हैं, जिसे बिहार जाति सर्वेक्षण डेटा जारी होने के बाद सोमवार को दोहराया गया था कि देशव्यापी जाति जनगणना समय की ज़रूरत है.

सिंघवी ने कहा, “अदालतों ने बार-बार कहा है कि फैसले आंकड़ों के आधार पर होने चाहिए और इसीलिए जाति जनगणना की ज़रूरत है.”

‘कांग्रेस और सिंघवी के बीच अविश्वास’

इस बीच, भाजपा भी इस विवाद में कूद पड़ी और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सिंघवी, जो सीडब्ल्यूसी के सदस्य हैं, को अपना पोस्ट डिलीट करने के लिए मजबूर किया.

बीजेपी आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने एक्स पर पोस्ट किया, “कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी को अपना पोस्ट डिलीट करने के लिए मजबूर किया क्योंकि यह राहुल गांधी द्वारा आजकल पढ़े जा रहे हैंडआउट से ज्यादा मायने रखता था.”

उन्होंने लिखा, “आप इसे तानाशाही कह सकते हैं, लेकिन राहुल की लोकसभा सदस्यता की विफलता के बाद कांग्रेस और डॉ. सिंघवी के बीच अविश्वास स्पष्ट है.”

मालवीय राहुल के खिलाफ मानहानि मामले में उनके कानूनी सलाहकार के रूप में सिंघवी की भूमिका का ज़िक्र कर रहे थे, जिसके कारण इस साल मार्च में उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त हो गई थी.

अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने सूरत की निचली अदालत द्वारा राहुल को दोषी ठहराए जाने पर रोक लगा दी, जिससे उनकी सदस्यता बहाल हो गई.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: विश्वगुरु या पीड़ित? 2024 में मोदी की राजनीति में होगा पहचान का संकट


 

share & View comments