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Monday, 6 May, 2024
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गुजरात HC के फैसले पर कांग्रेस बोली- राहुल सत्य की राह के निडर यात्री, BJP का पर्दाफाश करते रहेंगे

कांग्रेस ने कहा इस मसले पर कानूनी और राजनीतिक लड़ाई दोनों लड़ेंगे. गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी द्वराा 'मोदी सरनेम' पर टिप्पणी को लेकर निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

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नई दिल्ली : मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर मानहानि मामले में आए गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि मामले में मानहानि के कानून का दुरुपयोग किया गया है. राहुल गांधी की टिप्पणी को जघन्य अपराध बताया गया है, जैसे कि यह देश के खिलाफ अपराध हो. राहुल सत्य की राह के निडर यात्री हैं और वो बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश करते रहेंगे.

गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और ‘मोदी सरनेम’ के खिलाफ मानहानि मामले में उनको (राहुल गांधी) दोषी ठहराए जाने पर रोक से इनकार कर दिया है.

कांग्रेस नेता सिंघवी ने कहा, “यह मामला सिर्फ राहुल गांधी या किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है, क्योंकि यह स्वतंत्र बोलचाल और अभिव्यक्ति की बात है. इस सरकार का उद्देश्य है कि अभिव्यक्ति की आजादी पर नियंत्रण किया जाए. इसीलिए मानहानि के कानून का दुरुपयोग किया गया है. राहुल जी सत्य की राह के निडर यात्री हैं और वो BJP के झूठ का पर्दाफाश करते रहेंगे. इस तरह के पर्दाफाश से मोदी सरकार बौखलाई रहती है.”

उन्होंने कहा, “हमें विश्वास है कि सत्य की जीत होगी और इस अहंकारी सत्ता को अंत में कड़ा जवाब मिलेगा. राहुल गांधी जी पर आए कोर्ट के फैसले में मानहानि कानून को जघन्य अपराध बताया गया है. जैसे ये देश के खिलाफ अपराध है.”

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खरगे ने कहा- पार्टी राजनीतिक और कानूनी लड़ाई लड़ेगी

कांग्रेस ने ‘मोदी सरनेम’ पर टिप्पणी को लेकर सत्र न्यायालय द्वारा वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी को दोषी ठहराने के आदेश पर रोक की मांग वाली याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट के इनकार के बाद शुक्रवार को कहा कि वह जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.

कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया है, “हम राजनीतिक और कानूनी दोनों लड़ाई लड़ेंगे.” खरगे ने कहा कि राहुल गांधी हमेशा सच्चाई के लिए लड़े और आगे भी ऐसा करेंगे.”

उन्होंने आगे कहा, “सच यह है कि ललित मोदी, नीरव मोदी, मेहुल “भाई”, विजय माल्या, जतिन मेहता जैसे भगोड़े, मोदी सरकार के निगरानी में जनता के पैसे लेकर, संदिग्ध रूप से विदेश पहुंच गए. भाजपा ने उनको तो आज़ाद कर दिया, पर झूठ की चालें चल, एक राजनैतिक साज़िश के तहत, श्री राहुल गांधी को कठघरे में खड़ा कर, संसद से निलंबित करा दिया.”

खरगे ने कहा, “भाजपा के राज में पहले भ्रष्टाचारी बाहर भागते हैं, और दूसरी तरफ़ मोदी जी की पार्टी भष्टाचार के आरोपित लोगों को भाजपा के “स्वच्छ भारत अभियान” के तहत वॉशिंग मशीन में धोकर, सत्ता हथियाने का खेल खेलती हैं. देश अब मोदी जी की भष्टाचार पर दोहरी नीति बड़ी गहराई से जान चुका है. कांग्रेस का कोई भी नेता, हमारा कोई भी कार्यकर्ता, इस राजनैतिक साज़िश से नहीं डरता. हम राजनैतिक लड़ाई और क़ानूनी लड़ाई, दोनों लड़ेंगे. सत्यमेव जयते.”


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कांग्रेस नेताओं ने कहा- देश राहुल गांधी के साथ

कांग्रेस नेता पवन कुमार बंसल ने कहा, “हम मानते हैं तथ्य और कानून के आधार पर यह फैसला (गुजरात एचसी द्वारा) गलत है.”

बंसल ने दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय पर पत्रकारों से कहा, “हमने हमेशा न्यायालय का बड़ा सम्मान किया है लेकिन हम मानते हैं कि यह फैसला गलत है- तथ्य और कानून दोनों के मुताबिक… (राहुल गांधी की) राजनीतिक किस्मत वास्तव में अदालत से नहीं तय होगी. यह देश के लोगों द्वारा तय होगी और देश के लोग मजबूती से राहुल गांधी के साथ हैं…”

फैसले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए कांग्रेस सांसद के सुरेश ने कहा, “… अब, हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं. हम न्यायालय में यकीन करते हैं और इसलिए हमारा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट राहुल गांधी के पक्ष में फैसला सुनाएगा.”

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि मानहानि मामले में राहुल गांधी के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को पढ़ा है और “यह फैसला मामले को आगे बढ़ाने के हमारे संकल्प को दोगुना करने वाला है.”

जयराम रमेश ने ट्वीट किया है, “हमने राहुल गांधी की अयोग्यता को लेकर गुजरात हाईकोर्ट के एकल पीठ के फैसले पर गौर किया है. जज के तर्क का अध्ययन किया जा रहा है, यह जैसा कि होना चाहिए, और 3 बजे डिटेल में अभिषेक मनु सिंघवी मीडिया को जानकारी देंगे. यह फैसला मामले को आगे बढ़ाने के लिए हमारे संकल्प को दोगुना करेगा.”

गुजरात हाईकोर्ट का फैसला जिससे यह तय होता है कि राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे या संसद सदस्य के तौर पर अपनी मौजूदा स्थिति को बदलने की मांग नहीं कर पाएंगे. हाईकोर्ट द्वारा फैसले के बाद राजधानी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी मुख्यालय पर नारेबाजी की और विरोध जताया. जयपुर में कांग्रेस कार्यकर्ता काले बैंड के साथ विरोध मार्च करते नजर आए.

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने फैसले को ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया.

शिवकुमार ने ट्वीट किया है, “यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्याय नहीं हुआ. यह लोकतंत्र की हत्या है लेकिन पूरा देश और विपक्षी दल उनके (राहुल गांधी) साथ खड़े हैं. वह एक बड़े नेता हैं जो पूरे देश को एकजुट करने के लिए लड़ रहे हैं. बीजेपी नेता इसे झेल नहीं पाएंगे. वे उन्हें संसद से हटाना चाहते हैं. मुझे लगता है कि वह और अधिक मजबूत होंगे.”

अहमदाबाद में पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला 80-90 पेज का है और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी पूरे फैसले की समीक्षा के बाद एआईसीसी की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया देंगे.

गोहिल ने कहा, “हमें भरोसा है कि मामला सुप्रीम कोर्ट जाएगा.”

उन्होंने कहा कि ‘मोदी सरनेम’ पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है.

गोहिल ने कहा, “राहुल गांधी ने ललित मोदी-नीरव मोदी के खिलाफ बोला, जिन्होंने देश को लूटा और भाग गए. उन्होंने यह बात कर्नाटक में कही. यह सूरत कोर्ट के क्षेत्राधिकार में नहीं था. प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. राहुल गांधी के मामले में कुछ भी ठोस नहीं है. हम पूरी तरह निश्चित हैं कि हमें न्याय मिलेगा.”

राजस्थान के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, “कांग्रेस की कमेटियां देशभर में प्रदर्शन कर रही हैं. देश के लोग सड़कों पर चर्चा कर रहे हैं. राहुल गांधी और कांग्रेस के खिलाफ साजिश रची जा रही है क्योंकि बीजेपी राहुल गांधी और कांग्रेस से डरी हुई है. राहुल गांधी की आवाज को दबाया नहीं जा सकता. उन्होंने किसी एक शख्स के खिलाफ बोला, उन्होंने जाति को निशाना नहीं बनाया. इस षडयंत्र की बीजेपी कीमत चुकाएगी, उनकी उलटी गिनती शुरू हो गई है. हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे…”

ये रहा पूरा मामला

हाईकोर्ट ने 2019 के’मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में मई में राहुल गांधी दोषी ठहराए जाने पर रोक की मांग वाली याचिका पर अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया था.

कांग्रेस नेता ने 25 अप्रैल को सूरत सत्र अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसने आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

सूरत सत्र न्यायालय ने 20 अप्रैल को आपराधिक मानहानि मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने पर रोक लगाने की राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रॉबिन पी मोगेरा ने अपने फैसले में एक सांसद और देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के पूर्व प्रमुख के तौर पर गांधी के कद का हवाला देते हुए कहा था कि उन्हें अधिक सावधान रहना चाहिए था.

उन्होंने प्रथमदृष्टया सबूतों और ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों का हवाला दिया और कहा कि राहुल गांधी ने समान उपनाम वाले लोगों की तुलना चोरों से करने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुछ अपमानजनक टिप्पणियां कीं.

न्यायाधीश मोगेरा ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी का उपनाम भी मोदी है. उन्होंने कहा, “…शिकायतकर्ता (एक) पूर्व मंत्री भी हैं और सार्वजनिक जीवन में शामिल हैं और इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियों से निश्चित रूप से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा होगा और समाज में उन्हें पीड़ा का सामना करना पड़ा होगा.”

आपराधिक मानहानि मामले में निचली अदालत से दोषी ठहराए जाने पर राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता खत्म हो गई थी. वह केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए थे. पूर्णेश मोदी द्वारा दायर किए गए मानहानि मामले में निचली अदालत ने 23 मार्च को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत कांग्रेस नेता को 2 साल की सजा सुनाई थी.

कर्नाटक के कोलार में अप्रैल 2019 की एक रैली में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा था और कहा था, “सभी चोरों का कॉमन सरनेम मोदी ही क्यों होता है?’

वहीं सत्र न्यायालय के फैसले पर कांग्रेस ने कहा था कि वह गुजरात हाईकोर्ट जाएगी.


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