नई दिल्ली: कांग्रेस ने कोरोना महामारी के चलते जून में प्रस्तावित पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव को सोमवार को अस्थायी तौर पर स्थगित कर दिया और यह फैसला भी किया कि हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के कारणों का पता लगाने के लिए जल्द ही एक समूह का गठन किया जाएगा.
पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने गहन मंथन के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अध्यक्ष पद का चुनाव कोरोना के हालात में सुधार होने तक टाल दिया जाए.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई इस डिजिटल बैठक में सीडब्ल्यूसी के सदस्य और पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सीडब्ल्यूसी की बैठक में शामिल नहीं हुए. दोनों नेता हाल ही में कोरोना से संक्रमित हुए थे और सिंह कुछ दिनों के लिए एम्स में भर्ती भी थे.
राहुल गांधी के स्वास्थ्य के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उनकी हालत स्थिर है और सेहत में सुधार हो रहा है तथा चिंता कोई बात नहीं है.
सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि इन परिणामों से स्पष्ट है कि कांग्रेस में चीजों को दुरुस्त करना होगा.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईसी) की ओर से तैयार चुनाव कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और कई अन्य नेताओं ने कोरोना संक्रमण की स्थिति का हवाला देते हुए फिलहाल चुनाव स्थगित करने की पैरवी की.
सूत्रों ने बताया कि सीईसी ने 23 जून को कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया था.
सीडब्ल्यूसी में पारित हुआ फैसला
सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर फैसला किया कि अध्यक्ष पद के चुनाव को अस्थायी तौर पर स्थगित किया जाए.
सीडब्ल्यूसी के इस प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘कोरोना महामारी के कारण पैदा हुए हालात को देखते हुए सीडब्ल्यूसी इस पर एकमत है कि हमें पूरी ऊर्जा एक-एक जिंदगी को बचाने और कोविड प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए लगानी चाहिए. ऐसे में चुनाव को अस्थायी तौर पर स्थगित करने का संकल्प लिया जाता है.’’
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि सोनिया गांधी ने स्पष्ट किया है कि यह स्थगन स्थायी नहीं होगा और हालात में सुधार होने पर चुनाव कराया जाएगा.
सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव अगले दो-तीन महीने में होने की उम्मीद है.
उल्लेखनीय है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद सोनिया गांधी को पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
सीडब्ल्यूसी की बैठक में हालिया चुनावों के नतीजों पर गहन मंथन किया गया. असम, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के प्रभारियों ने चुनाव में ‘कमियों’ और दूसरे बिंदुओं पर अपनी बात रखी.
सोनिया ने हार के कारणों का पता लगाने के लिए एक छोटा समूह गठित करने की इच्छा जाहिर की जिस पर सीडब्ल्यूसी ने मुहर लगाई.
कांग्रेस के संगठन महासचिव वेणुगोपाल ने बाद में संवाददाताओं को बताया कि अगले 48 घंटे के भीतर इस समूह का गठन कर दिया जाएगा और यह जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देगा.
एक सवाल के जवाब में वेणुगोपाल ने यह भी कहा, ‘इस समूह की रिपोर्ट के आधार पर आगे कदम उठाया जाएगा और जवाबदेही तय की जाएगी.’
इससे पहले, सोनिया ने बैठक में कहा, ‘हमें इन गंभीर झटकों का संज्ञान लेने की जरूरत है. यह कहना कम होगा कि हम बहुत निराश हैं. मेरा इरादा है कि इन झटकों के कारण रहे हर पहलू पर गौर करने के लिए एक छोटे का समूह का गठन करूं और उससे बहुत जल्द रिपोर्ट ली जाए.’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘ये चुनाव नतीजे स्पष्ट तौर पर बताते हैं कि हमें अपनी चीजों को दुरुस्त करना होगा.’
गौरतलब है कि असम और केरल में सत्ता में वापसी का प्रयास कर रही कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी. वहीं, पश्चिम बंगाल में उसका खाता भी नहीं खुल सका. पुडुचेरी में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा जहां कुछ महीने पहले तक वह सत्ता में थी. तमिलनाडु में उसके लिए राहत की बात रही कि द्रमुक की अगुवाई वाले उसके गठबंधन को जीत मिली.
सीडब्ल्यूसी ने देश में कोरोना की गंभीर स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी ‘गलतियां’ स्वीकार करना चाहिए और इस महामारी से लड़ने के लिए पूरी तरह समर्पित होना चाहिए.
सीडब्ल्यूसी की डिजिटल बैठक में पारित एक प्रस्ताव में यह आरोप भी लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया तथा टीकाकरण एवं दूसरे कदमों का पूरा उत्तरदायित्व राज्यों पर छोड़ दिया.
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