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Saturday, 16 November, 2024
होमराजनीतिबढ़ती आलोचना के बीच कांग्रेस पार्टी ने कोविड की स्थिति का आकलन करते हुए चुनावी रैलियों को 'होल्ड पर' रखा

बढ़ती आलोचना के बीच कांग्रेस पार्टी ने कोविड की स्थिति का आकलन करते हुए चुनावी रैलियों को ‘होल्ड पर’ रखा

उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में इस साल फरवरी-मार्च में चुनाव होने हैं. इनमें से एक को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में कांग्रेस पार्टी का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है.

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नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को अपनी चुनावी रैलियों और अन्य सभी बड़े कार्यक्रमों जिनमें बड़ी संख्या में लोग जमा होते हैं उनपर ‘अस्थायी रूप से रोक’ लगा दी है. पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि देशभर में महामारी की तीसरी लहर के कारण कोविड-19 के मामलों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है.

उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में इसी साल फरवरी-मार्च में चुनाव होने हैं.

उत्तर प्रदेश, जहां कांग्रेस एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत नहीं है, को छोड़कर अन्य चार राज्यों में पार्टी का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है. एक ओर जहां यह पंजाब में सत्तारूढ़ दल है. वहीं अन्य तीन राज्यों में यह प्रमुख विपक्षी दल है.

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब पुरे देश में कोविड संक्रमण की दर तेजी से बढ़ रही है. ऐसे समय में चुनावी राज्यों में बड़े पैमाने पर सभाओं के साथ सार्वजनिक रैलियों को आयोजित करने के लिए राजनीतिक दलों की चौतारफा कड़ी आलोचना हो रही है. उत्तर प्रदेश में लड़कियों के लिए एक मैराथन आयोजित करने के लिए भी कांग्रेस की काफी आलोचना हुई है.


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कोविड मामलों की संख्या पर नजर रख रही है पार्टी

इन सारे घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि रैलियों और अन्य कार्यक्रमों, जैसे मैराथन और सार्वजनिक सभाओं, जो बड़ी भीड़ को आकर्षित कर सकते हैं, को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है क्योंकि पार्टी ‘कोविड की स्थिति का आकलन’ करने की कोशिश कर रही है.

कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘रैलियों और अन्य चुनावी कार्यक्रमों को रद्द नहीं किया गया है लेकिन इन पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई है क्योंकि हम कोविड की स्थिति का आकलन करने की कोशिश कर रहे हैं. हम इसके मामलों की संख्या की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और अपने आकलन के आधार पर, हम सार्वजनिक रैलियों और कार्यक्रमों को जारी रखने या अपने प्रचार अभियान के संचालन के अन्य तरीकों को खोजने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई निर्णय करेंगे.’

इस पदाधिकारी ने कहा, ‘अगर कोई भी फैसला लिया जाता है तो यह सभी चुनावी राज्यों के लिए एक सा होगा, न कि केवल उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे बड़े राज्यों के लिए.’

कांग्रेस के एक दूसरे नेता ने कहा, ‘हम चुनाव आयोग की ओर इस आशा से देख रहें हैं कि यह ऐसे कोविड प्रोटोकॉल वाले निर्देशों की घोषणा करे जिनका सभी दलों द्वारा पालन किया जाना चाहिए.‘  उन्होंने आगे कहा कि  उनकी पार्टी की ओर से एक आधिकारिक घोषणा की जल्द ही उम्मीद की जा सकती है.

पिछली बार क्या हुआ था?

पिछले साल अप्रैल में जब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान देश में कोविड की दूसरी लहर आई थी तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस राज्य में अपनी रैलियों को रद्द करने वाले पहले व्यक्ति थे.

तब राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, ‘मैं सभी राजनीतिक नेताओं को सलाह दूंगा कि वो मौजूदा परिस्थितियों में बड़ी जनसभाओं के आयोजन किए जाने के नतीजों के बारे में गहराई से सोचें.’

इसके बाद, चुनाव आयोग ने कोविड मामलों में व्यापक वृद्धि को देखते हुए राजनीतिक प्रचार के लिए संशोधित नियम तैयार किए थे. इसके तहत राजनीतिक रैलियों को 500 लोगों की उपस्थिति तक सीमित कर दिया गया था और कई अन्य उपाय, जैसे कि मोटर और बाइक रैलियों पर रोक लगाना, भी किए गए थे. आठ चरणों में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के अंतिम चार चरणों में शाम सात बजे से 10 बजे के बीच के राजनीतिक प्रचार पर भी रोक लगा दी गई थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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