scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमराजनीतिकभी यूपी की सियासत के केंद्र थे 'राजा संजय सिंह', विवाद और 'बेवफाई' से करिअर में आए उतार चढ़ाव

कभी यूपी की सियासत के केंद्र थे ‘राजा संजय सिंह’, विवाद और ‘बेवफाई’ से करिअर में आए उतार चढ़ाव

कांग्रेस के गढ़ अमेठी कमजोर होता देख उन्होंने अब पाला बदलने का फैसला किया है.हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है.सजय सिंह इससे पहले भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत भी दर्ज की थी.

Text Size:

लखनऊ: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद व अमेठी के राजा संजय सिंह इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं. वह अपनी पत्नी अमिता सिंह के साथ बुधवार को बीजेपी का दामन थामेंगे. संजय सिंह एक दौर में यूपी कांग्रेस की सियासत का मुख्य केंद्र रहे हैं लेकिन कुछ विवादों के चलते उनके राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव आए.

पहले भी थामा है भाजपा का दामन

कांग्रेस के गढ़ अमेठी कमजोर होता देख उन्होंने अब पाला बदलने का फैसला किया है. हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है. सजय सिंह इससे पहले भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत भी दर्ज की थी. लेकिन 1999 में सोनिया गांधी से हारने के कुछ साल बाद वह कांग्रेस में आ गए थे. अब फिर एक बार वह भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो पत्नी के राजनीतिक करियर व राज्यसभा के दूसरे कार्यकाल के जुगाड़ में उन्होंने पाला बदलने का फैसला किया है.

news on politics

अमेठी में संजय सिंह का महल- भूपति भवन | प्रशांत श्रीवास्तव

विधायक से राज्यसभा तक का सफर

25 सितंबर 1951 को जन्में अमेठी राजघराने के वारिस संजय सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की. 1980 के लोकसभा चुनाव में संजय गांधी का समर्थन किया. 1980 से 1989 तक वह विधायक रहे व तत्कालीन प्रदेश सरकार में कई मंत्रालय भी संभाले. इस दौरान उन्होंने वन,  पशुपालन और डेयरी, खेल युवा कल्याण के अलावा परिवहन मंत्री के रूप में भी उत्तर प्रदेश सरकार में  काम किया. 1990 में वे राज्यसभा के सदस्य  बने. 1990 से 1991 में केन्द्रीय संचार मंत्री रहे. 1998 में वह बीजेपी से 12वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. 2009 के चुनाव  में वह सुलतानपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे. 2014 में कांग्रेस ने उन्हें आसाम से राज्यसभा भेज दिया.

वीपी सिंह की भतीजी से विवाह रचाया

संजय सिंह का विवाह पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के छोटे भाई हरि बक्श सिंह की पुत्री गरिमा सिंह के साथ 1974 में हुआ था. उससे एक बेटा अनंत और दो बेटी महिमा और सब्य हैं. 

सैयद मोदी हत्याकांड से लग गया दाग

28 जुलाई 1998 को लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के बाहर बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की गोलीमार कर हत्या कर दी गई थी. इस वारदात के वक्त सैयद मोदी स्टेडियम से प्रैक्टिस करके निकल रहे थे. इस हत्याकांड में कथित तौर पर संजय सिंह का नाम आया.

बताया जाता है कि बैडमिंटन प्लेयर सैयद मोदी व उनकी पत्नी अमिता मोदी और संजय सिंह के बीच गहरी दोस्ती थी. इसी दोस्ती की वजह से संजय सिंह और सैयद मोदी का परिवार एक दूसरे के बेहद करीब भी था. लेकिन सैयद मोदी के कत्ल के बाद खेल, राजनीति और रिश्तों की एक अजीब सी उलझी हुई कहानी सामने आने लगी थी. सीबीआई का आरोप था कि संजय सिंह और अमिता मोदी के बीच पनप रहा संबंध ही सैयद मोदी की मर्डर की वजह बना.

सीबीआई ने जो केस बनाया उसके मुताबिक ये पूरा मामला प्रेम त्रिकोण का था. सैयद मोदी मर्डर केस की जांच जब पूरी हुई तो कोर्ट में सीबीआई के तमाम दावों की धज्जियां उड़ गई थी. सीबीआई को पहला झटका उस वक्त लगा जब संजय सिंह और अमिता मोदी ने चार्जशीट को ही अदालत में चुनौती दी और फिर इन दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत न होने की वजह से सेशंस कोर्ट ने सितंबर 1990 में संजय सिंह और अमिता मोदी का नाम इस केस से ही अलग कर दिया.

news on politics

पत्नी अमिता सिंह के साथ संजय सिंह | प्रशांत श्रीवास्तव

गरिमा को छोड़ अमिता से रचाई शादी

1993 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया. इसके बाद संजय ने सीतापुर की एक कोर्ट में गरिमा से तलाक का मुकदमा दायर किया और कुछ ही दिनों में वह उन्हें मिल गया.इस पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाते हुए गरिमा ने उस दौरान मीडिया से कहा कि संजय सिंह ने मेरी जगह दूसरी औरत को कोर्ट में पेश कर तलाक हासिल किया था. यह एक बड़ी धोखाधड़ी थी. मैंने तलाक के किसी भी कागज पर हस्ताक्षर नहीं किए थे. 1995 में संजय सिंह ने अमिता मोदी से शादी कर ली.संजय की अमीता के साथ शादी के बाद गरिमा बच्चों के साथ लखनऊ आ गईं.
इसके बाद अमिता की राजनीति में एंट्री हुई. अमिता सिंह अमेठी से विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बनीं. बाद में वह भी कांग्रेस में शामिल हो गईं.अमिता ने लोकसभा चुनाव 2014 में सुतानपुर से भाग्य आजमाया लेकिन सफल नहीं रहीं.

100 कमरों वाले महल को लेकर हुआ प्राॅपर्टी विवाद

साल 2016 में गरिमा सिंह अपने बच्चों के साथ भूपति महल में हिस्सा लेने पहुंच गईं. इस दौरान नौबत मारपीट तक आ गई. दोनों गुटों के समर्थक इकट्ठा हो गए. संजय सिंह ने अपनी पहली पत्नी गरिमा सिंह को लालची बताया. संजय सिंह ने कहा कि गरिमा सिंह से कभी भी उनके रिश्ते अच्छे नहीं रहे. गरिमा कभी महारानी नहीं बन पाईं. वहीं गरिमा ने दावा कि उनका तालाक हुआ ही नहीं था. उन्हें महल में हिस्सा चाहिए. 100 कमरों के भूपति महल में गरिमा को केवल 2 कमरे दिए गए. गरिमा लगातार मीडिया के सामने अपना दर्द बयां करती रहीं.

इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने उन्हेॆ 2017 विधानसभा चुनाव में संजय सिंह की दूसरी पत्नी अमिता सिॆह के खिलाफ टिकट दे दिया. गरिमा ने पति संजय पर बेवफाई का आरोप लगाते हुए जनता से न्याय की मांग की. वह ये चुनाव जीत गईं. अब संजय सिॆह व अमिता सिंह भी बीजेपी का दामन थाम रहे हैं.

ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि अमेठी राजघराने की सियासत का आने वाले दिनों मेॆ क्या रुख रहने वाला है. अब अमेठी के कांग्रेसी भी कह रहे हैं कि ‘राजा साहब’ ने कांग्रेस से भी बेवफाई कर ली. हालांकि संजय सिॆह का कहना है कि कांग्रेस अतीत में जी रही है और पार्टी में संवादहीनता के कारण उन्होंने इस्तीफा दिया है.

share & View comments