नई दिल्ली: तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के निजीकरण का समर्थन करने की वजह से आलोचनाएं झेल रहे शहर के कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि केरल सरकार ‘उसी खेल पर सवाल’ उठा रही है जिसमें उसने खुद भागीदार बनने का फैसला किया था.
थरूर ने दिप्रिंट को ईमेल पर दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘सबसे पहले तो निविदा की घोषणा भाजपा ने की, न कि कांग्रेस ने, और फिर केरल सरकार ने इसके लिए निर्धरित नियमों पर सहमति जताते हुए बोली प्रक्रिया में हिस्सा लेने का फैसला किया. बोली प्रक्रिया में हारने के बाद उन्होंने उसी खेल पर सवाल उठाना शुरू कर दिया, जिसे उन्होंने खुद खेलने के लिए चुना था. उनसे पूछें कि वे इस प्रक्रिया में शामिल ही क्यों हुए.’
विवाद पिछले बुधवार को तब उपजा जब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तिरुवनंतपुरम सहित तीन हवाई अड्डों को अडानी इंटरप्राइजेज को पट्टे पर देने को मंजूरी दे दी. अरबपति गौतम अडानी की अगुआई वाले निजी डेवलपर ने पिछले साल भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की तरफ से आयोजित एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया में सफलता हासिल की थी.
हालांकि, कैबिनेट के फैसले पर केरल में सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ-साथ कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट दोनों की तरफ से तुरंत विरोध जताया गया. मुख्यमंत्री पिनरई विजयन द्वारा गुरुवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में यह फैसला किया गया कि केरल सरकार इस कदम को रोकने के कानूनी विकल्प तलाशेगी.
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पार्टी लाइन के खिलाफ जा रहे
केरल में कांग्रेस नेतृत्व ने इस कदम को ‘अपमानजनक’ करार देते हुए कहा है कि वह एयरपोर्ट के निजीकरण के खिलाफ है. पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन सभी इस कदम पर अपना विरोध जता रहे हैं.
रामचंद्रन ने पिछले हफ्ते फैसला ‘तत्काल वापस लेने’ की मांग करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला. वेणुगोपाल ने फैसले को ‘बेच डालने’ वाला करार दिया, और एक टीवी साक्षात्कार में यह भी कहा कि थरूर की राय ‘निजी’ थी, और केरल कांग्रेस नेतृत्व का दृष्टिकोण स्पष्ट है.
हालांकि, तिरुवनंतपुरम से तीन बार के सांसद थरूर ने कहा कि वह पहले दिन से ही एयरपोर्ट के निजीकरण के पक्ष में रहे हैं, और राज्य कांग्रेस नेतृत्व ने इस कदम का विरोध करने से पहले उनसे विचार-विमर्श नहीं किया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘जब 2018 में पहली बार यह मुद्दा उठा था, तब मैंने इसका समर्थन किया था, और मैंने अपना रुख तब से अब तक नहीं बदला है. यह कोई नया स्टैंड नहीं है. केपीसीसी ने अपनी राय जताने से पहले मुझसे चर्चा नहीं की थी, और मैंने बहुत पहले ही अपनी धारणा जताई थी, उसी को मैंने केवल दोहराया है.’
थरूर ने स्पष्ट किया, ‘मैंने पहले ही साफ कर दिया है कि मैं केवल तिरुवनंतपुरम के सांसद के नाते राय व्यक्त कर रहा हूं कि तिरुवनंतपुरम के लिए क्या अच्छा है, पार्टी की तरफ से नहीं बोल रहा हूं.’
प्राइवेट ऑपरेटर से तिरुवनंतपुरम को फायदा
गौतम अडानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मौजूदा शासन व्यवस्था के करीब माना जाता है, यही एयरपोर्ट के निजीकरण के खिलाफ केरल सरकार और कांग्रेस के एकजुट होने की एक प्रमुख वजह मानी जा रही है.
हालांकि, थरूर ने कहा कि उनकी राय का अडानी से कोई लेना-देना नहीं है.
सांसद ने कहा, ‘मुझे इस बात से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है कि एयरपोर्ट को कौन-सा उद्योग समूह ले रहा है, जब तक कि सभी पक्षों ने एक पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया में भाग लिया हो और सभी के लिए नियम और शर्तें समान रहीं हों. कांग्रेस पार्टी ने भारत में एयरपोर्ट के लिए पीपीपी परियोजनाओं की शुरुआत पहली बार 2006 में मुंबई और दिल्ली से की थी. उसकी सफलता सबके सामने हैं और इसी ने यूपीए को देश के कई अन्य एयरपोर्ट में निजी ऑपरेटरों को शामिल करने की दिशा में आगे बढ़ाया था.
थरूर ने आगे कहा, ‘अगर एक निजी ऑपरेटर अपने लाभ को ध्यान में रखकर एक बेहतर एयरपोर्ट बनाता है तो ज्यादा से ज्यादा एयरलाइंस इसका उपयोग करेंगी, इससे तिरुवनंतपुरम को फायदा होगा.’
उन्होंने कहा, ‘निविदा जीतने वाली निजी पार्टी कोई भी हो, एयरपोर्ट और जमीन के स्वामित्व के साथ-साथ हवाई यातायात नियंत्रण, सुरक्षा, सीमा शुल्क और आव्रजन जैसी जिम्मेदारियां अब भी सरकारी एजेंसियों के पास हैं. कोई भी ‘एयरपोर्ट को छोड़ नहीं’ रहा, यह एक ऑपरेटिंग कांट्रैक्ट है, बस.’
थरूर ने इस पर जोर दिया कि उनका यह रुख अपनाना वास्तव में जो मायने रखता है ‘वो तिरुवनंतपुरम के हित से जुड़ा हैं न कि कोच्चि कोझिकोड या कन्नूर से’
उन्होंने कहा, ‘मैं जिन लोगों का प्रतिनिधित्व करता हूं, उनके लिए एक संपन्न और व्यावसायिक रूप से उपयोगी एयरपोर्ट की अपेक्षा है, एक ऐसा एयरपोर्ट जो विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान करता हो और ज्यादा से ज्यादा उड़ानों के जरिये बेहतर कनेक्टिविटी की क्षमता रखता हो.’
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थरूर ने आगे दावा किया कि एयर कनेक्टिविटी पर्याप्त न होना केरल की राजधानी के विकास में एक ‘प्रमुख बाधा’ बनी हुई है, और दावा किया कि पिछले साल, लॉकडाउन से पहले ही, तिरुवनंतपुरम में हवाई सेवा प्रदान करने वाली एयरलाइंस और उड़ानों की संख्या घट गई थी.
उन्होंने कहा, ‘जब और कंपनियां तिरुवनंतपुरम आती हैं, तो हमारे लोगों के लिए और नौकरियों के मौके बढ़ाती हैं, साथ ही तमाम कर्मचारियों को भी लाती हैं जो आपके घरों को किराए पर लेंगे, आपकी दुकानों से खरीदारी करेंगे, आपके रेस्तरां में भोजन करेंगे और आपकी टैक्सियां किराये पर लेंगे. इसी तरह एक शहर बढ़ता और विकसित होता है. एयरपोर्ट तो एक लक्ष्य की शुरुआत है जो अंतत: तिरुवनंतपुरम को विकास और समृद्धि की राह पर ले जाएगी.’
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