नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के देश में लोकसभा चुनाव और राज्य के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के विचार की आलोचना की.
केरल में वायनाड का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस सांसद के अनुसार, एक राष्ट्र, एक चुनाव का विचार “भारत” पर हमला है, जो कि उनके अनुसार, “राज्यों का संघ” है.
INDIA, that is Bharat, is a Union of States.
The idea of ‘one nation, one election’ is an attack on the 🇮🇳 Union and all its States.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 3, 2023
सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर राहुल गांधी ने कहा, “INDIA, यानि भारत, राज्यों का एक संघ है.” वन नेशन, वन इलेक्शन का विचार केंद्र और इसके सभी राज्यों पर हमला है.”
केंद्र ने देश में एक साथ चुनाव कराने की जांच-पड़ताल और सिफारिशें करने के लिए शनिवार को 8 सदस्यीय समिति का गठन किया है.
समिति के सदस्यों में पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह; लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी; राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आज़ाद; पूर्व वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं.
केंद्र द्वारा उच्चाधिकार प्राप्त पैनल की अधिसूचना 18 से 22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र की घोषणा के कुछ ही दिनों बाद आई, उसी दिन इंडिया ब्लॉक (INDIA alliance) का दो दिवसीय मुंबई सम्मेलन चल रहा था.
हालांकि, सरकार विशेष सत्र के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए है.
विपक्षी नेताओं ने उनके साथ पूर्व परामर्श के बिना या कार्य सलाहकार समिति को बताए बिना विशेष सत्र की घोषणा करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की.
केंद्र के मुताबिक, उच्चस्तरीय समिति तत्काल काम करना शुरू कर देगी और जल्द से जल्द सिफारिशें देगी.
इसके अलावा, आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में समिति की बैठकों में हिस्सा लेंगे.
हालांकि, अधीर रंजन चौधरी ने पैनल में काम करने से इनकार कर दिया है, उन्होंने कहा कि इसके “संदर्भ की शर्तें, इसके निष्कर्षों की गारंटी के मुताबिक तैयार की गई हैं.”
1967 तक राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ होते रहे थे.
हालांकि, 1968 और 1969 में कुछ विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया गया और उसके बाद 1970 में लोकसभा को भंग कर दिया गया. इससे राज्यों और देश के लिए चुनावी कार्यक्रम में बदलाव करना पड़ा.
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