नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को सरकार से लोकसभा में एक ‘तारांकित सवाल’ को अचानक हटाए जाने पर जवाब मांगा, जबकि वह प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले सवालों की सूची में शामिल था. यह सवाल अंडमान और अरब सागर में ऑफशोर खनन (समुद्री खनन) की नीलामी से जुड़ा था और इसे ओडिशा से भारतीय जनता पार्टी सांसद अपराजिता सारंगी और बलभद्र मांझी ने पूछा था.
जब दिप्रिंट ने लोकसभा सचिवालय के सूत्रों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि सांसदों ने यह सवाल खुद ही वापस ले लिया. इसके बाद लोकसभा की आधिकारिक रिकॉर्ड में सिर्फ इतना लिखा गया कि सवाल को सूची से ‘डिलीट’ कर दिया गया है.
लोकसभा के नियमों के अनुसार, ताराकिंत सवालों का मंत्री मौखिक उत्तर देते हैं और सांसद इसके बाद पूरक प्रश्न भी पूछ सकते हैं.
लोकसभा की वेबसाइट पर अपलोड रिकॉर्ड के मुताबिक, बीजेपी सांसदों का यह सवाल मौखिक उत्तरों के लिए पहले नंबर पर था, लेकिन प्रश्नकाल के दौरान स्पीकर ओम बिड़ला ने सीधे दूसरे नंबर का सवाल उठाया और कुछ ही सेकंड में कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
इस सवाल में पूछा गया था: “क्या खनन मंत्री बताना चाहेंगे कि अंडमान और अरब सागर में नीलामी किए गए 13 समुद्री खनन ब्लॉकों के लिए कितनी बोलियां प्राप्त हुईं और उनमें से कितने बोलीदाताओं को शॉर्टलिस्ट किया गया?”
सांसदों ने यह भी पूछा था कि प्रत्येक खनन ब्लॉक के 20 समुद्री मील के दायरे में कितने मछुआरा समुदाय और गांव बसे हैं और यह भी कि नीलामी से पहले कोई सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन किया गया या नहीं.
सवाल में इन प्रोजेक्ट्स से रोज़गार के अवसरों पर भी जानकारी मांगी गई थी, लेकिन प्रश्नकाल के दौरान स्पीकर ने अगला सवाल उठाया जो बीजेपी सांसद नवीन जिंदल द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कार्यकुशलता पर था.
कांग्रेस के महासचिव (संगठन) और लोकसभा सांसद के.सी. वेणुगोपाल (अलप्पुझा) ने इस मुद्दे को उठाया और सवाल के अचानक हटाए जाने पर प्रश्न किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को पहले से उठा रही है और सरकार से इस पर स्पष्टता चाहती है.
उन्होंने एक्स पर लिखा: “सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सवाल की सूची सार्वजनिक होने के बाद, बिना कोई वजह बताए आखिरी मिनट में इसे हटा दिया गया. यह सवाल क्यों हटाया गया? किसके दबाव में ऐसा हुआ? क्या सरकार किसी को बचाने की कोशिश कर रही है? क्या सरकार की संदिग्ध ऑफशोर खनन नीति सार्वजनिक होने वाली थी? ऐसी प्रक्रियागत छेड़छाड़ से पारदर्शिता और लोकतंत्र पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं.”
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “असल सवाल यह है कि किन लोगों ने इन सांसदों पर सवाल वापस लेने का दबाव डाला?”
संसद से जुड़े एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि नियमों के मुताबिक, जब कोई सवाल सूचीबद्ध हो जाता है तो वह लोकसभा की ‘संपत्ति’ माना जाता है. अगर उसे नहीं लिया जाना है तो स्पीकर को उसका कारण बताना होता है और वह कार्यवाही की कॉपी में फुटनोट के रूप में दर्ज किया जाता है.
उन्होंने कहा, “सांसद सवाल वापस ले सकते हैं, लेकिन बिना कोई कारण बताए सवाल को सूची से हटाना एक असामान्य (अभूतपूर्व) घटना है.”
इस मामले पर संपर्क किए जाने पर न तो अपराजिता सारंगी और न ही बलभद्र मांझी ने फोन या मैसेज का जवाब दिया.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: एम्स पटना के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, लेकिन JDU विधायक से टकराव ने नीतीश की बढ़ाई मुश्किलें