नई दिल्लीः कांग्रेस ने ब्राजील की ओर से ‘कोवैक्सीन’ के आयात को निलंबित किए जाने का हवाला देते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार की हिस्सेदारी वाले इस टीके से संबंधित सौदे में ‘अनियमितता’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देना चाहिए.
पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह सवाल भी किया कि जब टीकों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी गई थी तो फिर ‘भारत बायोटेक’ से जुड़े इस सौदे को जारी रखने की अनुमति कैसे दी गई?
गौरतलब है कि भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके कोवैक्सीन की दो करोड़ खुराकें खरीदने पर सहमत हुई ब्राजील की सरकार ने समझौते में अनियमितताओं के आरोप लगने के बाद गत बुधवार को इस करार को निलंबित करने की घोषणा कर दी.
इसके बाद भारत बायोटेक ने एक बयान में कहा कि उसे अभी ब्राजील से टीका के लिए अग्रिम भुगतान नहीं हुआ है. हैदराबाद की दवा निर्माता कंपनी ने कहा कि कंपनी ने करार, नियामक मंजूरियों और आपूर्तियों के लिहाज से ब्राजील में भी उन्हीं नियमों का पालन किया, जिनका उसने दुनिया के अन्य देशों में कोवैक्सीन की सफल आपूर्ति के लिए किया है.
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘भारत बायोटेक एक निजी कंपनी है और इसने आईसीएमआर के साथ मिलकर कोवैक्सीन का निर्माण किया था. आईसीएमआर के साथ इस कंपनी की साझेदारी की वजह से सरकार की भी भूमिका है. इसमें आम लोगों का पैसा लगा है.’
उन्होंने दावा किया, ‘कोवैक्सीन ब्राजील में बहुत बड़े भ्रष्टाचार के घेरे में देखी जा रही है. वहां संसदीय जांच हो रही है. टीकों की खरीद के अनुबंध को निलंबित कर दिया गया है. ये आक्षेप कहीं न कहीं भारत सरकार तक पहुंचते हैं.’
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘दो बड़े आरोप लग रहे हैं. पहला आरोप है कि कोवैक्सीन का दाम बड़े स्तर पर बढ़ाया गया है. पहले इस टीके को करीब 1.5 डॉलर प्रति खुराक की दर से देने का प्रस्ताव दिया गया था, बाद में कीमत 15 डॉलर प्रति खुराक तक बढ़ा दिया गया.’
उनके मुताबिक, ‘दूसरा आरोप सिंगापुर स्थित कंपनी ‘मेडिसिन बायोटेक’ को लेकर है. इसके संस्थापक ही भारत बायोटेक के संस्थापक हैं. सिंगापुर की इस कंपनी ने ब्राजील से 4.5 करोड़ डॉलर का अग्रिम भुगतान मांगा. ब्राजील में इसको लेकर सवाल किया गया कि जब मेडिसिन बायोटेक से अनुबंध का कोई सीधा संबंध नहीं है तो फिर वह अग्रिम भुगतान क्यों मांग रही है?’
सुप्रिया ने दावा किया, ‘ऐसे आरोप हैं कि भारत बायोटेक पहले मेडिसिन बायोटेक को सस्ते में टीका बेचता था और फिर मेडिसिन बायोटेक इसे आगे महंगे में बेचता था. इसका मतलब था कि आईसीएमआर को कम मुनाफा होगा.’
उन्होंने सवाल किया, ‘क्या सरकार की यह जिम्मेदारी नहीं है कि यह पता किया जाए कि मेडिसिन बायोटेक की क्या स्थिति है, उसका बायोटेक से किस तरह का संबंध था? जब टीकों के आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, तो कोवैक्सीन के निर्यात के इस सौदे को जारी रखने की अनुमति कैसे मिली?’
उन्होंने दावा किया, ‘यह अनियमितता का मामला है. एक भारतीय कंपनी के ऊपर आरोप लग रहे हैं, जो हमारे औषधि क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा नुकसान है.’
सुप्रिया ने कहा, ‘देश के प्रधानमंत्री, सरकार और स्वास्थ्य मंत्री मूकदर्शक क्यों बने हुए हैं? उन्हें इस मामले पर जवाब देना चाहिए.’
यह भी पढ़ेंः ‘पहले सेफ्टी डाटा जमा करें’ सरकारी समिति ने बच्चों पर कोवोवैक्स के दूसरे, तीसरे चरण के ट्रायल को ‘ना’ कहा