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Saturday, 28 September, 2024
होमदेशपंजाब में बिजली संकट पर चिंतित सिद्धू ने खुद नहीं भरा है बिल, 8 लाख रुपये का है बकाया

पंजाब में बिजली संकट पर चिंतित सिद्धू ने खुद नहीं भरा है बिल, 8 लाख रुपये का है बकाया

पंजाब सरकार ने बढ़ी बिजली की किल्लत को देखते हुए राज्य सरकार के कार्यालयों के समय में शुक्रवार से कटौती करने और ज्यादा ऊर्जा खपत करने वाले उद्योगों को बिजली आपूर्ति में कटौती करने का आदेश दिया था.

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अमृतसर: पंजाब में बिजली की स्थिति पर शुक्रवार को चिंता जा​हिर करने वाले कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर प्रदेश की बिजली कंपनी का कथित रूप से आठ लाख रुपये से अधिक का बकाया है.

पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (पीएसपीसीएल) की वेबसाइट के अनुसार, अमृतसर स्थित सिद्धू के घर का बिजली बिल 8,67,540 हो गया है जो अब तक जमा नहीं किया गया है और बिल जमा करने की आखिरी तारीख दो जुलाई है .

बार बार प्रयास के बावजूद ​सिद्धू इस पर टिप्पणी के लिये उपलब नहीं हो सके .

पंजाब में बिजली की किल्लत के बीच सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान किए गए बिजली खरीद समझौते (पीपीए) को रद्द करने के लिए नया कानून लाने का शुक्रवार को आग्रह किया. सिद्धू ने कहा कि अगर राज्य ‘सही दिशा में’ काम करता है, तो पंजाब में बिजली कटौती या कार्यालय के समय को विनियमित करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी.

सिद्धू ने सीएम अमरिंदर सिंह को सलाह देते हुए सिलसिलेवार ट्वीट भी किए थे.

सिद्धू ने कहा, ‘बिजली की लागत, कटौती, बिजली खरीद समझौतों की सच्चाई और पंजाब के लोगों को मुफ्त और 24 घंटे बिजली कैसे दें…..पंजाब में बिजली कटौती की कोई आवश्यकता नहीं है या मुख्यमंत्री को कार्यालय के समय या आम लोगों के ‘एसी’ के उपयोग को विनियमित करने की आवश्यकता नहीं है…अगर हम सही दिशा में कार्य करते हैं.’

पंजाब कांग्रेस में जारी गतिरोध के बीच सिद्धू ने इस सप्ताह कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की.

राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार के कार्यालयों के समय में शुक्रवार से कटौती करने और ज्यादा ऊर्जा खपत करने वाले उद्योगों को बिजली आपूर्ति में कटौती करने का आदेश दिया था. मुख्यमंत्री ने सभी सरकारी कार्यालयों से बिजली का उचित इस्तेमाल करने की भी अपील करते हुए कहा कि स्थिति काफी गंभीर है क्योंकि राज्य में बिजली की मांग 14,500 मेगावाट पर पहुंच गयी हैं.

पूर्ववर्ती सरकार द्वारा मंजूर पीपीए के संबंध में सिद्धू ने कहा, ‘पंजाब, ‘नेशनल ग्रिड’ से बहुत सस्ती दरों पर बिजली खरीद सकता है, लेकिन शिरोमणि अकाली दल और भाजपा की सरकार के दौरान हस्ताक्षरित पीपीए पंजाब के हित के खिलाफ काम कर रहे हैं. माननीय न्यायालयों से कानूनी संरक्षण प्राप्त होने के कारण पंजाब इन पीपीए पर फिर से बातचीत करने में सक्षम नहीं है, लेकिन आगे एक रास्ता है.’

उन्होंने कहा कि पंजाब विधानसभा किसी भी समय ‘नेशनल पावर एक्सचेंज’ पर उपलब्ध कीमतों पर बिजली खरीद लागत को सीमित करने के लिए पूर्व प्रभाव से नया कानून ला सकती है. सिद्धू ने कहा, ‘इस प्रकार, कानून में संशोधन करके ये समझौते खत्म हो जाएंगे और पंजाब के लोगों के पैसे भी बचेंगे.’

पंजाब के मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने सोमवार को आरोप लगाया था कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान हस्ताक्षरित ‘त्रुटिपूर्ण’ पीपीए के कारण राज्य के ऊर्जा क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.

सिद्धू ने बिजली खरीद लागत पर कहा कि पंजाब 4.54 रुपये प्रति यूनिट की औसत लागत पर बिजली खरीद रहा है, जो कि राष्ट्रीय औसत 3.85 रुपये प्रति यूनिट से बहुत अधिक है. साथ ही कहा कि पांच से आठ रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से तीन निजी ताप संयंत्रों पर राज्य की निर्भरता के कारण पंजाब को अन्य राज्यों की तुलना में अधिक भुगतान करना पड़ता है.


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