भोपाल: व्यापक रूप से ‘कंप्यूटर बाबा’ के नाम से पुकारे जाने वाले, नामदेव दास त्यागी एक धार्मिक शख़्सियत हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पिछली सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा हासिल था, लेकिन उसके बाद से वो कांग्रेस के साथ आ गए थे. रविवार को उन्हें उस समय हिरासत में ले लिया गया, जब उन्होंने इंदौर के निकट अपने आश्रम में कथित अवैध निर्माण गिराए जाने जाने की कार्रवाई का विरोध किया.
आश्रम के छह अन्य कार्यकर्ताओं को भी, सरकारी अधिकारियों के काम में बाधा डालने के आरोप में, हिरासत में लेकर कंप्यूटर बाबा के साथ ही जेल भेज दिया गया.
जम्बूड़ी हाप्सी में गौशाला के लिए चिन्हित, सरकारी ज़मीन के एक टुकड़े पर अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए, इंदौर प्रशासन ने उनके आश्रम और उसके आसपास के निर्माण को ध्वस्त कर दिया.
इंदौर में एक सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, कि त्यागी को इस मामले में दो महीने पहले नोटिस दिया जा चुका था. लेकिन कांग्रेस ने डिमोलिशन को बदले की कार्रवाई क़रार दिया है- बीजेपी इस आरोप से इनकार करती है.
दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए फोन कॉल के ज़रिए, इंदौर के कलेक्टर मनीश सिंह से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक, कोई जवाब नहीं मिला था.
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‘प्रतिशोध की इंतिहा’
2018 में, बीजेपी ने ‘कंप्यूटर बाबा’ को एक कमेटी में शामिल किया था, जिसका काम मध्यप्रदेश के कुछ नामित क्षेत्रों, ख़ासकर नर्मदा नदी पर, वृक्षारोपण, संरक्षण, और सफाई पर केंद्रित एक अभियान चलाना था. उन्हें और कमेटी में शामिल चार अन्य धार्मिक व्यक्तियों को, अप्रैल 2018 में राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था.
बीजेपी सरकार का ये फैसला विवादों में घिरा रहा था, चूंकि इससे कुछ दिन पहले ही कंप्यूटर बाबा ने, नर्मदा किनारे वृक्षारोपण में कथित भ्रष्टाचार, और अवैध रेत माफिया का पर्दाफाश करने की धमकी दी थी. राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त होने के बाद, स्वयंभू ऋषि ने कहा कि वो शिवराज सरकार से ख़ुश हैं, और ऐलान किया कि अपनी अधिकारिक हैसियत का इस्तेमाल करके, वो नदियों का कायाकल्प करेंगे.
लेकिन, उस साल अक्तूबर में ‘कंप्यूटर बाबा’ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, और 2018 के विधानसभा चुनावों में विपक्षी कांग्रेस के लिए प्रचार किया. उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया, कि गौहत्या रोकने के लिए उसने कुछ नहीं किया, वो अधर्मी थी, और उन्होंने सीएम चौहान के चुनाव क्षेत्र बुधिनी में उनके खिलाफ चुनाव प्रचार किया.
दिसंबर 2018 में सत्ता में आने के बाद, कांग्रेस, जिसने धार्मिक व्यक्तियों को राज्य मंत्री का दर्जा देने के लिए बीजेपी की आलोचना की थी, ‘कंप्यूटर बाबा’ को एक निकाय का अध्यक्ष बना दिया, जिसका काम नर्मदा, शिप्रा, और मंदाकिनी नदियों का उद्धार करना था. 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने व्यापक रूप से, सीनियर कांग्रेस लीडर दिग्विजय सिंह के लिए प्रचार किया, जो भोपाल से बीजेपी की प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ लड़ रहे थे. प्रज्ञा चुनाव जीत गईं थीं.
सितंबर 2019 में ‘कंप्यूटर बाबा’ ने, पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा बुलाए गए एक संत सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए, सैकड़ों हिंदू साधुओं को जुटाया, जिसका आयोजन भापोल के मिंटो हॉल में किया गया था.
ये आयोजन इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किया गया, जितना बीजेपी 2003 से 2018 के बीच अपने 15 साल के शासन में कभी नहीं कर पाई. जमावड़े में भारी तादाद में संत लोग जमा हुए, और ‘जय श्रीराम’, ‘जय बजरंग बली’, और ‘गौमाता की जय’ के नारे लगाए गए, जिसके बाद मुख्यमंत्री कमल नाथ ने टिप्पणी की, ‘इससे कुछ लोगों के पेट में दर्द हो गया होगा, जो धर्म पर अपना एकाधिकार समझते हैं, और जो मंदिरों में जाने के लिए, कांग्रेस नेताओं का उपहास करते हैं’.
पचास से ऊपर की उम्र के ‘कंप्यूटर बाबा’ ने हालिया उपचुनावों में भी प्रचार किया था.
रविवार के डिमोलिशन की भर्त्सना करते हुए, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ‘ये राजनीतिक प्रतिशोध की इंतिहा है’. उन्होंने आरोप लगाया कि आश्रम को उचित प्रक्रिया के बिना गिराया जा रहा है.
कांग्रेस विधायक विशाल पटेल ने रिपोर्टर्स से कहा, कि जब नोटिस दिया गया था तो उन्होंने प्रशासन को डिमोलिशन न करने की चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा कि आश्रम के अंदर कलोता समुदाय का एक मंदिर था, और अगर मंदिर को गिराया गया, तो वो लोग सड़कों पर उतर आएंगे. उन्होंने बीजेपी पर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया.
बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, कि कार्रवाई से पहले ‘कंप्यूटर बाबा’ को, प्रशासन और नगर निगम की ओर से नोटिस दिए गए थे. राजनीतिक प्रतिशोध के आरोप को ख़ारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर ये अतिक्रमण और अवैध निर्माण का मामला नहीं है, तो कांग्रेस को इसे साबित करना चाहिए’.
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