इस कदम को कांग्रेस के उन आलोचकों के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है जो मानते हैं कि कांग्रेस भी दरअसल हिंदुत्व के ही एक ‘नरम’ रूप को प्रचलन में लाना चाहती है
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कांग्रेस पिछले पंद्रह सालों से विपक्ष में रही है और इस क्रम को तोड़ने के लिए वह राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी की चुनाव रणनीति का अनुकरण कर रही है।
पार्टी के मध्य प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने रविवार को घोषणा की कि अगर वे सत्ता में आये तो तो कांग्रेस राज्य के हर जिले में एक गोशाला का निर्माण करेगी। इस कदम को कांग्रेस के उन आलोचकों के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है जो मानते हैं कि कांग्रेस भी दरअसल हिंदुत्व के ही एक ‘नरम’ रूप को प्रचलन में लाना चाहती है।
कमलनाथ ने एक रैली में कहा। “इन गोशालाओं को चलाने के लिए अतिरिक्त धन की व्यवस्था की जाएगी। वर्तमान मुख्यमंत्री केवल घोषणा करते हैं लेकिन मैं वचन दे रहा हूं,”
कांग्रेस के चुनावी वादे दर असल शिवराज सिंह चौहान सरकार ,जिसने पिछले साल अगस्त में नर्मदा नदी के किनारे 108 गोशालाओं की स्थापना करने की घोषणा की थी, द्वारा किये गए वादों की नक़ल मात्र है।
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सितंबर में भाजपा सरकार एक कदम आगे चली गई और गायों के लिए 472 हेक्टेयर में फैले हुए अपनी तरह के पहले पशु विहार, कामधेनु गौ अभ्यारण्य की स्थापना की । हालांकि, इस उपाय ने राज्य में भटक गए पशुओं की समस्या की बेहतरी की दिशा में कुछ ख़ास नहीं किया है , जहां हर तीन लोगों पर एक गाय है।
कांग्रेस के हालिया राजनीतिक पैंतरे दर्शाते हैं कि हैं कि पार्टी को इस बात का भरोसा है कि इस भारी हिंदू-वर्चस्व वाले राज्य में केवल एक प्रतिस्पर्धी हिंदुत्व ही सफल होगा – अल्पसंख्यक आबादी का केवल 7 प्रतिशत हैं और भोपाल जैसे शहरी इलाकों तक सीमित हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सितंबर के पहले सप्ताह में खांडवा जिले के ओंकारेश्वर मन्दिर जाना था लेकिन राहुल की 12 दिनों की कैलाश मानसरोवर यात्रा की वजह से उसमें देरी हो रही है । वे अब 17 सितंबर को भोपाल में पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने वाले हैं।
विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि कांग्रेस की रणनीति अंततः भाजपा को भी फायदा पहुँचा सकती है।
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के संजय कुमार कहते हैं, “यदि कांग्रेस सोचती है कि भाजपा की चुनावी रणनीति की नक़ल करके वह उनके मतदाताओं को आकर्षित कर सकती है और उन्हें हरा सकती है, तो यह गलत है ।”
“उनका अनुसरण करने की बजाय कांग्रेस को भाजपा को हराने की अपनी स्वयं की रणनीति तैयार करनी चाहिए।”
कांग्रेस नेताओं का दावा , हिंदुत्व पर नहीं है ज़ोर
हालांकि, कांग्रेस के नेताओं ने कमल नाथ की गोशाला घोषणा का बचाव करते हुए कहा कि वह भटक गए पशुओं की समस्या का समाधान करने के लिए था।
पूर्व राज्य अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण यादव ने कहा,”कुछ समय से राज्य में कृषि भूमि में उल्लेखनीय कमी आई है। मवेशियों के लिए के चरने को बहुत कम जगह है।”
“हम गौशालाओं की स्थापना कर रहे हैं ताकि आवारा मवेशियों के साथ-साथ किसानों के स्वामित्व वाले जानवरों के लिए चारागाहों और पशु चिकित्सा जैसी अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की जा सके । यह किसानों की मदद के लिए है और केवल मीडिया ही इसे हिंदुत्व पर ज़ोर के रूप में देखता है। ”
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लेकिन यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने बीजेपी के कट्टर हिंदुत्व वाले वोट बैंक को तोड़ने का प्रयास किया है। 2013 के विधानसभा चुनावों के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने खुद को एक हिंदूवादी नेता के रूप में पेश करने का प्रयास किया। उन्होंने गोमूत्र के औषधीय लाभों की बात की और एक बार उसे पीना भी स्वीकारा । उन्होंने गोकशी के खिलाफ एक आंदोलन भी शुरू किया और मांग की कि इसे देश भर में प्रतिबंधित कर दिया जाए।
फरवरी 2003 में उस साल के चुनावों से पहले जब धार स्थित भोजशाला- कमल मौला मस्जिद, जिसपर हिन्दुओं एवं मुस्लिमों दोनों का दावा है ,में परेशानी हुई थी तब मुख्यमंत्री दिग्विजय ने सिफारिश की कि हिंदुओं को हर मंगलवार को पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस विवाद में यह ऐसा पहला मौका था । दोनों मौकों पर कांग्रेस चुनाव में हार गई।
यादव ने तर्क दिया, “उस समय हालात अलग थे। हम दस साल सत्ता में रहने के बाद ऐंटी इंकम्बेंसी झेल रहे थे । अभी हालत बिलकुल विपरीत है । इसके अलावा, पिछले 15 वर्षों में बीजेपी सरकार ने हर क्षेत्र में राज्य को बर्बाद कर दिया है।”
Read in English : Competitive cow politics in Madhya Pradesh as Congress looks to dethrone BJP