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Sunday, 26 May, 2024
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जेजेपी विधायक पर CM खट्टर ने कसा तंज, लेकिन कहा-‘जनता की भलाई के लिए गठबंधन जारी रहेगा’

चार निर्दलीय विधायकों और हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा के बीजेपी के वरिष्ठ नेता बिप्लब कुमार देब से मिलने के बाद जेजेपी के साथ गठबंधन के भविष्य को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं.

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चंडीगढ़: सहयोगी दलों भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच चल रहे जुबानी जंग के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर शनिवार को जेजेपी विधायक रामकरण काला के हरियाणा स्टेट फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर मिल्स लिमिटेड के अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर निशाना साधते दिखाई दिए.

एक संवाददाता सम्मेलन में जहां उन्होंने सूरजमुखी की फसल पर एमएसपी के लिए किसान आंदोलन और भावांतर भरपाई योजना के तहत 8,528 सूरजमुखी के किसानों के खातों में धनराशि के हस्तांतरण पर चर्चा की, सीएम ने कहा कि यह दिखाने के लिए कि किसानों के मन में भ्रम पैदा किया जा रहा है कि सरकार को उनकी चिंता नहीं है, बावजूद इसके की भाजपा ने किसानों के लिए जो किया है वे पहले कभी किसी ने नहीं किया.

उन्होंने आगे दावा किया कि कुछ लोग इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं और किसानों को गुमराह कर रहे हैं जबकि कुछ संगठन दबाव की राजनीति कर रहे हैं.

खट्टर ने काला का नाम लिए बिना कहा, “एक सज्जन तो हमारे इस्तीफे की घोषणा भी कर गए. मैं इसे राजनीति करना ही कहूंगा. मैं सोच रहा था कि गन्ना बोर्ड का अध्यक्ष होने के नाते मेरे पास ही इस्तीफा आना चाहिए. या सरकार में किसी को मिलना चाहिए. पर हम में से किसी के पास कोई इस्तीफा नहीं आया है.”

जजपा विधायक रामकरण काला ने मंगलवार को मीडिया से कहा था कि सरकार द्वारा एमएसपी पर सूरजमुखी की फसल नहीं खरीदने का विरोध कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज के विरोध में उन्होंने इस्तीफा दिया है.

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हाल के दिनों में दोनों सहयोगियों के बीच तनाव और बढ़ गया है, खासकर बीजेपी के हरियाणा मामलों के प्रभारी बिप्लब कुमार देब के रविवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता के लिए उचाना में प्रचार करने के बाद से तो और ज्यादा. पूर्व विधायक प्रेम लता 2019 में उचाना सीट डिप्टी सीएम और जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला से हार गई थीं.

यह पूछे जाने पर कि अगर इस्तीफा उनके पास पहुंच जाता तो क्या सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया होता, खट्टर ने कहा कि उन्होंने कागजात मिलने के बाद ही इस पर फैसला किया होता.

खट्टर ने कहा, “कुछ लोग अपनी हरकतों से दूसरों के बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश करते हैं. कई बार इसका उद्देश्य सरकार पर अनुचित दबाव बनाना होता है. जहां तक सरकार के स्टैंड की बात है तो साफ था कि हम किसानों के साथ हैं. जिस तरह से हम किसानों के कल्याण के बारे में सोचते रहे हैं, अतीत में कभी किसी ने नहीं सोचा था.”

सीएम ने दावा किया कि नौ साल पहले किसानों की स्थिति “दयनीय” थी. “पीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी आय बढ़ाने के लिए योजनाएं बनाईं. किसानों के लाभ के लिए सरकार की मार्केटिंग में भी सुधार की योजना थी, लेकिन तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा. पीएम ने माना कि शायद हम बिलों का फायदा किसानों तक नहीं पहुंचा पाए. भविष्य में हम किसान संगठनों के साथ बैठने और कृषि फसलों के बेहतर विपणन के लिए एक तंत्र के साथ आने की उम्मीद करते हैं.”

‘जनता की भलाई के लिए गठबंधन जारी रहेगा’

जब मीडियाकर्मियों ने खट्टर से जेजेपी के साथ उनकी पार्टी के गठबंधन के भविष्य के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि गठबंधन जनता की भलाई के लिए किया गया था और यह जारी रहेगा. भाजपा-जजपा गठबंधन में दरार की खबरों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने इसे अफवाहें करार दिया.

जब खट्टर का ध्यान निर्दलीय विधायकों और हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा के साथ देब की बैठकों की ओर खींचा गया, तो खट्टर ने कहा कि पार्टी संगठन अपनी कवायद करता है जबकि सरकार अपना काम करती है.

इस बीच, शाहबाद के विधायक काला ने दिप्रिंट को बताया कि खट्टर की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद भी वे अपने इस्तीफे पर अडिग थे.

काला ने फोन पर दिप्रिंट से कहा, “मैंने अपना इस्तीफा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को सौंप दिया क्योंकि उनकी वजह से ही मुझे यह पद दिया गया था. अब यह वीकेंड है. सोमवार आने दीजिए और मैं अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दूंगा.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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